नयी दिल्ली, 24 फरवरी (भाषा) दिल्ली सरकार ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि आम आदमी पार्टी (आप) के 2020 के चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे के मुताबिक लोकायुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है।
दिल्ली सरकार ने एक जनहित याचिका के जवाब में यह जानकारी दी। याचिका में पार्टी द्वारा अपने चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे के अनुसार एक महीने के भीतर यहां की सरकार को लोकायुक्त नियुक्त करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील की दलील पर गौर करते हुए मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल तय की है।
याचिकाकर्ता एवं अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा था कि राजनीतिक दल ऐतिहासिक भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बाद अस्तित्व में आया था, लेकिन दिसंबर 2020 से लोकायुक्त का पद खाली पड़ा है।
दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि इस संबंध में एक बैठक बुलाई गई है और नियुक्ति के लिए एक नाम की सिफारिश की गई है और प्रक्रिया जारी है।
याचिका में आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार रिश्वतखोरी, काला धन, बेनामी सम्पत्ति, कर चोरी, मुनाफाखोरी समेत अन्य आर्थिक अपराध को खत्म करने के लिए कदम नहीं उठा रही है, लिहाज़ा मौलिक अधिकारों के संरक्षक के नाते अदालत को लोकायुक्त की नियुक्त के मामले में दखल देना पड़ेगा।
याचिका में कहा गया कि, ‘‘ न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल के दिल्ली लोकायुक्त के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद से सरकार ने आज तक इस पद पर नियुक्ति के लिए कुछ नहीं किया और भ्रष्टाचार से संबंधित सैकड़ों शिकायतें कार्यालय में लंबित हैं। ’’
याचिका में कहा गया, ‘‘ ऐतिहासिक भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बाद आप का गठन किया गया था लेकिन वही पार्टी लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर रही है जो कई मोर्चों पर राज्य के खराब प्रदर्शन की पुष्टि करता है।’’
याचिका में कहा गया है कि आप ने 2015 और 2020 के चुनावी घोषणा पत्र में कड़ा और प्रभावी जन लोकपाल विधेयक लाने का वादा किया था, लेकिन कानून बनाने के बजाय, यह 1995 के अधिनियम के तहत लोकायुक्त की नियुक्ति भी नहीं कर रही है और विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित सैकड़ों गंभीर शिकायतें लोकायुक्त कार्यालय में लंबित हैं।
भाषा निहारिका अनूप
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