भोपाल: मध्य प्रदेश में कांग्रेस का मंत्रिमंडल बनने के बाद खींचतान तेज हो गई है. कांग्रेस सरकार बनने के बाद एक तरफ अभी तक मंत्रिमंडल में विभागों का बंटवारा नहीं हो पाया है, दूसरी तरफ सुमावली विधायक एदल सिंह कसाना, मंदसौर विधायक हरदीप डांग और मानवर विधायक हीरालाल अलावा मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने से असंतुष्ट हैं और बगावत पर उतर आए हैं. उधर, कांग्रेस विधायक राजवर्धन सिंह ‘दत्तीगांव’ ने खुद को मंत्री न बनाने को जनता का अपमान बताकर इस्तीफे की धमकी दे डाली है.
पार्टी में मंत्री पद और विभागों के बंटवारे को लेकर मचे घमासान पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तंज कसा है. उन्होंने कहा कि विभाग बंटे बिना कैबिनेट हो रही है, प्रदेश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ. यदि ऐसा ही चलता रहा, तो सरकार कौन चलाएगा? मुख्यमंत्री चलाएंगे या उनके पीछे से अलग-अलग गुटों के नेता? या फिर वे मंत्री चलाएंगे, जिनकी डोर अलग-अलग नेताओं के हाथ में है. जब इतने सारे लोग सरकार को नियंत्रित करेंगे, तो सरकार कैसे चलेगी?
कइयों ने अपनाए बगावती तेवर
हीरालाल अलावा जय आदिवासी युवा शक्ति के संस्थापक हैं और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने हैं. अलावा का आरोप है कि कांग्रेस अपना वादा तोड़ रही है. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा है.
मीडिया से बात करते हुए विधायक हीरालाल अलावा ने कहा कि चुनाव में समर्थन मांगते वक्त राहुल गांधी ने उनसे वादा किया था कि सरकार में उनको भागीदारी मिलेगी. अलावा गुरुवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी मिले थे. दिप्रिंट के सूत्रों का कहना है कि उन्होंने कमलनाथ से मेडिकल शिक्षा विभाग मांगा है. उनके समर्थक विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर अभियान चला रहे हैं.
मुरैना के सुमावली से चुनाव जीते पूर्व मंत्री एदल सिंह कंसाना के समर्थक मंत्रियों के शपथ लेने के बाद से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. पार्टी की मुरैना जिले की विकासखंड इकाई के अध्यक्ष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और लोकसभा चुनाव में गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी है.
राजवर्धन हुए भावुक
कांग्रेस विधायक राजवर्धन सिंह ‘दत्तीगांव’ ने उन्हें मंत्री न बनाए जाने को क्षेत्र की जनता का अपमान बताया और विधायक पद से इस्तीफा देने की चेतावनी भी दे डाली.
कांग्रेस विधायक राजवर्धन सिंह गुरुवार शाम अपने विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. इसके बाद बड़ी संख्या में वहां के पंचायत प्रतिनिधियों ने पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर डाली.
उन्होंने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह, पूर्व उप मुख्यमंत्री जमुना देवी के रिश्तेदार उमंग सिंघार, सुभाष यादव के बेटे सचिन यादव को मंत्री बना दिया गया. मेरे पिता साधारण व्यक्ति थे इसलिए मुझे मंत्री नहीं बनाया गया. यह मेरा नहीं क्षेत्र की जनता का अपमान है.’
संबोधन के दौरान राजवर्धन भावुक हो गए और कहा कि उनके खून में दोगलापन नहीं है. पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने टिकट दिलाया था, वह इस्तीफा भी सिंधिया को सौंपेगे.
मुरैना ब्लॉक अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा
मध्य प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की वापसी के बाद क्षेत्रीय नेताओं के सुर उठने लगे हैं. पार्टी की मुरैना जिले की विकासखंड इकाई के अध्यक्ष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और लोकसभा चुनाव में गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी है.
राज्य में कमलनाथ मंत्रिमंडल के 28 मंत्रियों ने शपथ ले ली है, मगर मंत्री बनने का सपना संजोए कई नेता मंत्री नहीं बन पाए. उनके समर्थकों ने अब पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मुरैना के सुमावली से चुनाव जीते पूर्व मंत्री एदल सिंह कंसाना के समर्थक मंत्रियों के शपथ लेने के बाद से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
मुरैना जिले की बागचीनी विकासखंड इकाई के अध्यक्ष मदन शर्मा ने गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को अपना इस्तीफा लिख भेजा है. शर्मा का पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि मुरैना-श्योपुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस को बड़ी सफलता मिली है, मगर मंत्री किसी भी विधायक को नहीं बनाया गया है. लिहाजा, इससे कार्यकर्ताओं में असंतोष है, इसके चलते आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी को बड़ा नुकसान होना तय है.
