मुंबई, आठ अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने मंगलवार को राज्य की नयी रेत उत्खनन नीति को मंगलवार को मंजूरी दी, जिसमें कृत्रिम रेत के उपयोग को बढ़ावा देने सहित कई चीजों को शामिल किया गया है।
राज्य सरकार ने विभिन्न आवास परियोजनाओं के लाभार्थियों को पांच ब्रास तक मुफ्त रेत देने की अनुमति दी है। पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कृत्रिम रेत के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा तथा शुरुआत में सरकारी और अर्ध-सरकारी निर्माणों में इसका 20 प्रतिशत उपयोग अनिवार्य किया जाएगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में इसके बाद ‘एम-रेत’ या निर्मित रेत का उपयोग अनिवार्य कर दिया जाएगा। नदियों के किनारे से उत्खनन की गई रेत की ऑनलाइन निलामी से संबंधित निर्णय अनुविभागीय अधिकारियों के क्षेत्राधिकार में आने वाले सभी रेत समूहों पर लागू होगा।
बयान में कहा गया, ‘‘प्रत्येक रेत समूह द्वारा उत्खनन की गई रेत का 10 प्रतिशत विभिन्न आवास परियोजनाओं के लाभार्थियों के लिए निःशुल्क (5 ब्रास तक) उपलब्ध होगा।’’
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने सभी प्रकार के निर्माण कार्यों के लिए नदी तल में पाए जाने वाले रेत के स्थान पर निर्मित रेत के उपयोग करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘निर्माण कार्य नहरों, इमारतों और दीवारों आदि का हो सकता है।’’
रेत उत्खनन से संबंधित नयी नीति से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा, ‘‘हमने रेत की आपूर्ति और इसके उपयोग से संबंधित कई नीतिगत निर्णय लिए हैं। हम अन्य राज्यों से महाराष्ट्र में आने वाली नदियों के तल में पाई जाने वाली रेत के लिए भी कुछ नीतिगत उपाय पेश करेंगे।’’
भाषा प्रीति माधव
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