मुंबई, 28 मई (भाषा) महाराष्ट्र में सरकारी अस्पतालों से जुड़ी नर्सों की एक यूनियन द्वारा किए गए हड़ताल के आह्वान का शनिवार को व्यापक असर नहीं दिखा और ज्यादातर अस्पतालों ने हड़ताल से दूरी बनाए रखी।
हालांकि, अधिकारियों ने स्वीकार किया कि कुछ अस्पतालों को समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिनमें कुछ सर्जरी स्थगित करनी पड़ी।
उन्होंने कहा कि हड़ताल से सर्वाधिक प्रभावित सरकारी जेजे अस्पताल में स्टेंट डालने जैसी सर्जरी स्थगित कर दी गईं, लेकिन महाराष्ट्र स्टेट नर्सेज एसोसिएशन (एमएसएनए) द्वारा आहूत इस हड़ताल का सेंट जॉर्ज, कामा और अल्बलेस तथा गोकुलदास तेजपाल जैसे अन्य अस्पतालों पर बहुत कम प्रभाव पड़ा।
अधिकारियों ने कहा कि एमएसएनए से जुड़ीं अधिकतर नर्स जेजे अस्पताल से हैं और इस कारण भायखला स्थित इस अस्पताल को अन्य अस्पतालों के मुकाबले अधिक दिक्कत का सामना करना पड़ा।
एमएसएनए महासचिव सुमित्रा टोटे ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘हमने 27 और 28 मई को हड़ताल का आह्वान किया था। हालांकि, राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है, और इसलिए, हमने अपनी हड़ताल को आगे भी जारी रखने का फैसला किया है।’
टोटे ने कहा, ‘हम चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों और नर्सों की भर्ती अनुबंध के आधार पर करने के पूरी तरह खिलाफ हैं, क्योंकि इसमें नौकरी की कोई गारंटी नहीं है और राज्य का उन ठेकेदारों पर कोई नियंत्रण नहीं होगा जो निर्धारित वेतन से कम भुगतान करने के लिए जाने जाते हैं। राज्य सरकार ने नर्सों के कई महीने के भत्तों को मंजूरी नहीं दी है।’
हालांकि, महाराष्ट्र स्टेट गवर्नमेंट हॉस्पिटल नर्सेज फेडरेशन (एमएसजीएचएनएफ) के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘नर्स फेडरेशन के प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों के बीच बकाया भुगतान, अनुबंध आधारित भर्ती के विरोध आदि के संबंध में कुछ सप्ताह पहले एक बैठक हुई थी। वास्तव में, राज्य सरकार ने हमें आश्वासन दिया है कि वह अनुबंध आधारित भर्ती पर आगे नहीं बढ़ेगी।’
एमएसजीएचएनएफ नेता ने दावा किया कि नर्सों का कुछ बकाया भी चुका दिया गया है। उन्होंने कहा कि सभी यूनियन ने इस बैठक के बाद हड़ताल पर नहीं जाने का फैसला किया था।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि, एक यूनियन ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया। उनकी मांगें जायज हैं लेकिन हमने फिलहाल आंदोलन का हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया है।’
भाषा नेत्रपाल सुभाष
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