मुंबई, 15 फरवरी (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने को लेकर राज्य सरकार की स्थिति रिपोर्ट पर मंगलवार को नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया ‘तमाशा’ है और इस परियोजना के लिए आवंटित राशि बर्बाद हो गयी है।
न्यायमूर्ति एस. जे. कठवल्ला और न्यायमूर्ति एम. एन. जाधव की खंडपीठ ने पिछले हफ्ते सरकार से सभी थानों में चालू और बंद सीसीटीवी कैमरों का विस्तृत ब्योरा देने को कहा था।
राज्य सरकार की ओर से मंगलवार को जब रिपोर्ट सौंपी गयी तो पीठ ने कहा कि इसमें वे सारे प्रासंगिक ब्योरे मौजूद नहीं हैं, जो मांगे गये थे। अदालत ने कहा, ‘‘हमें प्रतीत होता है कि कार्रवाई इस अदालत द्वारा आदेश जारी करने के बाद की गयी है। क्या हम प्रशासन चलाने के लिए हैं? हमने (अपने आदेश में) जो कहा है, उसे ही अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) की ओर से जारी परिपत्रक में रख दिया गया है।’’
न्यायमूर्ति कठवल्ला ने कहा, ‘‘आम आदमी यह सोचकर पुलिस स्टेशन जाता है कि शीर्ष अदालत के दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है और हम नहीं जानते कि राज्य सरकार द्वारा सीसीटीवी लगाने के लिए आवंटित 60 करोड़ रुपये का क्या हो रहा है?’’
अदालत ने कहा कि सरकार की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक थाने में सीसीटीवी लगाने पर छह लाख रुपये खर्च किये गये हैं। न्यायमूर्ति जाधव ने तब कहा, ‘‘मैंने अपने घर में करीब 35 हजार रुपये खर्च करके सीसीटीवी कैमरे लगाये हैं, लेकिन थानों में छह लाख रुपये खर्च करके भी रिकॉर्डिंग अवधि उतनी लंबी नहीं है, जिसका जिक्र शीर्ष अदालत के आदेश में किया गया था।’’
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है और महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकोणि को इस मामले में ‘सक्रिय सहयोग’ देने को कहा है।
भाषा सुरेश दिलीप
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