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Sunday, 22 December, 2024
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महा. सरकार गृह मंत्री देशमुख की जांच कराएगी, यह भी पता लगाएगी परमबीर सिंह ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री और राज्यपाल को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि देशमुख ने पुलिसवालों से बार से 100 करोड़ रुपये एकत्र करने के लिए कहा था.

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मुंबई: महा विकास अघाड़ी सरकार मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह की तरफ से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भेजे गए एक विस्फोटक पत्र की जांच कराने की तैयारी में हैं जिसमें महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक जांच सिर्फ देशमुख पर लगे आरोपों की ही नहीं होगी, बल्कि यह भी पता लगाया जाएगा कि इस सूचना पर परम बीर सिंह ने पहले कोई कार्रवाई क्यों नहीं की.

मुख्यमंत्री ठाकरे के कार्यालय के एक सूत्र के अनुसार, ‘अब अगला कदम यही है कि चूंकि आरोप लगे हैं, इसलिए जांच होनी चाहिए. लेकिन जांच में इस सवाल पर भी ध्यान दिया जाएगा कि परम बीर सिंह ने पहले शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई. एक अधिकारी के रूप में या यहां तक कि बतौर एक नागरिक यही अपेक्षा की जाती है कि यदि आपको कुछ भी गलत होने का पता चलता है, तो आपको शिकायत दर्ज करनी चाहिए. ताकि सभी लोगों को इसके बारे में पता चल सके और इसकी जांच हो सके.’

सूत्र ने आगे बताया कि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने जांच पैनल के नेतृत्व के लिए सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी जूलियो रिबेरो का नाम सुझाया है और मुख्यमंत्री इस पर गौर करेंगे.

पत्र में पूर्व पुलिस प्रमुख ने कथित तौर पर दावा किया है कि एनसीपी नेता देशमुख ने पुलिस अधिकारियों, निलंबित सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे समेत, को मुंबई में बार, रेस्तरां और अन्य प्रतिष्ठानों से एक माह में 100 करोड़ रुपये जुटाने का निर्देश दिया था.

सीएमओ ने पहले संकेत दिया था कि उसे पत्र की सत्यता पर संदेह है क्योंकि एक तो इस पर हस्ताक्षर नहीं थे और यह जिस ईमेल एड्रेस से आया था वह आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज परम बीर सिंह की व्यक्तिगत ईमेल आईडी से अलग था. हालांकि, सूत्र के मुताबिक, ‘पूरी संभावना’ है कि पत्र पूर्व पुलिस प्रमुख की तरफ से ही भेजा गया था.

सूत्र ने बताया, ‘सीएमओ ने परम बीर सिंह से संपर्क की कोशिश की. राज्य के गृह विभाग ने भी इसकी कोशिश की, लेकिन वह प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं हुए. मुख्यमंत्री कार्यालय में ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इसकी पूरी संभावना है कि पत्र उनकी तरफ से ही भेजा गया था, लेकिन यदि सारी चीजें वैसी न हो पाएं जैसा कि वो चाहते हैं तो अपने पीछे हटने और खुद को पत्र से पूरी तरह अलग कर लेने के लिए उन्होंने कुछ रास्ता छोड़ रखा है.’

दिप्रिंट ने भी फोन कॉल और टेक्स्ट मैसेज के जरिये परम बीर सिंह से संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन ये रिपोर्ट प्रकाशित होने तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया.


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‘अन्य अधिकारी आरोपों से इनकार कर रहे’

मुख्यमंत्री कार्यालय को यह पत्र राज्य सरकार द्वारा परमबीर सिंह का महानिदेशक होमगार्ड्स की काफी लो-प्रोफाइल पोस्टिंग पर तबादला किए जाने के दो दिन बाद शनिवार को शाम 4.37 बजे भेजा गया था. उनका ये तबादला

उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर ‘एंटीलिया’ के बाहर विस्फोटक लदी कार बरामद होने और इस संबंध में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की तरफ से पुलिस अधिकारी वाजे की गिरफ्तारी को लेकर जारी विवाद के बीच हुआ था.

पत्र में दो और अधिकारियों के नाम भी दिए गए थे—सहायक पुलिस आयुक्त संजय पाटिल और पुलिस उपायुक्त राजू भुजबल—जिन पर कथित तौर पर गृह मंत्री के कार्यालय की तरफ से मुंबई के रेस्तरां और बार से पैसा इकट्ठा करने का दबाव डाला गया था.

ऊपर उद्धृत सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि राज्य के गृह विभाग ने अनौपचारिक जांच के तौर पर दोनों अधिकारियों से बात की है और उन्होंने ऐसी किसी भी घटना से इनकार किया है. सूत्र ने स्पष्ट किया, ‘ये बातचीत आधिकारिक तौर पर नहीं हुई क्योंकि यह अवकाश का दिन था.’

पवार ने रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन में परम बीर सिंह के पत्र के समय को लेकर सवाल उठाए और कहा कि यह एमवीए सरकार को अस्थिर करने की साजिश का हिस्सा हो सकता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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