सिलचर (असम): यह एकदम नियंत्रण रेखा (एलओसी) जैसी स्थिति है- पुलिस बल की दो टीम महज 50 मीटर की दूरी पर स्थित चौकियों पर स्वचालित हथियारों से लैस होकर एक-दूसरे पर निशाना साधे नज़र आती हैं.
दोनों चौकियां के बीच एक नाला गुजरता है और स्पष्ट निर्देश है कि उनमें से किसी को भी किसी भी समय निगरानी के बिना न छोड़ा जाए.
यहां पर तनाव लगभग एक साल से जारी है लेकिन यह कोई अंतरराष्ट्रीय सीमा नहीं है. असल में यह जगह है असम-मिजोरम सीमा पर स्थित कुलीचेरा, जहां पांच किलोमीटर की जमीन पर दोनों राज्य अपना-अपना दावा जताते रहे हैं.
कुलीचेरा में तनाव इस कदर बना हुआ है कि 26 जुलाई को वैरेंगटे-लैलापुर सीमा पर असम और मिजोरम के पुलिस बलों के बीच हिंसक झड़प, जिसमें असम के छह कर्मियों की मौत हो गई थी, के एक हफ्ते पहले ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने यहां हालात बिगड़ने की आशंका जताई थी.
कुलीचेरा वैरेंगटे-लैलापुर सीमा से लगभग 15 किलोमीटर दूर है.
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि इलाके में तैनात सीआरपीएफ कर्मियों ने गृह मंत्रालय को इस सीमा पर ‘तनाव बढ़ने’ के बारे में सूचना दी थी और कहा था कि ‘हालात किसी भी समय बिगड़ सकते हैं.’
सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘हमने सीमा पर संघर्ष की आशंका जताई थी और सीआरपीएफ ने इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को भी दी थी. उसके कुछ ही दिनों बाद ही लैलापुर-वैरेंगटे सीमा पर झड़प हुई, जहां बफर के तौर पर सीआरपीएफ की दो पोस्ट के कारण शांति बनी हुई थी.
सूत्र ने कहा, ‘लेकिन किसी को यह आभास नहीं था कि कुलीचेरा में बढ़ता तनाव सीमा पर इस कदर हिंसक रूप ले लेगा.’
संघर्ष का कारण है- एक सड़क, एक स्कूल और कृषि भूमि
कुलीचेरा में अपर पेनोम लोअर प्राइमरी स्कूल की ओर जाने वाली सड़क का पांच किलोमीटर का रास्ता इस पूरे विवाद के केंद्र में है.
असम और मिजोरम दोनों ही इस क्षेत्र पर अपना-अपना दावा जताते हैं.
सीमा पर तनाव पिछले साल नवंबर में तब शुरू हुआ, जब मिजोरम के उपद्रवियों ने 2009 में असम सरकार की तरफ से बनाए गए प्राथमिक स्कूल को यह कहते हुए कथित तौर पर बमबारी करके ढहा दिया था कि यह उनकी जमीन पर बनाया गया है.
सीमा पर तैनात असम पुलिस के एक कर्मचारी ने कहा, ‘उन्होंने (मिजोरम ने) स्कूल को सिर्फ इसलिए उड़ा दिया क्योंकि इसे असम सरकार ने बनवाया था. वे इस क्षेत्र पर अपना अधिकार जताते हैं, जो गलत है. स्कूल असम सरकार ने बनवाया क्योंकि वह जमीन असम के क्षेत्र में आती है. लेकिन मिजोरम ने यहां भी घुसपैठ की, सीमा से आगे बढ़े. उस समय तो हमने कुछ नहीं कहा. लेकिन हम कब तक चुप बैठे रह सकते हैं?’
फिर 8 जुलाई को जब असम ने स्कूल की ओर जाने वाले मार्ग पर पक्की सड़क का निर्माण शुरू किया तो मिजोरम ने इसका विरोध किया.
इसके बाद, मिजोरम पुलिस ने स्कूल के पास एक सीमा चौकी स्थापित कर दी, जो उनकी पिछली चौकी से 700-800 मीटर आगे थी.
स्थानीय स्तर पर अधिकारियों का कहना है कि इससे दोनों राज्यों की सीमा चौकियां एक-दूसरे से एकदम नजदीक आ गईं.
वहीं, मिजोरम पुलिस के कोलासिब के एसपी वनलालफाका राल्ते ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि उनकी तरफ से पुलिस चौकी का निर्माण तब किया गया जब असम के पुलिसकर्मियों ने ‘मिजोरम के लोगों की पान की खेती को नष्ट करना शुरू किया और इलाके में एक सड़क का निर्माण करने लगे.’
राल्ते ने कहा, ‘जुलाई में वो हमारे क्षेत्र में आगे बढ़े, जहां मिजोरम के लोग पान की खेती करते हैं और एक सड़क बनाना शुरू कर दिया. हमने उनसे सड़क न बनाने को कहा लेकिन वे अड़े रहे. उन्हें रोकने के लिए हमें उस क्षेत्र में एक चौकी बनानी पड़ी. जिस जमीन पर असम पुलिस ने कब्जा कर रखा है, वह मिजोरम की है.
मिजोरम चौकी के प्रभारी निरीक्षक ने भी अपने पुलिस बल के कदम को सही ठहराते हुए कहा कि यह चौकी ‘असम को आगे बढ़ने से रोकने के लिए जरूरी’ था.
उन्होंने असम पर ‘मिजोरम के लोगों की कृषि भूमि पर अतिक्रमण’ करने का आरोप भी लगाया.
