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Monday, 4 November, 2024
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Aditya-L1 PSLV-C57 रॉकेट से सफलतापूर्वक हुआ अलग, शुरू की 125 दिनों की लंबी यात्रा

Aditya-L1 अंतरिक्ष यान को सूर्य के परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है.

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नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा चंद्रमा के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारने के ठीक एक हफ्ते बाद, अपने सौर मिशन आदित्य-एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया.

श्रीहरिकोटा से इसरो का सूर्य को अध्ययन करने जा रहा मिशन आदित्य-एल1 ने अपनी उड़ान भरी और कुछ ही देर के बाद Aditya-L1 पीएसएलवी सी-57 रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हुआ और सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित होगया.

Aditya-L1 मिशन का लक्ष्य एल1 के पास की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है. यह अंतरिक्ष यान सात पेलोड लेकर जाएगा, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अवलोकन करने में मदद करेंगे.

Aditya-L1 अंतरिक्ष यान को सूर्य के परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है.

सभी लाइव अपडेट्स यहां पढ़ें:


2:00 PM:झारखंड के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को देश के महत्वाकांक्षी सूर्य मिशन ‘आदित्य एल1’ के सफल प्रक्षेपण के लिए ISROके वैज्ञानिकों को बधाई दी

राज्यपाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद ISRO एक बार फिर ‘आदित्य एल1’ के साथ सूर्य का अध्ययन करने वाले पहले अंतरिक्ष मिशन के रूप में एक अनोखी यात्रा पर है. प्रक्षेपण पर मेरी हार्दिक बधाई. सूर्य अन्वेषण और अभूतपूर्व खोजों के उज्ज्वल भविष्य के लिए इसरो को और अधिक सफलता की शुभकामनाएं


1:26 PM: आदित्य एल-1 के सफल लॉन्चिंग पर इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा कि आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को इच्छित कक्षा में स्थापित किया गया है. मैं आदित्य एल1 को सही कक्षा में स्थापित करने के लिए पीएसएलवी को बधाई देना चाहता हूं.


1:22 PM: आदित्य एल-1 के सफल लॉन्चिंग पर आदित्य एल-1 की परियोजना निदेशक निगार शाजी बोले, “यह एक सपने के सच होने जैसा है. मुझे बेहद खुशी है कि आदित्य एल-1 को पीएसएलवी द्वारा इंजेक्ट किया गया है. आदित्य एल-1 ने अपनी 125 दिनों की लंबी यात्रा शुरू कर दी है. मैं इस मिशन को संभव बनाने में उनके समर्थन और मार्गदर्शन के लिए पूरी टीम को धन्यवाद देना चाहता हूं.”


1:19 PM: विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आदित्य एल1 मिशन के सफल लॉन्चिंग पर कहा, “पूरी दुनिया ने इसे सांस रोककर देखा, यह वास्तव में भारत के लिए एक शानदार क्षण है”. भारतीय वैज्ञानिक काम कर रहे थे, कड़ी मेहनत कर रहे थे. “आदित्य एल1 का सफल प्रक्षेपण संपूर्ण-विज्ञान और संपूर्ण-राष्ट्र दृष्टिकोण का भी प्रमाण है जिसे हमने अपनी कार्य संस्कृति में अपनाने की मांग की है.”


1:00 PM: Aditya-L1 पीएसएलवी सी-57 रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो चूका है. ‘आदित्य-एल1’ को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया.


12:57 PM: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 के सफल लॉन्चिंग के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी.

पीएम मोदी ने अपने एक्स (ट्वीटर) में कहा, संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए ब्रह्मांड की बेहतर समझ विकसित करने के लिए हमारे अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे.


 

12:30 PM: रायपुर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बोले, मैं आदित्य एल-1 मिशन के शुभारंभ पर सभी को हार्दिक बधाई देता हूं.


12:20 PM: श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 के उड़ान भरने के दौरान वहां मौजूद भीड़ ने लगाए ‘भारत माता की जय’ के नारे.


12:14 PM: आदित्य एल-1 के प्रक्षेपण के बाद, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा आए एक व्यक्ति ने कहा, “हम इसे देखने के लिए मुंबई से आए हैं. यह एक अद्भुत एहसास है कि हम नासा और अन्य जैसी अंतरिक्ष एजेंसियों को प्रतिस्पर्धा दे रहे हैं. हम वास्तव में उत्साहित हैं.”


12:03 PM: आदित्य-एल1 के प्रक्षेपण के बाद सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार श्रीहरिकोटा के दृश्य.


12:01 PM: इसरो के आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को कवर करने वाला पेलोड पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलते ही अलग हो गया है. फिलहाल इसरो के अनुसार तीसरा चरण अलग कर दिया गया है.


11:50AM: आदित्य एल-1 ने सफलतापूर्वक भरी उड़ान, ISRO का सौर मिशन हुआ लॉन्च.


11:46 AM: इसरो के सौर मिशन आदित्य एल-1 के लॉन्च से पहले श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) एसएचएआर में मिशन नियंत्रण केंद्र में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह पहुंचे.


