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रविवार, 8 जून, 2025
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लंदन इंदौर की ‘जनभागीदारी’ अवधारणा से सीख सकता है: लंदन के उपमहापौर

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गांधीनगर, छह जुलाई (भाषा) लंदन के उपमहापौर राजेश अग्रवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि ब्रिटेन की राजधानी, मध्य प्रदेश के इंदौर से ‘जनभागीदारी’ सीख सकती है। सबसे साफ शहरों को लेकर केंद्र सरकार के ‘स्वच्छता सर्वेक्षण’ में इंदौर लगातार छह साल से शीर्ष पर बना हुआ है।

अग्रवाल ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए परिवहन के बुनियादी ढांचे में निवेश जारी रखने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि लोगों को अपनी कारों के बजाय सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। अग्रवाल का जन्म इंदौर में हुआ था और करीब दो दशक पहले वह लंदन चले गए थे।

उन्होंने कहा, “जनभागीदारी ने इंदौर को भारत का सबसे स्वच्छ शहर बनाने में मदद की। लोगों की मानसिकता बदलने में समय लगता है। लेकिन, इतने कम समय में पूरी आबादी की मानसिकता कैसे बदल गई, यह असाधारण है।”

अग्रवाल ने कहा, “इंदौर का मामला साबित करता है कि अगर लोग कुछ बदलने के लिए साथ जुड़ जाएं तो हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं। लंदन निश्चित रूप से यह सीख सकता है कि जनभागीदारी के माध्यम से लक्ष्य कैसे हासिल किए जा सकते हैं।”

अग्रवाल भारत की जी-20 की अध्यक्षता के तहत सात और आठ जुलाई को होने वाले ‘अर्बन20’ या यू20 महापौर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए गुजरात आए हैं।

जब उनसे पूछा गया कि भारतीय शहर लंदन से क्या सीख सकते हैं, तो उन्होंने कहा, ‘लंदन का बस नेटवर्क जबर्दस्त है। इसके अलावा लंदन में भूमिगत रेलवे नेटवर्क भी है और शहर के कुछ इलाकों में ट्राम भी है।’

अग्रवाल ने कहा कि सड़कों को चौड़ा करना शहरों में यातायात जाम का समाधान नहीं है। उन्होंने कहा, ‘लंदन एक पुराना शहर है, इसलिए सड़कों को चौड़ा करना हर समस्या का समाधान नहीं हो सकता है, क्योंकि इसकी एक सीमा है।”

उन्होंने कहा कि कितनी कारों को सड़कों पर चलवा सकते हैं? इसलिए “सड़कों को चौड़ा करने के बजाय, हमें सड़कों पर कारों की संख्या कम करने की ज़रूरत है।’

अग्रवाल ने कहा कि वह चाहते हैं कि अधिक से अधिक भारतीय कंपनियां लंदन आएं और वैश्विक विस्तार के लिए शहर को अपने आधार के रूप में इस्तेमाल करें।

उन्होंने कहा, “सात साल पहले जब मैं पहली बार उपमहापौर बना था तब भारत लंदन में चौथा सबसे बड़ा निवेशक था। अब, भारत लंदन में सबसे बड़ा निवेशक है। भारतीय कंपनियां अब विश्वस्तर पर विस्तार कर रही हैं और वे लंदन को एक केंद्र के रूप में उपयोग कर रही हैं। हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक भारतीय कंपनियां लंदन आएं और इसे वैश्विक विस्तार के लिए अपने आधार के रूप में उपयोग करें।”

भाषा नोमान सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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