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Wednesday, 16 July, 2025
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लोकसभा चुनाव के नतीजे ने भारत को ‘सांस लेने’ का मौका दिया: मनीष तिवारी

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नयी दिल्ली, 28 अगस्त (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे संख्या बल के लिहाज से नहीं, बल्कि इस मायने में अहम हैं कि एक बार फिर से भारत को ‘‘सांस लेने’’ और इसके संस्थानों को काम करने का मौका मिला है।

उन्होंने ‘पीटीआई’ के विशेष कार्यक्रम ‘@4पार्लियामेंट स्ट्रीट’ में समाचार एजेंसी के संपादकों के साथ बातचीत में यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस बात को स्वीकार करे या न करे, लेकिन कुछ मुद्दों पर सरकार के हालिया ‘‘यू-टर्न’’ गठबंधन राजनीति की वास्तविकताओं को दर्शाते हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री तिवारी का मानना ​​है कि भारत को ‘‘लोकतांत्रिक सुधारों की दूसरी लहर’’ की जरूरत है तथा देश की, लोकतांत्रिक ढांचे को रेखांकित करने वाली संरचनाओं को वास्तव में अधिक सहभागी, समावेशी और लोकतांत्रिक बनाने की आवश्यकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी आगामी विधानसभा चुनावों में जीत की ओर बढ़ रहे हैं, जिसका राष्ट्रीय राजनीति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद के परिदृश्य के बारे में पूछे जाने पर तिवारी ने कहा, ‘‘आपको 2023 के नवंबर-दिसंबर तक, पीछे जाने की जरूरत है, जो 2003 के नवंबर-दिसंबर के समान थे। उस समय भी भाजपा ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल की थी। यह ‘भारत उदय’ (इंडिया शाइनिंग) का क्षण था। उसके बाद 2004 के चुनावों में जो हुआ, वह इतिहास है जिसे मुझे दोहराने की ज़रूरत नहीं है।’’

तिवारी ने कहा, ‘‘नवंबर-दिसंबर, 2023 में भाजपा ने राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जीत हासिल की और ‘अबकी बार, 400 पार’ की बातें होने लगीं। ‘अबकी बार, 400 पार’ तो संविधान को निरस्त करना और उसके स्थान पर किसी ऐसी चीज़ को लाना था जो, उस समय की भाजपा के पूर्ववर्तियों की सोच के अनुरूप था जब संविधान सभा संविधान को तैयार कर रही थी।’’

चंडीगढ़ से लोकसभा सदस्य तिवारी के मुताबिक, संयुक्त विपक्ष लोकसभा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सांसदों की संख्या लगभग 300 तक सीमित रखने में सक्षम हुआ और भाजपा 240 तक सिमट गई।

उन्होंने कहा, ‘‘सबसे अच्छी शुरुआत यह हुई कि इसने इस देश को सांस लेने का और संस्थानों को फिर से काम शुरू करने का मौका दिया है।’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘पूरी तरह से कठोरता का माहौल, जिसके तहत हर किसी ने अपने मष्तिष्क में एक सेंसर स्थापित किया हुआ था, कम से कम वह अब जून 2024 से पीछे रह गया है।’’

तिवारी ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि 2024 का चुनाव संख्या बल के संदर्भ में अहम था, बल्कि यह इसको लेकर महत्वपूर्ण था कि इसने भारत को फिर से सांस लेने का मौका दिया।’’

यह पूछा गया कि क्या कांग्रेस के भीतर कभी ‘जी23’ समूह ने संगठनात्मक सुधारों का आह्वान किया था और जो मांगें की गई थीं, क्या वे पूरी हो गईं? इस पर तिवारी ने कहा कि उस समय किए गए इस प्रयास को संकीर्ण नजरिये से देखना इसका गलत अर्थ निकालना होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत को लोकतांत्रिक सुधारों की दूसरी लहर की आवश्यकता है, जिसके तहत आपको उन संरचानाओं को खोलने की जरूरत है जो वास्तव में भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को रेखांकित करती हैं। उन्हें अधिक भागीदारीपूर्ण, समावेशी और लोकतांत्रिक होने की आवश्यकता है।’’

तिवारी ने कहा कि कांग्रेस आज एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसके पास लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित अध्यक्ष है, जहां पूरी तरह से लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाई गई, और ऐसे लोगों के पास विकल्प था जिन्होंने आंतरिक चुनाव भी लड़ा था और बाद में पार्टी की नीति निर्धारण इकाई का हिस्सा बनाए गए।

यह पूछे जाने पर कि जब वह पार्टी में बड़े पैमाने पर सुधारों की मांग करने वाले ‘जी23’ समूह के सदस्य थे, तो क्या उन्हें कांग्रेस में हाशिए पर महसूस कराया गया था, तिवारी ने ‘ना’ में जवाब दिया और कहा कि अगर किसी का राजनीति में आने का उद्देश्य आकांक्षा तक सीमित है तो वह अलग-थलग होने की भावना से ग्रस्त हो जाता है।

हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों पर तिवारी ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम का भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा, विधानसभा चुनावों के नतीजे भी देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करेंगे।

उन्होंने उम्मीद जताई कि कांग्रेस और सहयोगी दल इन चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करेंगे।

मोदी सरकार के कुछ फैसलों पर पीछे हटने को लेकर तिवारी ने कहा, ‘‘इसका मुख्य कारण गठबंधन सरकार है और यह एक वास्तविकता है। वे इसे स्वीकार करें या नहीं करें, लेकिन यह एक वास्तविकता है जो हर फैसले में दिखाई देगी।’’

तिवारी ने जनता के मुद्दे उठाने और मणिपुर जैसे मामलों में ‘‘मरहम’’ लगाने के लिए राहुल गांधी की तारीफ करते हुए कहा कि हर नेता प्रतिपक्ष ‘‘पीएम इन वेटिंग’’ होता है।

राहुल, हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के बाद संसद के निचले सदन में नेता प्रतिपक्ष बने हैं।

भाषा हक

हक वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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