(ज्ञानेश चव्हाण)
मुंबई, 11 मई (भाषा) महाराष्ट्र की नागरिक सुरक्षा इकाई ने हाल में देशव्यापी सुरक्षा अभ्यास के तहत ‘मॉक ड्रिल’ का आयोजन किया जिसमें इस इकाई में कर्मचारियों की कमी और प्रशिक्षण के लिए जरूरी उपकरणों के अभाव को साफ महसूस किया गया।
भारत और पाकिस्तान सैन्य संघर्ष के बीच नागरिक सुरक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका को समझते हुए सरकार इस संगठन को मजबूत करने का प्रयास कर रही है जिसके तहत दैनिक भत्ता से जुड़े मुद्दे, सायरन और एंबुलेंस की कमी को दूर किया जाएगा।
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नागरिक सुरक्षा को लेकर जागरुकता बढ़ाने के लिए आगामी शैक्षणिक सत्र से इंजीनियरिंग कॉलेज पाठ्यक्रम में इससे संबंधित एक कोर्स शुरू किया जाएगा।
नागरिक सुरक्षा निदेशक प्रभात कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि शैक्षणिक पाठ्यक्रम में नागरिक सुरक्षा पाठ्यक्रम को शामिल करने को अंतिम रूप देते हुए हाल में मुंबई विश्वविद्यालय और नागरिक सुरक्षा निदेशालय के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
यह पाठ्यक्रम मुंबई विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाया जाएगा और इसके लिए 25 अंक निर्धारित होंगे। कुमार ने कहा, ‘‘जो छात्र पढ़ाई के साथ-साथ देश सेवा करना चाहते हैं, उन्हें इस पाठ्यक्रम के माध्यम से एक अवसर मिलेगा।’’
उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को आपात स्थितियों में बचाव कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
विद्यार्थियों को आपात और युद्ध जैसी स्थिति में आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ, अग्निशमन दल और अस्पताल जैसे सरकारी तथा नागरिक विभागों के साथ काम करने के लिए तैयार किया जाएगा।
राज्य के तटीय जिलों सहित पुणे, नासिक और छत्रपति संभाजीनगर में आयोजित ‘मॉक ड्रिल’ के बाद नागरिक सुरक्षा पर और अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है। इन अभ्यासों का उद्देश्य स्वयंसेवकों और आम जनता के बीच जागरुकता बढ़ाना था।
‘मॉक ड्रिल’ में नागरिक सुरक्षा, होम गार्ड, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और अन्य आपातकालीन प्रतिक्रिया एजेंसियों के करीब 10,000 स्वयंसेवकों ने भाग लिया।
एक अधिकारी ने बताया कि सरकार नागरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए जरूरी कदम उठा रही है।
नागरिक सुरक्षा निदेशालय को लंबे समय से मानव संसाधन, वाहन, सायरन और प्रशिक्षण उपकरणों की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
हालांकि, उन्होंने उम्मीद जतायी कि ये आवश्यकताएं निकट भविष्य में पूरी कर दी जाएंगी। अधिकारी ने बताया कि नागरिक सुरक्षा के लिए स्वीकृत कर्मचारियों की संख्या 420 है, जबकि फिलहाल, राज्यभर में केवल 135 कर्मचारी के साथ काम किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि कुछ इकाइयों, जैसे रत्नागिरि और सिंधुदुर्ग में केवल एक-एक पूर्णकालिक सरकारी कर्मचारी ही तैनात हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘‘आपात स्थिति में नागरिक सुरक्षा को एंबुलेंस और वाहनों की जरूरत होती है। हालांकि, मौजूदा वाहनों में से कई खराब स्थिति में हैं और कुछ तो कबाड़ होने की कगार पर हैं।’’
वर्तमान में स्वयंसेवकों को प्रतिदिन सेवा के लिए 150 रुपये का भत्ता मिलता है। इसे बढ़ाकर 500 रुपये प्रतिदिन करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है।
अधिकारी ने बताया कि भत्ते में वृद्धि के प्रस्ताव के साथ-साथ कर्मचारियों की संख्या, प्रशिक्षण उपकरण और सायरन की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव भी भेजे गए हैं। उन्होंने बताया कि इन मांगों को लेकर सरकार का रुख सकारात्मक है।
भाषा राखी खारी
खारी
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.