मुंबई, दो जुलाई (भाषा) किसानों की आत्महत्या और सोयाबीन खरीद के लिए कथित तौर पर भुगतान नहीं किए जाने के मुद्दे पर हंगामे के बाद विपक्षी सदस्यों ने बुधवार को महाराष्ट्र विधानसभा से दो बार बहिर्गमन किया।
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने दावा किया कि इस वर्ष के पहले तीन महीनों में राज्य में 700 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए एक स्थगन प्रस्ताव दिया।
स्थगन नोटिस पर बोलते हुए, उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाया, जिसमें शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे को गोवा को नागपुर के साथ जोड़ने के लिए 20,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई।
वडेट्टीवार ने कहा, ‘‘हर दिन किसान आत्महत्या कर रहे हैं, और फिर भी सरकार उदासीन बनी हुई है। इस साल जनवरी से मार्च तक, 767 किसानों ने आत्महत्या कर ली। इनमें से 200 मामलों को (मृतक के परिजन के वास्ते) सहायता के लिए अयोग्य घोषित किया गया जबकि 194 मामलों में पूछताछ अभी भी लंबित हैं।’’
उन्होंने सरकार पर चुनाव से पहले कर्ज माफी और लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने के झूठे वादे करने का भी आरोप लगाया।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘सोयाबीन और कपास उत्पादकों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य नहीं मिला है।’’
वडेट्टीवार ने किसानों को कथित तौर पर ‘‘भिखारी’’ कहने के लिए कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे और किसानों के खिलाफ ‘‘असंवेदनशील और अपमानजनक बयान’’ देने के लिए पूर्व मंत्री बबनराव लोणीकर की भी निंदा की।
कांग्रेस नेता ने लातूर की एक घटना का जिक्र किया, जहां किसान अंबादास पवार (65) ने कथित तौर पर खुद को हल से जोत लिया, क्योंकि वह बैलों को किराये पर नहीं ले सकते थे।
वडेट्टीवार ने कहा, ‘‘समितियों का गठन करने के बजाय सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। किसान समितियां नहीं चाहते, वे राहत चाहते हैं।’’
हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने स्थगन प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसके बाद विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर असंवेदनशीलता और चर्चा से बचने का आरोप लगाते हुए बहिर्गमन किया।
इस बीच, सोयाबीन खरीद में अनियमितताओं और किसानों को भुगतान में देरी का विपक्ष द्वारा आरोप लगाये जाने के बाद सदन में गरमागरम बहस हुई।
कांग्रेस सदस्य विजय वडेट्टीवार ने दावा किया कि सोयाबीन उत्पादकों को उनकी उपज की खरीद के लिए भुगतान नहीं किया गया है।
सहकारिता एवं विपणन मंत्री जयकुमार रावल ने सदन को बताया कि इस वर्ष राज्य में 562 केंद्रों पर रिकॉर्ड मात्रा में सोयाबीन की खरीद की गई। रावल ने कहा, ‘‘51,000 से अधिक किसानों ने अपनी उपज बेची और 5,500 करोड़ रुपये सीधे उनके बैंक खातों में भेजे गए।’’
हालांकि, अकोला जिले के बालापुर तालुका में एक घटना को लेकर विवाद खड़ा हो गया।
मंत्री ने कहा कि किसानों का एक समूह, अंदुरा शेतकरी कंपनी, खरीद रिकॉर्ड में दर्ज होने के बावजूद गोदाम में 1,297 क्विंटल सोयाबीन पहुंचाने में विफल रही। उन्होंने कहा कि कंपनी प्रमुख के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है और जांच लंबित रहने तक 36 लाख रुपये रोक लिये गए हैं।
रावल ने आश्वासन दिया कि विसंगति से प्रभावित किसानों को भुगतान सुनिश्चित करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
मूल प्रश्न विधायक दौलत दरोदा ने उठाया, जिसके बाद हेमंत ओगले, रणधीर सावरकर, नाना पटोले, रोहित पवार, कैलास पाटिल और जयंत पाटिल ने पूरक प्रश्न पूछे। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्यों ने विरोध स्वरूप सदन से बहिर्गमन किया।
इस बीच, किसान आत्महत्या के मुद्दे पर विपक्ष द्वारा बहिर्गमन किए जाने के बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि किसानों की समस्याओं का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान करना और सभी प्रतिकूल परिस्थितियों में उनका समर्थन करना अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी मानती है।
भाषा शफीक रंजन
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