मुंबई: 2019 के पायल तड़वी खुदकुशी मामले की याद दिलाते हुए- जिसने कथित जातिवादी दुर्व्यवहार के बाद जान दे दी थी- मुंबई में एक और मेडिकल छात्र ने अपने साथी छात्रों के हाथों, जाति के आधार पर परेशान किए जाने का आरोप लगाया है.
लेकिन, मुंबई के बृहन्मुम्बई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा संचालित, किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल (केईएमएच) में पढ़ रहे 24 वर्षीय अनुसूचित जाति छात्र सुगत पडगान के एफआईआर दर्ज कराने के दो हफ्ते बाद भी पुलिस ने अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है.
एफआईआर में 17 साथी छात्रों और अस्पताल के स्टाफ का उल्लेख है, जिनपर आरोप है कि उन्होंने या तो सीधे तौर पर पडगान को परेशान किया या इस हरकत का समर्थन किया और प्रताड़ना को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.
एफआईआर के अनुसार, जिसकी एक कॉपी दिप्रिंट के पास है, 17 छात्रों पर अनुसूचित जाति तथा अनूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989, महाराष्ट्र रैगिंग प्रतिषेध अधिनियम,1999 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 504 (जानबूझकर अपमानित करना और उससे किसी व्यक्ति को भड़काना) और 506 (आपराधिक रूप से धमकाना) के अंतर्गत आरोप लगाए गए हैं.
अस्पताल के ऑक्युपेशनल थिरेपी स्कूल एंड सेंटर के तीसरे वर्ष के पोस्ट ग्रेजुएशन छात्र पडगान ने दिप्रिंट को बताया, ‘पंचनामा बना लिया गया है लेकिन जहां तक मुझे मालूम है, अभी तक कोई दूसरी कार्रवाई नहीं की गई है’.
पुलिस ने पुष्टि की है कि अभी तक इस केस में कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है लेकिन उसने आगे कुछ भी कहने से मना कर दिया. दिप्रिंट ने फोन के ज़रिए मुंबई पुलिस के भोईवाड़ा डिवीज़न की सहायक पुलिस आयुक्त, संगीता पाटिल से संपर्क किया जो इस केस को देख रही हैं लेकिन उन्होंने कोई भी तफसील बताने से इनकार कर दिया. पाटिल ने दिप्रिंट से कहा, ‘जांच चल रही है. जांच की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा’.
दिप्रिंट ने फोन पर केईएमएच डीन संगीता रावत से भी टिप्पणी के लिए संपर्क किया लेकिन उन्होंने ये कहते हुए मना कर दिया कि मामला विचाराधीन है. शहर में निगर निकाय द्वारा चलाए जा रहे अस्पतालों के निदेशक, डॉ रमेश भारमल को भेजे गए लिखित संदेशों का भी कोई जवाब नहीं मिला.
दो अभियुक्तों से भी फोन पर संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
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‘धमकियां मिलीं, दुर्व्यवहार हुआ, जातिवादी गालियां सुननी पड़ीं’
2019 में एक और बीएमसी-चालित अस्पताल, बीवाईएल नायर अस्पताल में स्त्री रोग विज्ञान की एक पोस्ट ग्रेजुएट छात्रा, पायल तड़वी ने अपने हॉस्टल के कमरे में खुदकुशी कर ली थी. उसकी मौत के बाद तड़वी के परिवार ने उसके वरिष्ठों पर उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया. 26 वर्षीय छात्रा का ताल्लुक अनुसूचित जनजाति से था.
तड़वी परिवार ने आरोप लगाया था कि बार-बार ज़बानी और लिखित शिकायतों के बाद भी कॉलेज प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. केस की फिलहाल बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है.
मूल रूप से महाराष्ट्र के हिंगोली ज़िले का निवासी पडगान, सितंबर 2018 में मेडिकल की पढ़ाई के लिए मुंबई आया था और उसका दावा है कि कुछ समय बाद दिसंबर से ही, साथी छात्रों ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया. अभियुक्त अक्सर उससे बरतन धुलवाते थे, अपने कपड़े धुलवाते थे और कॉलेज परिसर तथा हॉस्टल के फर्श पर झाड़ू लगवाते थे.
एफआईआर में ये भी कहा गया कि पडगान को अभियुक्तों के लिए, किराने का सामान और दूसरी चीज़ें लाने के लिए भेजा जाता था, और काम न करने पर उसे जातिसूचक गालियां सुननी पड़ती थी.
एफआईआर में अभियुक्तों का ये कहते हुए हवाला दिया गया है, ‘तुम अनुसूचित जाति समुदाय से हो, यहां पढ़ने के लिए क्यों आए हो?’
पडगान ने दिप्रिंट को बताया, ‘तीन साथी छात्रों ने मुझे धमकाया, दुर्व्यवहार किया और जातिसूचक गालियां दी. कभी-कभी वो ये भी कहते थे कि अगर मैं ज़ोर-ज़ोर से बोलूंगा, तो वो मुझे हॉस्टल बिल्डिंग की 8वीं मंज़िल से नीचे फेंक देंगे’.
पडगान ने कहा कि निरंतर लड़ाईयों और अपनी सुरक्षा के डर से जनवरी 2019 में वो अपने गांव वापस लौट गया और दो महीने तक वापस नहीं आया. वापस आने के बाद उसने क्लास इंचार्ज को बताया और फिर अप्रैल में संस्थान की एंटी-रैगिंग कमेटी से भी शिकायत की. उसने कहा कि इसके बाद उसी महीने संस्थान के डीन को भी शिकायत दी गई थी.
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‘किसी ने नहीं सुना’
लेकिन एफआईआर में पडगान का दावा है कि उसकी सहायता करना तो दूर, कमेटी ने उल्टे उससे कह दिया कि किसी ने उसकी रैगिंग नहीं की थी और अगर वो संस्थान से निष्कासित नहीं होना चाहता, तो उसे फिर से शिकायत नहीं करनी चाहिए.
पडगान ने आरोप लगाया, ‘कम उपस्थिति का हवाला देते हुए कॉलेज ने मुझे 2019-2020 के इम्तिहान में नहीं बैठने दिया. मैंने कॉलेज से विनती की कि मेरी हाज़िरी रैगिंग और उत्पीड़न की वजह से कम थी लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी’. 24 वर्षीय छात्र का दावा है कि इस कारण से उसने अपना एक शैक्षणिक वर्ष गंवा दिया.
पडगान ने कहा कि 17 दिसंबर 2021 को, वो एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस के पास गया लेकिन उसका आरोप है कि उसकी शिकायत तुरंत दर्ज नहीं की गई.
पडगान ने कहा कि इसके बाद वो कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं के पास गया, जो 23 दिसंबर 2021 को उसे महाराष्ट्र एससी-एसटी आयोग के पास ले गए. कमीशन के अध्यक्ष जेएम अभ्यंकर ने कहा कि 30 दिसंबर को कमीशन में सुनवाई के बाद, उन्होंने पुलिस को इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया और कॉलेज से मामले की जांच शुरू कराने को कहा.
अभ्यंकर के अनुसार, उन्हें मिलने वाली 30 प्रतिशत शिकायतों का संबंध भेदभाव या जातिसूचक गालियों से होता है.
उन्होंने कहा, ‘किसी घटना का हो जाना एक बात है लेकिन उसके बारे में शिकायत दर्ज होना बिल्कुल अलग बात है. बहुत से लोगों, खासकर ग्रामीण आबादी को इसकी जानकारी नहीं है और वो शिकायत करने के लिए आगे नहीं आते’.
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