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Sunday, 31 August, 2025
होमदेश‘एजुकेट गर्ल्स’ को मैग्सायसाय पुरस्कार भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण: संस्था की संस्थापक सफीना हुसैन

‘एजुकेट गर्ल्स’ को मैग्सायसाय पुरस्कार भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण: संस्था की संस्थापक सफीना हुसैन

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मुंबई, 31 अगस्त (भाषा) ‘एजुकेट गर्ल्स’ की संस्थापक सफीना हुसैन ने रविवार को कहा कि संस्था को रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार के लिए चुना जाना भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण है और इसने देश के सुदूर गांव की एक लड़की से शुरू हुए जन-संचालित आंदोलन को वैश्विक सुर्खियों में ला दिया है।

रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार फाउंडेशन (आरएमएएफ) की ओर से यहां जारी एक बयान में कहा गया है कि ‘फाउंडेशन टू एजुकेट गर्ल्स ग्लोबली’, जिसे व्यापक रूप से ‘एजुकेट गर्ल्स’ के नाम से जाना जाता है, ने रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार प्राप्त करने वाला पहला भारतीय संगठन बनकर इतिहास रच दिया है।

आरएमएएफ के बयान में कहा गया है कि ‘लड़कियों और युवा महिलाओं की शिक्षा के माध्यम से सांस्कृतिक रूढ़िवादिता को दूर करने, उन्हें निरक्षरता के बंधन से मुक्त करने और उनके दक्षता विकास, साहस, ज़ज्बा बढ़ाने की प्रतिबद्धता के लिए’ ‘एजुकेट गर्ल्स’ को यह पुरस्कार दिया जा रहा है।

इस सम्मान पर हुसैन ने कहा, ‘रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार प्राप्त करने वाला पहला भारतीय गैर-लाभकारी संगठन बनना ‘एजुकेट गर्ल्स’ और देश के लिए ऐतिहासिक क्षण है। यह मान्यता लड़कियों की शिक्षा के लिए भारत के जन-संचालित आंदोलन पर वैश्विक प्रकाश डालती है, जो सुदूर गांव में एक लड़की से शुरू हुआ और पूरे समुदाय को नया रूप देने, परंपराओं को चुनौती देने और सोच बदलने में सफल रहा।’

उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार समर्पित टीम बालिका कार्यकर्ताओं, मूल्यवान साझेदारों, पैरोकारों और समर्थकों को सम्मानित करता है, तथा उन लाखों लड़कियों को मान्यता देता है जिन्होंने शिक्षा के अपने अधिकार को पुनः प्राप्त किया।

हुसैन ने कहा, ‘जब हम अगले दशक में एक करोड़ शिक्षार्थियों तक पहुंचने और इस योजना को भारत से बाहर साझा करने के लिए काम कर रहे हैं, तो हम उस वास्तविकता को आगे बढ़ा रहे हैं कि जब एक लड़की शिक्षित होती है, तो वह अपने साथ अन्य लड़कियों को भी शिक्षित करती है, जिससे परिवारों, पीढ़ियों और राष्ट्रों में परिवर्तन आता है।’

संस्था की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) गायत्री नायर लोबो ने कहा, ‘एजुकेट गर्ल्स में, हमारा मानना ​​है कि शिक्षा विकास के सबसे बड़े माध्यमों में से एक है। लेकिन इन सबसे बढ़कर, शिक्षा हर लड़की का मौलिक और अंतर्निहित अधिकार है। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार उस परिवर्तनकारी बदलाव को मान्यता देता है जो सरकार, परोपकारी संस्थाओं, निगमों और जमीनी स्तर के समुदायों के साथ साझेदारी के ज़रिए संभव है। ये सभी सामाजिक और व्यवस्थागत बाधाओं से निपटने और हर जगह लड़कियों के लिए समान और सुलभ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘हम भारत सरकार के प्रति उसके अभूतपूर्व प्रयासों के लिए तहे दिल से आभारी हैं, जिनकी बदौलत यह संभव हो पाया है। हमारे साथी पुरस्कार विजेताओं, शाहिना अली और फादर फ्लेवियानो विलानुएवा को हार्दिक बधाई, जिनका काम हम सभी को प्रेरित करता है।’

बयान में कहा गया है कि राजस्थान से शुरूआत करते हुए, ‘एजुकेट गर्ल्स’ ने लड़कियों की शिक्षा के मामले में सबसे जरूरतमंद समुदायों की पहचान की, स्कूल न जाने वाली या स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों को कक्षा में वापस लाया गया और उन्हें तब तक वहां रखने के लिए काम किया जब तक कि वे उच्च शिक्षा और लाभकारी रोजगार के लिए योग्यता हासिल करने में सक्षम नहीं हो गईं।

आरएमएएफ ने कहा, ‘इसकी शुरुआत 50 पायलट ग्राम स्कूलों से हुई, जो भारत के सबसे वंचित क्षेत्रों के 30,000 से अधिक गांवों तक पहुंचे, जिनमें 20 लाख से अधिक लड़कियां शामिल हुईं, तथा उनकी स्कूल में बने रहने की दर 90 प्रतिशत से अधिक रही।’

भाषा आशीष नेत्रपाल नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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