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Wednesday, 13 August, 2025
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नकदी बरामदगी मामले में जज यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव, लोकसभा ने प्रक्रिया आगे बढ़ाई

21 जुलाई को सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को नकदी मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए ज्ञापन सौंपा था.

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नई दिल्ली: लोकसभा ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से जली हुई नकदी बरामद होने के आरोप में उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू कर दी है.

146 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वीकार किया और जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा की.

इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के जज अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के जज मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और वरिष्ठ अधिवक्ता बी.वी. आचार्य शामिल हैं.

समिति सबूतों की समीक्षा करेगी, गवाहों से पूछताछ करेगी और अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करेगी. दोषी पाए जाने पर जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए लोकसभा और राज्यसभा दोनों में दो-तिहाई बहुमत से मतदान जरूरी होगा.

7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा (जो अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में हैं) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट और पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना की महाभियोग कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश को चुनौती दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अगर जस्टिस वर्मा को लगता था कि आंतरिक जांच समिति असंवैधानिक है, तो उन्होंने उसके सामने पेश होने का फैसला क्यों किया और अब कार्यवाही पूरी होने के बाद ही इसे क्यों चुनौती दे रहे हैं.

सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी दल दोनों महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन करते दिख रहे हैं, जिससे आगे की प्रक्रिया आसान होने की संभावना है.

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि कई सांसद पहले ही जस्टिस वर्मा के महाभियोग के लिए साइन कर चुके थे और उन्होंने सरकार के “पीछे हटने” पर सवाल उठाया.

“हमारे सभी सांसदों ने काफी पहले इस पर हस्ताक्षर कर दिए थे और हमें नहीं पता कि सरकार क्यों पीछे हट रही थी. लोगों को इसका जवाब चाहिए,” खेड़ा ने कहा.

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति प्रक्रिया का पालन करेगी और सभी सबूतों की जांच के बाद ही निर्णय लेगी.

थरूर ने कहा, “प्रक्रिया अपने तरीके से चलेगी. एक तय प्रक्रिया है और अभी इस पर टिप्पणी की जरूरत नहीं है. समिति को सबूत देख कर निष्कर्ष पर पहुंचना होगा.”

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ “भ्रष्टाचार के आरोप” हैं.

“यह संसद की जिम्मेदारी थी और जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है,” अठावले ने कहा.

वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने चेतावनी दी कि अभी शुरुआती चरण में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए, क्योंकि यह केवल प्रक्रिया की शुरुआत है. उन्होंने कहा कि यह कार्यवाही कोर्ट ट्रायल जैसी होगी, जिसमें दोनों पक्षों के वकील होंगे और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा के घर से नकदी मिलने के बाद विस्तृत जांच की जरूरत पर चर्चा हुई थी, इसलिए तीन सदस्यीय समिति का गठन अहम कदम है.

उन्होंने कहा, “लोकसभा अध्यक्ष द्वारा सुप्रीम कोर्ट के जज, राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और एक प्रमुख विधिवेत्ता की समिति बनाना स्वागत योग्य कदम है. नकदी मिलने से जुड़े सवाल — यह पैसा किसका था, इसका उद्देश्य क्या था, और बाकी आरोपी कौन थे — जांच में सामने आएंगे। जैसे ही रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को दी जाएगी, आगे की कार्रवाई होगी..”

इससे पहले, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया के लिए 100 से अधिक सांसदों के साइन जुटा लिए गए हैं.

21 जुलाई को सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को नकदी मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए ज्ञापन सौंपा था.


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