उन्होंने कहा, ‘वे हमारे क्षेत्र, हमारी जमीन पर सड़क बना रहे थे. हम कभी ऐसा नहीं होने दे सकते. इसलिए उन्हें यहां रोकना जरूरी था. इसके अलावा, उन्होंने यहां मिजोरम में ग्रामीणों की जमीन कब्जा ली है. पहले, स्थानीय ग्रामीण पान की खेती के लिए वहां तक जाते थे, लेकिन उस जमीन पर असम ने कब्जा कर लिया और उन्हें उस तरफ जाने नहीं दिया जा रहा था.’
उन्होंने कहा, ‘हमने अब वहां अपने लोगों को यहां तैनात कर दिया है. जब तक वे (असम) आगे बढ़ने की कोशिश नहीं करेंगे, हम शांत रहेंगे.’
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असम का दावा- जमीन हमारी
कछार की एसपी रमनदीप कौर ने कहा कि विवाद में घिरी जमीन असम की है.
कौर ने कहा, ‘सर्वे ऑफ इंडिया मैप के मुताबिक यह भूमि असम की है. साथ ही, मिजोरम ने जो एक चौकी बनाई है, वह अवैध है क्योंकि यह जमीन इनर लाइन फॉरेस्ट रिजर्व में आती है. हमने उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए वहां एक पोस्ट बनाई है.’
कौर ने बताया कि क्षेत्र में असम की पुलिस चौकी का निर्माण कछार संभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) तेजस मारिस्वामी के अनुरोध पर किया गया था.
डीएफओ तेजस मारिस्वामी ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि मिजोरम की चौकी उन वन क्षेत्र में बनी हुई है जो असम का हिस्सा है. उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि मिजोरम से संबंधित पान की किसी भी खेती को मंजूरी दी गई है.
उन्होंने बताया, ‘मिजोरम पुलिस ने पहले तो इलाके में एक चौकी बनाई. फिर हमने देखा कि वे हर महीने ही हमारे क्षेत्र में आगे बढ़ रहे थे और तब हमने उन्हें रोकने के लिए असम पुलिस की मदद लेने का फैसला किया. यह एक संरक्षित वन क्षेत्र है.’
उन्होंने बताया, ‘हमने वन क्षेत्र की सुरक्षा और गश्त के लिए एक सड़क का निर्माण शुरू किया. उसके बाद असम पुलिस ने भी वहां एक चौकी की स्थापना की.
असम में जमीनी स्तर पर लोगों की भावना इसी तरह की है.
ऊपर उद्धृत असम के पुलिसकर्मी ने कहा, ‘मिजोरम पुलिस ने यहां एक चौकी बनाई और फिर अपने कर्मियों को तैनात कर दिया, जिससे हमारा रास्ता अवरुद्ध हो गया. ऐसा करके उन्होंने हमारी एक किलोमीटर से ज्यादा जमीन कब्जा ली. यहां तक कि उन्होंने पहाड़ियों पर अपने बंदूकधारी भी तैनात कर दिए. तब हमने भी यहां पुलिस चौकी बनाई और फिर हम आमने-सामने आ खड़े हुए.’
उसने आगे कहा, ‘26 जुलाई को हमारे साथ जो हुआ, जिसमें मिजोरम पुलिस ने हमारे छह पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी, उसके बाद हम कोई जोखिम नहीं ले सकते. हमें हर समय सतर्क रहना होगा, हमें नहीं पता कि कब कहां से गोली आ जाए.’
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‘कभी नहीं भूल सकता कि उन्होंने छह पुलिसकर्मी मार डाले’
26 जुलाई की हिंसक झड़पों का असर दोनों राज्यों के पुलिस बलों पर पड़ रहा है.
पोस्ट पर मौजूद असम के एक दूसरे पुलिसकर्मी ने दिप्रिंट को बताया, ‘उन्होंने हमारे छह पुलिसवालों को मार डाला. और ये उग्रवादी नहीं हैं. ये तो वो पुलिसकर्मी हैं, जिन्होंने साथी पुलिसकर्मियों की हत्या की है. हम कभी उन पर कैसे भरोसा कर सकते हैं या उनके साथ शांति से कैसे रह सकते हैं? हमारा पूरा बल एकदम अंदर तक हिल गया है, वे काफी गुस्से में हैं.’
उसने कहा, ‘वे हम पर उनके क्षेत्र में अतिक्रमण करने का आरोप लगाते हैं लेकिन उन्होंने यहां इस सीमा पर क्या किया? क्या उन्होंने असम की जमीन पर अतिक्रमण नहीं किया है, जहां हमारी सरकार ने एक स्कूल बनाया था? अगर हम उनके तरीके से जवाबी कार्रवाई करना शुरू करते हैं, तो उनकी तरफ भी कई लोग हताहत होंगे लेकिन हम बेहद संयम दिखाते हैं. उन्हें हमारे धैर्य की परीक्षा लेना बंद कर देना चाहिए.’
हालांकि, मिजोरम की तरफ तैनात एक दूसरे पुलिसकर्मी ने कहा कि उसके बल को ‘असम की तरफ लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत’ के लिए खेद है लेकिन अगर उनकी जमीन की रक्षा की बात आती है, तो वे हर मुमकिन कोशिश करेंगे.
उसने आगे कहा, ‘जो कुछ हुआ, आत्मरक्षा की कोशिश में हुआ. वे (असम पुलिस) बड़ी संख्या में आए थे और हमारे लोगों को परेशान कर रहे थे, उन्हें बाहर निकाल रहे थे, हम कैसे चुप रह सकते थे?’
साथ ही कहा, ‘मुझे डर है कि यदि फिर ऐसा कुछ हुआ तो गंभीर नतीजे होंगे. शांति के लिए बेहतर यही है कि दोनों राज्य यथास्थिति बनाए रखें और एक-दूसरे के क्षेत्र में अतिक्रमण की कोशिश न करें.’
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