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शुक्रवार, 4 जुलाई, 2025
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उपराज्यपाल ने दिल्ली के मुख्य सचिव से शराब लाइसेंस आवंटन में कथित अनियमितताओं पर रिपोर्ट मांगी

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नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने समूह एकाधिकार को बढ़ावा देने और शराब के लाइसेंस के लिए काली सूची में डाली गईं कंपनियों का पक्ष लेने के आरोपों पर मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

मामला आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की आबकारी नीति 2021-22 से जुड़ा है।

दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग की ओर से संबंधित घटनाक्रम पर तत्काल कोई टिप्पणी उपलब्ध नहीं हुई।

विधिवेत्ताओं, वकीलों और प्रबुद्ध नागरिकों के एक प्रतिष्ठित संगठन द्वारा की गई शिकायत के बाद 15 दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है।

सूत्रों ने संगठन के नाम का खुलासा करने से इनकार किया।

एक सूत्र ने कहा, ‘‘उपराज्यपाल ने विधिवेत्ताओं, वकीलों और प्रबुद्ध नागरिकों के एक संगठन द्वारा दी गई शिकायत जांच और सत्यापन के लिए मुख्य सचिव को भेजी है और उनसे उन्हें तथा मुख्यमंत्री को एक पखवाड़े के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। इस शिकायत में शराब के ठेकों के लाइसेंस देने में प्रथम दृष्टया गंभीर अनियमितताओं की बात कही गई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘समूह एकाधिकार को बढ़ावा देने और काली सूची में डाली गईं कंपनियों का पक्ष लेने का आरोप लगाने वाली शिकायत में कहा गया है कि यह काम नयी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 का जानबूझकर और पूर्व नियोजित उल्लंघन करते हुए किया गया। उपराज्यपाल रिपोर्ट के आधार पर कानून के मुताबिक उचित कार्रवाई करेंगे।’’

उपराज्यपाल ने पिछले हफ्ते केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति 2021-22 से संबंधित कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।

वह नीति के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं और चूक में अधिकारियों की भूमिका पर मुख्य सचिव से पहले ही रिपोर्ट मांग चुके हैं।

नवंबर 2021 में लागू की गई आबकारी नीति 2021-22 के तहत 849 खुदरा शराब दुकानों को खुली बोली के जरिए लाइसेंस दिए गए। शहर को 32 क्षेत्रों में विभाजित किया गया था और प्रत्येक बोली लगाने वाले को अधिकतम दो जोनल लाइसेंस रखने की अनुमति दी गई थी।

भाषा नेत्रपाल दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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