शर्मा ने अपने पद से इस्तीफा देते हुए कमलनाथ के प्रति आभार जताया है कि मुख्यमंत्री बनते ही किसानों का कर्ज माफ कर दिया और गौशालाओं की स्थापना की जा रही है.
विभागों के बंटवारे में हो रही देरी
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता में वापसी के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ और मंत्रियों ने शपथ ले ली है, मगर मंत्रियों के बीच विभाग का बंटवारा अभी नहीं हो पाया है. इससे कांग्रेस के भीतर चल रहे विवाद की चर्चाएं हर तरफ हैं. राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर कमलनाथ ने 17 दिसंबर को शपथ ली थी. मंत्रियों का शपथ ग्रहण 24 दिसंबर को हो पाया था. 28 मंत्रियों के शपथ लिए तीन दिन बीत गए, मगर विभागों का बंटवारा नहीं हो पाया है.
राजनीति के गलियारों में जो चर्चाएं सामने आ रही हैं, वे कांग्रेस में ‘सब कुछ सामान्य न होने’ की ओर इशारा कर रही हैं. मंत्रिमंडल की बैठकों का दौर जारी है, अनौपचारिक बैठक कांग्रेस कार्यालय में हुई, उसके बाद मंत्रालय में बैठक हुई.
राजनीति के जानकारों का कहना है कि आम तौर पर कैबिनेट की पहली ही बैठक के समय मंत्रियों को उनके विभाग बता दिए जाते हैं, मगर अरसे बाद ऐसा हो रहा है कि एक नहीं, कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन विभागों का वितरण नहीं हो पाया है.
पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की गुटबाजी एक बार फिर विभागों के बंटवारे को लेकर सामने आने लगी हैं. बड़े नेता अपने-अपने समर्थक को प्रमुख विभाग दिलाना चाह रहे हैं, जबकि पार्टी हाईकमान तक मुख्यमंत्री की सूची पहले ही पहुंच चुकी है और इस पर मुहर भी लग चुकी है, मगर राज्य के कई नेता दबाव की राजनीति अपना रहे हैं, इसी के चलते सूची जारी नहीं हो पा रही है.
सोशल मीडिया पर लगातार मंत्रियों के नाम के साथ विभाग की अनुमानित सूचियां वायरल हो रही हैं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा इन सूचियों को फर्जी बता रहे हैं.
मप्र में सरकार कौन चलाएगा?
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस की सरकार बनने मगर मंत्रियों के विभागों का बंटवारा न हो पाने पर तंज सका है. उन्होंने कहा कि विभागों के बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान से पता ही नहीं चल पा रहा है कि सरकार कौन चलाएगा.
चौहान ने संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस सरकार के मंत्रियों की शपथ तो हो गई, लेकिन विभाग अब तक तय नहीं हुए हैं. बिना विभाग तय हुए, कैबिनेट की बैठकें हो रही हैं. मंत्री तय हो गए, तो अब विभागों के लिए पार्टी में रस्साकशी और मारकाट मची है. हर नेता कहता है, मेरे मंत्री को ये विभाग चाहिए. इसी खींचतान के चलते अब तक विभाग तय नहीं हो सके.
उन्होंने कहा कि मंत्रियों को जल्द ही विभाग दिए जाने चाहिए और सरकार को तेजी से काम करना चाहिए.
पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि प्रदेश में विकास की निरंतरता बनी रहे, कल्याणकारी योजनाएं चालू रहें, कांग्रेस ने जनता को जो वचन दिए हैं, उन्हें निभाया जाए, लेकिन जो चल रहा है, उसे देख मैं चितित हूं. पहले उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री की शपथ के बाद मंत्री तत्काल तय होंगे और शपथ हो जाएगी, लेकिन मुख्यमंत्री और मंत्रियों की शपथ के बीच में जो अंतराल आया, वह चिता का विषय है. मंत्री तय करना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, लेकिन इस सरकार में मुख्यमंत्री मंत्री नहीं बना रहे, बल्कि अलग-अलग गुटों के नेता मंत्री बना रहे हैं. सभी का कोटा तय हो गया है, किसके कितने मंत्री होंगे.’
(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ)