(ब्रजेन्द्र नाथ सिंह)
भोपाल, 24 अगस्त (भाषा) महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए गठित मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग खुद अपने लिए न्याय और अधिकारों की बाट जोह रहा है क्योंकि पिछले छह वर्षों से अधिक समय से इसके अध्यक्ष और सदस्यों के पद रिक्त हैं।
यह स्थिति तब है जब सरकारी आंकड़े ही राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध की बढ़ती घटनाओं की गवाही देते हैं। आंकड़ों के मुताबिक राज्य में प्रतिदिन बलात्कार के 20 और महिलाओं की गुमशुदगी के 38 मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आयोग में लगभग 26,000 मामले अंतिम निर्णय के लिए लंबित हैं और अध्यक्ष एवं सदस्यों के अभाव में इन शिकायतों पर फैसला नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं की शिकायतें सुनने के लिये यहां साल 2020 से सदस्यों की संयुक्त पीठ तक नहीं बैठी है।
राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि निश्चित तौर पर राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष का पद लंबे समय से खाली है और वह जल्द से जल्द इस पद को भरे जाने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगी।
उन्होंने कहा कि हालांकि यह मामला अदालत में लंबित है और यह भी एक अड़चन है।
उन्होंने स्वीकार किया कि पद रिक्त होने की वजह से निश्चित तौर पर कई शिकायतें लंबित हैं और फैसलों में देरी हो रही है।
मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग में सात सदस्य होते हैं, जिसमें छह सदस्य गैर-शासकीय जबकि एक सदस्य शासकीय होता है।
आयोग के अध्यक्ष का पद जनवरी 2019 से रिक्त है। सागर की वर्तमान सांसद लता वानखेड़े एक जनवरी 2016 से 2019 तक इसकी अध्यक्ष रहीं। इसके बाद तकरीबन एक साल तक यह पद खाली रहा और फिर 16 मार्च 2020 को कमलनाथ के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने कांग्रेस नेता शोभा ओझा को इस पद पर नियुक्त किया।
हालांकि, चार दिन बाद ही 20 मार्च 2020 को कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई और फिर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में गठित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष के तौर पर ओझा की नियुक्ति को रद्द कर दिया था।
ओझा ने इस कदम के खिलाफ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का रुख किया और अदालत ने 22 मई 2020 को दिए आदेश में उनके इस पद के मामले में यथास्थिति बनाए रखने को कहा।
बाद में ओझा ने शिवराज सरकार पर काम न करने देने और रोड़े अटकाने का आरोप लगाते हुए जून 2022 में अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
इंदौर से फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में ओझा ने राज्य की भाजपा सरकार पर महिलाओं के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘इतने लंबे समय तक इस महत्वपूर्ण पद का खाली रहना दर्शाता है कि यह सरकार महिलाओं के प्रति कितनी असंवेदनशील है।’
उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार को महिलाओं के खिलाफ अपराधों से कोई फर्क नहीं पड़ता।
उन्होंने कहा, ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में मध्यप्रदेश शीर्ष पांच राज्यों में शामिल है। आज भी महिलाएं मेरे पास शिकायतें लेकर आती हैं और मैं व्यक्तिगत तौर पर उनकी हरसंभव मदद करती हूं।’
मध्यप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध की स्थिति के बारे में विधानसभा के हाल ही में संपन्न हुए मानसून सत्र में सरकार ने बताया था कि एक जनवरी 2024 से 20 जून 2025 के बीच राज्य में बलात्कार के 10,840 मामले दर्ज किए गए जबकि 21,175 महिलाएं ऐसी थीं जो एक महीने से अधिक समय तक लापता रहीं।
इन आंकड़ों के लिहाज से मध्यप्रदेश में हर दिन लगभग 20 महिलाएं बलात्कार का शिकार जबकि 38 महिलाएं लापता हो रही हैं।
भाषा ब्रजेन्द्र शोभना जोहेब
जोहेब
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