नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शराब की दुकानों के लाइसेंस देने में कथित भ्रष्टाचार को लेकर तमिलनाडु की खुदरा शराब कंपनी टीएएसएमएसी के खिलाफ धनशोधन की जांच पर बृहस्पतिवार को रोक लगाते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ‘‘सारी सीमाएं’’ पार कर रहा है और शासन की संघीय अवधारणा का उल्लंघन कर रहा है।
राज्य सरकार और तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (टीएएसएमएसी) की याचिकाओं पर ईडी को नोटिस जारी करते हुए प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने धनशोधन रोधी जांच एजेंसी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू से कहा, ‘‘आपका प्रवर्तन निदेशालय सभी सीमाएं पार कर रहा है।’’
ईडी को धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की सख्त धाराओं के कथित दुरुपयोग को लेकर उच्चतम न्यायालय की कई पीठ द्वारा फटकार लगाई गई है।
विपक्षी दलों ने भी सरकार के राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पीएमएलए प्रावधानों के कथित दुरुपयोग के खिलाफ विरोध जताया है।
टीएएसएमएसी के खिलाफ ईडी की छापेमारी पर सवाल उठाते हुए सीजेआई ने कहा, ‘‘प्रवर्तन निदेशालय (शासन की) संघीय अवधारणा का उल्लंघन कर रहा है।’’
पीठ ने राज्य सरकार और टीएएसएमएसी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अमित नंद तिवारी की दलीलों पर गौर किया तथा ईडी की टीएएसएमएसी के खिलाफ जांच पर फिलहाल रोक लगा दी।
विधि अधिकारी राजू ने आदेश का विरोध करते हुए कहा कि यह मुद्दा 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के भ्रष्टाचार से जुड़ा है और ईडी ‘‘कम से कम इस मामले में’’ सीमाएं नहीं पार कर रहा है।
सिब्बल ने कहा कि वह राज्य सरकार और टीएएसएमएसी हैं, जिन्होंने शराब की दुकानों के लाइसेंस देने में कथित अनियमितताओं को लेकर आपराधिक कार्रवाई शुरू की है। उन्होंने कहा कि 2014 से शराब की दुकानों के लाइसेंस आवंटन से जुड़े मामलों में कथित रूप से गलत काम करने वालों के खिलाफ अब तक 41 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और अब ईडी इसमें कूद पड़ी है तथा टीएएसएमएसी पर छापेमारी कर रही है।
पीठ ने पूछा, ‘‘आप राज्य द्वारा संचालित टीएएसएमएसी पर कैसे छापा मार सकते हैं।’’
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार और विपणन निगम ने टीएएसएमएसी के परिसरों में ईडी द्वारा की गई छापेमारी के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है।
संवैधानिक अधिकारों और संघीय ढांचे के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दायर याचिका में मद्रास उच्च न्यायालय के 23 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें ईडी की कार्रवाई को बरकरार रखा गया था।
राज्य सरकार ने कहा, ‘‘वर्तमान याचिका में कानून के व्यापक प्रश्न उठाए हैं, जिनमें संघवाद का मुद्दा भी शामिल हैं, जिसमें ईडी अपने दायरे से बाहर जाकर और राज्य के अपराधों की जांच करने के अधिकार को हड़पने का प्रयास कर रहा है।’’
याचिका में छह मार्च से आठ मार्च, 2025 के बीच ईडी द्वारा की गई 60 घंटे की छापेमारी और जब्ती अभियान की वैधता को चुनौती दी गई है।
इसमें कहा गया है, ‘‘छह मार्च को, प्रतिवादी संख्या-एक (ईडी) ने पीएमएलए की धारा 17 के तहत प्रतिवादी संख्या-दो (टीएएसएमएसी) के मुख्यालय में छापेमारी और जब्ती की कार्यवाही की। टीएएसएमएसी याचिकाकर्ता/राज्य की 100 प्रतिशत स्वामित्व वाली इकाई है।’’
याचिका में यह भी कहा गया है कि टीएएसएमएसी को इन प्राथमिकी में से किसी में भी आरोपी नहीं बनाया गया है और कई मामलों में वह शिकायतकर्ता है।
इसमें कहा गया है, ‘‘किसी प्रारंभिक अपराध में टीएएसएमएसी के आरोपी के रूप में संलिप्तता के बिना, ईडी के पास पीएमएलए के तहत कार्यवाही शुरू करने का अधिकार नहीं था।’’
याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए छापेमारी की समयसीमा पर भी सवाल उठाया कि कार्रवाई में देरी की गई, क्योंकि अंतिम प्राथमिकी 2021 में दर्ज की गई थी।
भाषा अमित सुरेश
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