मुम्बई: हॉप ऑन हॉप ऑफ सर्विस के लिए, स्पेशल बसें ख़रीदने के चार साल बाद, महाराष्ट्र सरकार अब उन्हें मुम्बई में, सैलानियों के लिए चलाने की तैयारी कर रही है.
ये 11 बसें, जिन्हें राज्य पर्यटन विभाग ने क़रीब 8 करोड़ रुपए में ख़रीदा था, 2018 की शुरूआत से मुम्बई के सांताक्रूज़ बस डिपो पर, एक कोने में खड़ी हुई थीं.
महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (एमटीडीसी) अब किसी कंपनी की तलाश में है, जो इन बसों का प्रबंधन और संचालन कर सके, और इसके लिए उसने एक टेंडर जारी किया है.
प्रमुख सचिव पर्यटन वलसा नायर सिंह ने कहा, ‘राज्य सरकार ने ये बसें 2016 में ख़रीदीं थीं. क़रीब एक महीने तक इन्हें चलाया भी गया, लेकिन फिर ये प्रोजेक्ट रुक गया. इसका बिज़नेस मॉडल शायद सही नहीं था, और इसका ज़्यादा प्रचार भी नहीं किया गया’.
उन्होंने ये भी कहा, ‘इस बार ये प्रोजेक्ट काम करेगा, क्योंकि हम इसमें बहुत सी नई जगहें जोड़ रहे हैं, और इन बसों को चलाने के लिए, टूरिस्ट सर्किट्स डिज़ाइन कर रहे हैं’.
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खुला ऊपरी डेक, पैंट्री, टूरिस्ट सर्किट्स
पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, कि एमटीडीसी को पहले इन 11 बसों की सर्विस कराकर, इन्हें बिल्कुल परफेक्ट हालत में लाना होगा, उसके बाद ही ये प्लान शुरू हो पाएगा.
एक बार एमटीडीसी को ऑपरेटर मिल जाता है, तो फिर उसके बाद निगम कई टूरिस्ट सर्किट्स तैयार करेगा, जैसे कि फ्रीडम सर्किट, जिसमें मणि भवन जैसे स्टॉप्स रखे जाएंगे, जो मुम्बई में महात्मा गांधी की सियासी गतिविधियों का केंद्र रहा था; उसके अलावा अगस्त क्रांति मैदान, जहां गांधीजी ने ‘भारत छोड़ो’ भाषण दिया था; बाल गंगाधर तिलक का आवास; और 1946 की नौसेना बग़ावत से जुड़ी जगहें भी शामिल होंगी.
मुम्बई के कुछ कम जाने पहचाने संग्रहालयों को, पर्यटन नक़्शे पर लाने के लिए निगम एक म्यूज़ियम सर्किट भी तैयार कर रहा है. सिंह ने कहा, ‘मुम्बई में 10-12 संग्रहालय हैं, लेकिन केवल छत्रपति शिवाजी वस्तु संग्रहालय, और कुछ हद तक, भाऊ दाजी लाड म्यूज़ियम ही लोकप्रिय हैं’.
उन्होंने आगे कहा कि पर्यटकों के लिए, होम डाइनिंग कॉन्सेप्ट को बढ़ावा देने की भी योजना है, और ऐसी जगहों को भविष्य में, हॉप ऑन हॉप ऑफ रूट में शामिल किया जा सकता है.
इसके अलावा एमटीडीसी, वांखेड़े स्टेडियम और बृहन्मुम्बई नगर निगम (बीएमसी) के हेरिटेज हेडक्वार्टर्स जैसी जगहों को भी, हॉप ऑन हॉप ऑफ नक़्शे पर लाने की योजना बना रहा है. राज्य पर्यटन विभाग ने हाल ही में इनके साथ एक समझौते पर दस्तख़त किए.
एमटीडीसी से मिली जानकारी के मुताबिक़, इन 11 वातानुकूलित बसों में 40-40 सीटें हैं. इनमें एक टॉयलेट है, और माइक्रोवेव अवन व कॉफी मेकर से लैस एक बेसिक पैंट्री है. इसके अलावा इनमें एक एंटरटेनमेंट सिस्टम, वाईफाई, और जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइसेज़ फिट हैं. इनमें से आधी बसों में एक खुला ऊपरी डेक है. एमटीडीसी की ऑडियो गाइड्स रखने की भी योजना है.
दिल्ली में 2010 से एक हॉप ऑन हॉप ऑफ सर्विस चल रही है, जब शहर में कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजित किए गए थे. चंडीगढ़ में भी ऐसी ही हॉप ऑन हॉप ऑफ सेवा चलती है.
2015 में बनी थी मूल योजना
मुम्बई में सैलानियों के लिए, हॉप ऑन हॉप ऑफ सेवा शुरू करने की योजना, 2015 में बननी शुरू हुई थी
उस समय तक एमटीडीसी ‘नीलांबरी’ नाम से एक ओपन डेक बस टुअर चलाती थी. एमटीडीसी इस टुअर को, बृहन्मुम्बई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (बेस्ट) की, एक ओपन डेक डबल डेकर बस से चलाती थी, और ये सेवा दक्षिण मुम्बई में वीकएंड्स पर, शाम के समय दो बैच में चलती थी.
वो टुअर गेटवे ऑफ इंडिया से शुरू होता था, और साउथ मुम्बई के मुख्य पर्यटन आकर्षण दिखाता था- जैसे मंत्रालय, मरीन ड्राइव, विधान भवन, एशियाटिक लाइब्रेरी, हुतात्मा चौक और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस- बिना किसी ठहराव के. सैलानियों की संख्या बहुत कम थी.
बीजेपी की आगुवाई वाली पिछली सरकार के अंतर्गत, राज्य पर्यटन विभाग ने, किसी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल की तर्ज़ पर, इस सेवा को फिर से शुरू करने का फैसला किया, और सितंबर 2016 में 11 शानदार बसें ख़रीद लीं.
हॉप ऑन हॉप ऑफ सेवा शुरू करने के लिए, एमटीडीसी ने बसें ख़रीदने से 6 महीने पहले ही, मार्च 2016 में एक निजी ऑपरेटर के साथ क़रार कर लिया. इन बसों का रजिस्ट्रेशन 2017 में पूरा कर लिया गया, लेकिन सर्विस कभी शुरू नहीं हुई, और निजी ऑपरेटर ने मार्च 2018 में, इन बसों को एमटीडीसी के हवाले कर दिया.
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