नई दिल्ली : भले ही मीका सिंह या मोहित चौहान के फेस्ट के जरिए वोट लुभाने का कल्चर अब दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से धीरे-धीरे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) शिफ्ट हो रहा हो लेकिन वॉटर पार्क और जुरासिक पार्क एडवेंचर अभी भी डीयू इलेक्शन का आकर्षण बने हुए हैं.
12 सितंबर को दिल्ली विश्वविद्यालय चुनावों की वोटिंग हो रही है और गौरतलब है कि इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र इकाई एबीवीपी, कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई, सीवाईएसएस से लेकर लेफ्ट पार्टियों द्वारा समर्थित आइसा और एसएफआई जैसे छात्र संगठन मैदान में उतरे हैं.
लॉ थर्ड ईयर के स्टूडेंट रितेश वोट डालकर अपने कॉलेज के बाहर बाकी दोस्तों का इंतजार करते हुए दिप्रिंट को बताते हैं, ‘फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स को ट्रिप्स पर ले जाया गया है. पहले जितनी दारू तो नहीं बांटी गई है लेकिन अभी भी ये कल्चर जारी है.’ उनके साथ खड़ी शैफाली का कहना है, ‘हडसन लेन, ओल्ड गुप्ता कॉलोनी, विजय नगर और कमला नगर के लड़कियों की पीजी में पिज्जा और चॉकलेट पहुंचाई गई हैं. किसी-किसी पीजी में तो लिपस्टिक और मेकअप का सामान भी बांटा गया है. मिरांडा हाउस के हॉस्टल में भी लिप बाम भिजवाए गए हैं.’
लिप बाम और लेक्म आईलाइनर से लिपस्टिक तक का सफर
गौरतलब है कि 2016 और 2017 के चुनावों में लिप बाम और लेक्मे आई लाइनर मुख्य आकर्षण थे. उससे पहले 2013 और 2014 में बड़े सिंगर्स को बुलाकर रॉक कान्सर्ट करवाए जाते थे. दूर-दराज के कॉलेजों जैसे श्रद्धानंद कॉलेज से बसों में ठूंस-ठूंस कर फिल्में दिखाने के लिए ले जाया जाता था.
हालांकि, मिरांडा हाउस कॉलेज की सेकेंड ईयर की छात्रा शिवानी का कहना है कि सब उतने लकी नहीं हैं. वो बताती हैं, ‘मेरे क्लास की पीजी में रहने वाली लड़कियों को ये सब मिलता है. वो जब व्हॉटसएप स्टोरीज़ लगाती हैं तो उसके जरिए हमें भी पता चलता है. दिल्ली के रेगुलर स्टूडेंट्स को ये नसीब नहीं होता.’
एनएसयूआई के एक कैंडीडेट आशीष लांबा के बारे में कई छात्रों ने बताया कि वो छात्रों को जुरासिक पार्क नाम के वॉटर पार्क ले गए और उन्होंने इससे जुड़ी एक स्टोरी भी इंस्टा पर पोस्ट की थी. इसी बारे में शिवानी कहती हैं, ‘वॉटर पार्क की वजह से हमारी क्लास में तो मास बंक की स्थिति बन गई थी.’
पार्टियों ने फ्रीबीज देने से किया इनकार
हालांकि, एनएसयूआई के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी नीरज ने जुरासिक पार्क वाली वायरल तस्वीर के बारे में दिप्रिंट से कहा, ‘ये तस्वीर उस कार्यक्रम के दौरान ली गई जिसे कई कॉलेजों के छात्रों ने आयोजित किया था और आशीष को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था.’
ज्ञात हो कि 2016 में एबीवीपी की प्रियंका चावड़ी की जगह प्रियंका चोपड़ा और एनएसआई के अर्जुन छपराणा की जगह अर्जुन कपूर की तस्वीरों को पोस्टर्स पर चिपकाया गया. साथ ही चाय की दुकानों पर छात्रों के लिए फ्री में चाय भी दी गई थी.
पार्टियों द्वारा फ्रीबीज बांटने के कल्चर पर आइसा दिल्ली ईकाई की अध्यक्ष कवलप्रीत कौर का कहना है, ‘एनएसयूआई और एबीवीपी की इस मनी पावर की पॉलिटिक्स के चलते छात्रों का राजनीति से मोहभंग हो रहा है. इस बार पिछले साल की तुलना में कम वोट पड़े हैं. चुनाव मुद्दों पर होना चाहिए, खाने-पीने की चीजों पर नहीं.’
लेकिन एबीवीपी के मीडिया प्रभारी आशुतोष इन आरोपों का खंडन करते हैं, ‘कुछ लोगों ने चॉकलेट्स बांट दी होंगी. हमने फ्रीबीज का लालच नहीं दिया है.’
1.3 लाख से भी ज्यादा स्टूडेंट्स हैं वोटर्स
टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 1.3 लाख़ से ज़्यादा छात्र वोटिंग के योग्य हैं. बृहस्पतिवार को सुबह 8.30 बजे शुरू हुई वोटिंग शाम 7.30 बजे समाप्त होगी. ईवीएम मशीनों से हो रही वोटिंग के नतीजे 13 सितंबर को सामने आएंगे. उत्तर पश्चिम दिल्ली के किंग्सवे कैंप की पुलिस लाइन्स के कम्युनिटी हॉल को मतगणना केंद्र बनाया गया है.
आचार संहिता के हिसाब से एक कैंडीडेट पांच हज़ार रुपए से ज़्यादा की रकम ख़र्च नहीं कर सकता है. लेकिन दिप्रिंट को कैंपस से जानकारी भी मिली कि एक-एक लाख़ रुपए के तो पर्चे छपवाए गए हैं. ऐसे में कहना ज्यादती नहीं होगी कि दिल्ली विश्वविद्यालय के इस छात्रसंघ चुनाव में ऐसे तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं.