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Saturday, 23 November, 2024
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मध्य प्रदेश में ‘पानी के अधिकार’ पर खर्च होंगे 1000 करोड़ रुपये

मध्य प्रदेश की इस साल की स्थिति पर गौर करें तो राज्य के 52 जिलों में से 35 जिलों में जल संकट की मार रही. तालाब, कुओं से लेकर अन्य जल संरचनाओं में भी पानी नहीं बचा है.

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भोपाल : मध्य प्रदेश का बड़ा हिस्सा हर साल पानी के संकट से जूझता है और लोगों को पानी की तलाश में कई-कई किलोमीटर का रास्ता तय करना होता है. इन हालातों से मुक्ति दिलाने के मकसद से राज्य सरकार ‘जल का अधिकार’ कानून बनाने जा रही है. इसके जरिए हर व्यक्ति को पीने का पानी हासिल करने का अधिकार मिल जाएगा. इसके लिए सरकार ने इस साल 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. राज्य में हर साल जल संकट गहराता है. इस साल की स्थिति पर गौर करें तो राज्य के 52 जिलों में से 35 जिलों में जल संकट की मार रही. तालाब, कुओं से लेकर अन्य जल संरचनाओं में भी पानी नहीं बचा है. शहरी और ग्रामीण इलाकों में पानी की अनुपलब्धता बड़ी समस्या है. इसके चलते लोगों को पानी का इंतजाम करने के लिए कई-कई घंटों का समय बर्बाद करने के साथ-साथ कई-कई किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता है.

आंकड़े बताते हैं कि, इस साल राज्य में लगभग 4,000 ऐसे गांव थे, जहां लोगों को पानी के संकट से जूझना पड़ा था. यही हाल शहरी इलाकों का रहा. जून माह में राज्य के 146 नगरीय निकाय ऐसे थे, जहां नियमित तौर पर हर रोज पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही थी. राज्य के 378 नगरीय क्षेत्रों में से 32 नगरीय निकायों में टैंकरों के जरिए पानी पहुंचाया गया, तो 96 नगरीय क्षेत्रों में एक दिन, 28 में दो दिन और एक नगरीय निकाय में तीन दिन के अंतराल से जलापूर्ति की गई. प्रदेश के कुल 378 नगरीय निकायों में से 258 निकायों में प्रतिदिन पानी की आपूर्ति हुई.

राज्य के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने आईएएनएस से कहा, ‘राज्य सरकार का लक्ष्य हर व्यक्ति और हर खेत को पानी पहुंचाने का है, यही कारण है कि, बीते साल के आम बजट की तुलना में इस बार ग्रामीण पेयजल की राशि में 46 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है. सरकार लोगों की पानी संबंधी जरुरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. यही कारण है कि, सरकार ने ‘पानी का अधिकार’ लागू करने का मन बनाया है.’

पांसे ने आगे कहा, ‘राज्य सरकार ने जल के सम्यक उपयोग, जल स्त्रोतों के संरक्षण और पेयजल गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए ‘जल का अधिकार’ अधिनियम बनाया है. इससे आने वाली पीढ़ियों का भविष्य भी सुरक्षित होगा. इस बार के बजट में जल अधिकार के लिए 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.’

जल संसाधन मंत्री पांसे का दावा है, ‘एक तरफ राज्य में सिंचाई का रकबा बढ़ेगा, वहीं आम लोगों को जरुरत का पानी आसानी से मिल सकेगा, जिसके चलते आम आदमी की जिंदगी में बदलाव आएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि जिन इलाकों में लोगों को पानी के संकट से दो-चार होना पड़ता है, उनकी दिनचर्या ही पानी के इर्दगिर्द सिमट कर रह जाती है.’

सूत्रों का कहना है कि कि राज्य सरकार ने ‘जल का अधिकार’ अधिनियम का प्रारूप तैयार करना शुरू कर दिया है, इसके लिए विभिन्न विशेषज्ञों से संवाद किया जा रहा है, उनके सुझाव लिए जा रहे हैं. सभी के सुझावों को इस प्रारूप में समाहित कर एक बेहतर अधिनियम बनाने की कवायद जारी है. इसके लिए राजधानी में पिछले दिनों देश भर के जल और पर्यावरण विशेषज्ञों की कार्यशाला आयोजित की गई थी. इस कार्यशाला में आए सुझावों पर भी सरकार विचार कर रही है.

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री पांसे का कहना है, ‘राज्य सरकार की मंशा जल संग्रहण क्षमता को बढ़ाने और पुरानी जल संरचनाओं को पुर्नजीवित करने की है, ऐसा करने से भूगर्भीय जल स्तर को ऊपर लाने में मदद मिलेगी. सरकार चाहती है कि बारिश का पानी बह नहीं पाए और ज्यादा से ज्यादा वर्षा जल को संग्रहित किया जा सके.’

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