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Monday, 23 December, 2024
होमदेशआखिर महाराष्ट्र में भारत की सर्वाधिक कोविड-19 मृत्यु दर क्यों है

आखिर महाराष्ट्र में भारत की सर्वाधिक कोविड-19 मृत्यु दर क्यों है

महाराष्ट्र में मरने वालों की संख्या 72 है जो कि अन्य राज्यों की तुलना में काफी अधिक है, जैसे कि तमिलनाडु और दिल्ली में क्रमशः 8 और 9 मौतें हुई हैं.

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नई दिल्ली: भारत में कोरोनोवायरस के मामलो की संख्या 5,000 को पार कर चुकी है. महाराष्ट्र देश के सबसे खराब राज्य के रूप में उभर कर आया है, हर पांचवा मरीज महाराष्ट्र से है.

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के राज्य में गुरुवार तक 1,135 कोरोनवायरस मरीज थे और 72 मौतें हुईं हैं. जिनमें आठ नए मामले आये हैं. गुरुवार तक देश में मौतों का आंकड़ा 166 था.

इसका मतलब है कि महाराष्ट्र देश के 20 प्रतिशत मामलों और 43 प्रतिशत मौतों का भागीदार है. महाराष्ट्र की कोविड -19 मृत्यु दर 6.3 प्रतिशत भी देश की 2.8 प्रतिशत की दर से दोगुनी है.

जबकि राज्य के 36 में से 22 जिलों में कोरोनोवायरस रोगी पाए गए हैं, मुंबई सबसे ज्यादा प्रभावित है. जहां 714 (62 प्रतिशत) कुल मामलों और 45 (62 प्रतिशत) मौतें हुईं हैं.

अधिक परीक्षणों के कारण

हालांकि, अधिक संख्या में मामले होने से यह मतलब नहीं है कि महाराष्ट्र में भारत की उच्चतम कोरोनोवायरस संक्रमण दर है.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी में चेन्नई के वैज्ञानिक तरुण भटनागर ने कहा, ‘तार्किक व्याख्या यह है कि जितना ज्यादा परीक्षण होगा, उतने अधिक मामले मिलेंगे,’ उन्होंने कहा कि जो राज्य वर्तमान दिशानिर्देशों के साथ अधिक संख्या में संदिग्ध मामलों का परीक्षण कर रहे हैं, वे अधिक मामले पाएंगे.

महाराष्ट्र ने मंगलवार तक 20,877 परीक्षण किए थे, जो भारत के कुल नमूनों का 16.8 प्रतिशत था.

पब्लिक हेल्थ फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के प्रोफेसर लाइफ़कोर्स महामारी विज्ञान गिरिधर आर बाबू के विश्लेषण से पता चलता है कि महाराष्ट्र ने प्रति मिलियन लोगों पर 92.4 परीक्षण किए हैं.

वैश्विक स्वास्थ्य पत्रिका बीएमजे ब्लॉग में प्रकाशित कोविड-19 परीक्षण दरों के विश्लेषण में 30 भारतीय राज्यों में पुष्टि के मामलों और मृत्यु दर के आंकड़ों से पता चला है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में प्रति मिलियन आधार पर अधिक मौतों की रिपोर्ट की गई.

मृतकों में एक से ज्यादा बीमारी वाले बुजुर्ग

महाराष्ट्र में मरने वालों की संख्या अन्य राज्यों की तुलना में काफी अधिक है, जिनमें तमिलनाडु, (738) और दिल्ली (669) जैसे मामलों की संख्या अधिक है. इन राज्यों में मौतों का आंकड़ा क्रमशः 8 और 9 पर है.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के संक्रामक रोग के प्रमुख रमन गंगा खेड़कर ने बुधवार को कहा, ‘देश में होने वाली मौतों की कुल संख्या यह निष्कर्ष निकालने के लिए बहुत कम है कि महाराष्ट्र में मौतों की संख्या अधिक है.’

बाबू ने कहा कि ज्यादा मौतों के लिए एक ज्यादा बीमारी, उम्र, बीमारी की गंभीरता, देर से अस्पताल ले जाना और खराब अस्पताल के परिणामों को दिया जा सकता है. हालांकि, लगभग आधे मरीज 21-50 आयु वर्ग के थे, उनका मृत्यु प्रतिशत केवल 17 था. वहीं 61-90 आयु वर्ग के लोगों के कुल 31 प्रतिशत मामले थे और उनका मृत्यु प्रतिशत 82 है. महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा और ड्रग्स विभाग द्वारा 8 अप्रैल की रिपोर्ट में 868 मामलों और 52 मौतों का विश्लेषण दिखाया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 61-80 आयु वर्ग में मृत्यु दर 23 प्रतिशत थी, जबकि 21-40 में मृत्यु दर 2 प्रतिशत से भी कम थी.इसके अलावा, 63 प्रतिशत मामले पुरुषों के हैं. इनमें 73 फीसदी मौतें भी हुईं हैं. यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय डेटा के अनुरूप है.