11:26 AM: ISRO के सौर मिशन आदित्य एल-1 के लॉन्च को देखने के लिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद हैं.


11:10 AM: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा में मिशन नियंत्रण केंद्र के दृश्य सामने आए इसरो यहीं से आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष में लॉन्च करेगा. अंतरिक्ष यान को लैग्रेंजियन प्वाइंट के आसपास रखा जाएगा.


10:33 AM: आंध्र प्रदेश में इसरो के आदित्य एल-1 मिशन के लॉन्च को देखने के लिए स्कूली छात्र श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पहुंचे.


10:21 AM: आदित्य एल1 मिशन पर जवाहरलाल नेहरू तारामंडल में प्रोग्रामिंग मैनेजर प्रेरणा चंद्रा बोली, अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां पहले ही सूर्य पर अवलोकन कर चुकी हैं. आदित्य एल1 के साथ हमारे पास सूर्य के आंकड़े भी मोजूद होंगे जिससे हमें अंतरिक्ष के मौसम और आगामी अंतरिक्ष अभियानों को समझने में बहुत मदद मिलेगी.


9:29 AM: आदित्य एल1 मिशन पर, पद्मश्री पुरस्कार विजेता और इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मायलस्वामी अन्नादुराई बोले, “…एल1 बिंदु हासिल करना और उसके चारों ओर एक कक्षा बनाना और बहुत सटीक पॉइंटिंग आवश्यकताओं के साथ पांच वर्षों तक जीवित रहना तकनीकी रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण है.. यह वैज्ञानिक रूप से फायदेमंद होने वाला है क्योंकि सात उपकरण जो हो रहा है उसकी गतिशीलता और घटनाओं को समझने की कोशिश करेंगे.


8:09 AM: आदित्य एल-1 का प्रक्षेपण को देखने के लिए चेन्नई से श्रीहरिकोटा आए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पहुंची एक दर्शक ने कहा कि हमें भारतीय होने पर बहुत गर्व है, हम लॉन्चिंग देखने के लिए यहां आकर बहुत खुश हैं. यह पहली बार है कि मैं यहां आई हूं. हम अपनी खुशी बता नहीं सकते.


7:58 AM: उत्तर प्रदेश के श्रीहरिकोटा से इसरो के आदित्य एल1 मिशन के सफल लॉन्च के लिए वाराणसी में हवन किया गया.


Aditya-L1 की सफलता के लिए इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ और इस अभियान से जुड़े वैज्ञानिकों ने मिशन के लॉन्च से पहले, शुक्रवार को सुलुरुपेटा में श्री चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना की.



क्या है मिशन

‘लैग्रेंज बिंदु’ अंतरिक्ष में स्थित वो स्थान है, जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण के उन्नत क्षेत्र उत्पन्न करता है. नासा के अनुसार, इनका उपयोग अंतरिक्ष यान द्वारा स्थिति में बने रहने के लिए आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जा सकता है. लैग्रेंज बिंदु का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैग्रेंज के सम्मान में रखा गया है.

इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि आदित्य-एल1 पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास है, जिसमें राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी है.

अंतरिक्ष एजेंसी ने सोशल मीडिया पर किये गए एक पोस्ट में बताया कि सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा.

बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) पेलोड का विकास करने वाली पहला संस्थान है, जबकि इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे ने सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) पेलोड इस मिशन के लिए विकसित किया है.

इसरो के अनुसार, वीईएलसी का लक्ष्य यह पता लगाने के लिए डेटा एकत्रित करना है कि कोरोना का तापमान लगभग दस लाख डिग्री तक कैसे पहुंच सकता है, जबकि सूर्य की सतह का तापमान 6000 डिग्री सेंटीग्रेड से थोड़ा अधिक रहता है.

आदित्य-एल1 यूवी पेलोड का उपयोग करके कोरोना और सौर क्रोमोस्फीयर पर और एक्स-रे पेलोड का उपयोग करके लपटों का अवलोकन कर सकता है. कण संसूचक और मैग्नेटोमीटर पेलोड आवेशित कणों और एल1 के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा तक पहुंचने वाले चुंबकीय क्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं.

यहां स्थित यू आर राव सैटेलाइट सेंटर द्वारा विकसित उपग्रह, इस महीने की शुरुआत में आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के इसरो के स्पेस पोर्ट पहुंचा.

इसे सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के एल1 बिंदु के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है.

इसरो ने कहा कि एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित उपग्रह से सूर्य पर लगातार नजर रखने में बड़ा फायदा होगा और कोई भी ग्रह इसमें बाधा नहीं डालेगा. इसने कहा, ‘‘इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ मिलेगा.’’

विशेष सुविधाजनक बिंदु एल1 का उपयोग करते हुए, चार पेलोड सीधे सूर्य का अवलोकन करेंगे और शेष तीन पेलोड द्वारा एल1 बिंदु पर कण और क्षेत्रों का यथास्थान अध्ययन किये जाने की उम्मीद है.


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