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Saturday, 16 November, 2024
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MP लव जिहाद क़ानून में तलाक़ भत्ता और अभियुक्त की संपत्ति कुर्क करने का हो सकता है प्रावधान

मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है, कि उन्होंने कुछ ऐसे प्रावधान जोड़े हैं, जो अन्य बीजेपी-शासित राज्यों द्वारा पारित क़ानूनों में नहीं हैं. कांग्रेस का कहना है कि क़ानून किसी होड़ में नहीं बनाया जाना चाहिए.

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भोपाल: ज़्यादा कड़ा ‘लव जिहाद’ क़ानून बनाकर, अन्य बीजेपी-शासित राज्यों से आगे निकलने की होड़ में मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि वो क़ानून में अभियुक्त की सम्पत्ति कुर्क करने और तलाक़ की स्थिति में पीड़िता को गुज़ारा भत्ता देने के प्रावधान जोड़ेगी.

राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने रविवार को पत्रकारों को बताया, ‘शीध्र ही ‘लव जिहाद’ बिल कैबिनेट के समक्ष लाया जाएगा. हमने इसमें कई प्रावधान जोड़े हैं, जो अन्य राज्यों में बनाए जा रहे क़ानूनों में नहीं हैं. हम इसमें संपत्ति (अभियुक्त की) की कुर्की और तलाक़ की सूरत में गुज़ारा भत्ता देने के प्रावधान जोड़ेंगे. हम इस पर भी विचार कर रहे हैं कि क्या छोड़े गए व्यक्ति (लव जिहाद की तथाकथित पीड़िता) को गुज़ारा भत्ता मिल सकता है’.

शिवराज सिंह चौहान सरकार ने पहले ही घोषणा कर दी है कि मध्य प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल 2020, विधान सभा के तीन दिवसीय सत्र में पेश किया जाएगा, जो 28 दिसंबर को शुरू होगा.

सीएम तथा गृहमंत्री दोनों ने, प्रस्तावित बिल को ‘लव जिहाद’ क़ानून कहकर बुलाया है.

शनिवार को, चौहान ने सचिवालय में शीर्ष अधिकारियों के साथ प्रस्तावित बिल के प्रारूप पर चर्चा की थी. लेकिन मिश्रा उस बैठक में मौजूद नहीं थे.

कुछ प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा करने से पहले, सीएम ने एक बयान में कहा, ‘राज्य में कोई भी व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से या अन्यथा, शादी या धोखाधड़ी से, डरा-धमकाकर, छल या बल से, किसी दूसरे व्यक्ति को एक, धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित नहीं कर पाएगा’.

प्रस्तावित बिल में अधिकतम 10 वर्ष की सज़ा का प्रावधान है और ये साबित करने का ज़िम्मा- कि कोई धर्मांतरण नहीं हुआ है- अभियुक्त पर डाल दिया गया है.

प्रभावित व्यक्ति के अलावा, उसके मां-बाप, या रक्त संबंधी भी शिकायत दर्ज कर पाएंगे. अपराध संज्ञेय और ग़ैर-ज़मानती होगा और केवल सेशंस कोर्ट मामले की सुनवाई करेगी. धर्मांतरण के इरादे से की गई शादियां अवैध मानी जाएंगी.

अगर पीड़िता नाबालिग़ है, महिला है, अथवा एससी/एसएसटी समुदाय से है तो ऐसी सूरत में बिल में, दो से 10 साल तक की सज़ा और कम से कम 50,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है.

धर्म छिपाने की कोशिश करने पर, तीन से 10 साल तक की जेल और कम से कम 50,000 रुपए तक जुर्माना हो सकता है.

सामूहिक धर्मांतरण (दो या उससे अधिक लोग) के लिए, पांच से 10 साल तक की क़ैद और कम से कम एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है.


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अन्य प्रावधान

इस बीच रविवार को गृहमंत्री ने कहा कि इस तरह की शादियां करा रहीं संस्थाओं, ऐसी शादियों के लिए दान देने वाली संस्थाओं और दान प्राप्त करने वाली संस्थाओं के पंजीकरण रद्द कर दिए जाएंगे.

उन्होंने कहा कि पुजारी, गुरू और मौलवी भी, जो ऐसी शादियां कराते हैं दंडित किए जाएंगे. प्रस्तावित क़ानून के अंतर्गत, ऐसी सभी शादियों के लिए ज़िला मजिस्ट्रेट को पूर्व सूचना देनी अनिवार्य होगी.

मिश्रा ने आगे कहा कि कुछ और उपाय भी विचाराधीन हैं, चूंकि एमपी सबसे कड़ा क़ानून बनाना चाहता है.

योगी आदित्यनाथ सरकार पहले ही ऐसा क़ानून ले आई है, जबकि हरियाणा, कर्नाटक, असम जैसे अन्य बीजेपी-शासित राज्यों ने कहा है कि वो भी ऐसे क़ानून ला रहे हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार पिछले महीने ‘लव जिहाद’ अध्यादेश लेकर आई थी, जिसमें अधिकतम 10 साल की सज़ा का प्रावधान है. एमपी ने तथाकथित ‘लव जिहाद’ से जुड़े मामलों के लिए शुरू में पांच साल की सज़ा का प्रावधान था, लेकिन बाद में सज़ा को दोगुना करके 10 साल कर दिया.

सोमवार को, एक बयान में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष, वीडी शर्मा ने दावा किया कि मध्य प्रदेश तथा अन्य राज्यों से, ‘लव जिहाद’ के ज़्यादा से ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं.

बीजेपी लीडर ने आगे कहा, ‘चौहान सरकार द्वारा प्रस्तावित क़ानून, ऐसे तत्वों को क़ाबू में रखेगा और अन्य सूबों के पालन के लिए मिसाल क़ायम करेगा’.

उन्होंने कहा कि हर किसी को शादी की आज़ादी है, लेकिन ये क़ानून उन लोगों के लिए है, जो अपनी पहचान बदलकर शादियां करते हैं, जो गुमराह करके और दबाव डालकर धर्मांतरण कराते हैं. उन्होंने आगे कहा कि ‘लव जिहाद’ शब्दों का प्रयोग केरल हाईकोर्ट ने किया था.

‘क़ानून किसी होड़ में नहीं बनाया जाना चाहिए’

इस बीच कांग्रेस ने कहा है कि ‘क़ानून किसी होड़ में नहीं बनाया जाना चाहिए’.

कांग्रेस नेता दुर्गेश शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, ‘कोई भी क़ानून जो किसी होड़ से निकला है, कामयाब नहीं होगा. इससे न केवल क़ानून कमज़ोर होगा, बल्कि उसे लागू करना भी मुश्किल होगा’.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस क़ानून के ख़िलाफ नहीं, बल्कि उस संभावना के खिलाफ है कि इससे भेदभाव बढ़ेगा और राजनीतिक रूप से स्वार्थी हित साधे जाएंगे.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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