महाराष्ट्र राज्य के बुलेटिन के अनुसार 6 अप्रैल को मौतों (78 प्रतिशत) की बड़ी संख्या मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अन्य गंभीर बीमारियों के साथ पुरानी बीमारियों में से एक वजह से हुईं थी.

भटनागर ने कहा, ‘जिन लोगों को एक से अधिक बीमारियां होती है, उन्हें जटिलताओं और मौतों का खतरा अधिक होता है. उन्होंने कहा कि भले ही कई राज्यों का तर्क है कि मौत कोरोनोवायरस की तुलना में एक से अधिक बीमारी के कारण हुई हैं, सकारात्मक वायरस से हुईं मौतों को कोरोनोवायरस मौतों के रूप में गिना जाना है.’

‘नियमों सख्ती से पालन ’

टाटा इंस्टीट्यूट सोशल साइंसेज के स्कूल ऑफ हेल्थ सिस्टम स्टडीज के पूर्व डीन टी सुंदररामन ने कहा, ‘मैं उच्च मृत्यु दर के बारे में बहुत चिंतित नहीं हूं.’ उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में मृत्यु दर की रिपोर्ट की उम्मीद की जा सकती है, अगर राज्य कड़ाई से मानदंडों का पालन कर रहा है और गंभीर मामलों और हल्के या मध्यम मामलों का परीक्षण कर रहा है.’

उन्होंने कहा कि प्रत्येक सकारात्मक मामले के लिए अधिक कांटेक्ट ट्रेसिंग आवश्यक है, जैसे राज्यों ने दिल्ली के तब्लीगी जमात कार्यक्रम के लिए किया है, जहां अधिक मामलों को खोजने और उन्हें अलग करने के लिए भी स्पर्शोन्मुख रोगियों का परीक्षण किया गया था. कथित तौर पर महाराष्ट्र ने तब्लीगी जमात के 1,500 सदस्यों का पता लगाया और उनमें से 1,350 को अलग कर दिया.

महाराष्ट्र शिक्षा और ड्रग्स विभाग हर शाम मामलों का एक विस्तृत विश्लेषण जारी कर रहा है और एक लाइव डैशबोर्ड भी शुरू हुआ है.

देर से पता लगाना

मुंबई में कई मामले अस्पताल से संबंधित संक्रमण के हैं, जिन रोगियों को अन्य बीमारियों के लिए भर्ती कराया गया बाद में सकारात्मक मिले और फिर स्वास्थ्य कर्मचारियों के बीच फैला रहे हैं.

सुंदररमन ने कहा कि या तो यह स्पष्ट यात्रा या संपर्क इतिहास के कारण नहीं हो सकता है, इस तथ्य की ओर इशारा किया कि राज्य को मामलों में अपने परीक्षण को बढ़ाने और सकारात्मक मामलों के संपर्कों की क्वारंटाइन करने की जरूरत है.

बुधवार की प्रेस वार्ता में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि यदि मामलों का देर से पता चलता है तो यह अधिक संख्या में मौतों में एक भूमिका निभा सकते हैं. यही कारण है कि मामलों की प्रारंभिक पहचान महत्वपूर्ण है.

लॉकडाउन की स्थिति

इस हफ्ते की शुरुआत में महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि राज्य में लॉकडाउन ख़त्म होगा की नहीं यह 10 और 15 अप्रैल के बीच की स्थिति पर निर्भर करेगा. उन्होंने सुझाव दिया कि मुंबई जैसी प्रभावित जगहों पर लॉकडाउन का विस्तार किया जा सकता है.

8 अप्रैल तक बृहन्मुंबई नगर निगम ने कथित तौर पर शहर में 241 कन्टेनमेंट क्षेत्र घोषित किए हैं. कोविड -19 मामलों की अधिक संख्या वाले क्षेत्रों को बिना किसी बाहरी या इनडोर मूवमेंट के साथ बंद कर दिया गया है और लोगों को अपने घरों के अंदर रहने के लिए कहा गया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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