नई दिल्ली: हाल ही में जिस तरह देश भर के 200 से अधिक किसान के संगठनों ने दिल्ली में एकत्र होकर किसान समस्याओं को लेकर हल्लाबोल किया था, अब उसी तरह बेरोजगार युवाओं के एक आंदोलन की तैयारी है. अब तक 50 से ज्यादा युवाओं के समूह एक मंच पर आ चुके हैं. योगेंद्र यादव की पार्टी स्वराज इंडिया से जुड़े कुछ युवाओं ने ‘युवा-हल्लाबोल’ नाम के बैनर तले यह पहल की है, हालांकि, उनका दावा है कि कोई राजनीतिक आयोजन न होकर एक स्वतंत्र युवा आंदोलन है.
युवा-हल्लाबोल के युवाओं ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और अपनी योजनाओं, मांगों और कार्यक्रमों के बारे में बताया. आगामी 27 जनवरी को दिल्ली में युवा-हल्लाबोल की ‘यूथ समिट’ होने जा रही है जिसमें आंदोलन का कार्यक्रम तय होगा और फरवरी में देश भर के हजारों युवा एकत्र होकर आंदोलन करेंगे.
इस अभियान से जुड़े आशुतोष ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारी योजना है कि नौकरियों में भारी कमी और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकारों की पोल खोलकर उनको जवाबदेह बनाया जाएगा. हम बेरोजगारी के मुख्य कारणों को रेखांकित करेंगे और उनका समाधान भी सुझाएंगे. हमने देश भर में तमाम युवा संगठनों से संपर्क किया है. अब तक ये संगठन अलग अलग फ्रंट पर छोटे स्तर पर काम करते रहे हैं. अब इन्हें एक मंच पर एकजुट करने की योजना है. अब तक 50 युवा संगठन इस अभियान से जुड़ चुके हैं.’
क्या है योजना?
27 जनवरी को होने वाली यूथ समिट में बेरोज़गारी के मुद्दे पर संघर्ष कर रहे देश के कोने कोने से युवा नेताओं और प्रतिनिधि एकत्र होंगे. इसमें देशभर से चयन आयोगों और भर्ती बोर्डों में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ रहे समूह भी शामिल होंगे. इस ‘यूथ समिट’ के माध्यम से नौकरियों में लगातार अवसरों की कमी और नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया जाएगा.
अनुपम ने बताया कि 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस पर देशभर के दो दर्ज़न से ज़्यादा शहरों में युवा-पंचायत का आयोजन होगा. इसके अलावा 27 जनवरी से पहले देश के 40 शहरों में युवाओं को एकजुट करने के लिए अभियान चलाया जाएगा.
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2018 में 24 परीक्षाओं के पेपर लीक
युवा-हल्लाबोल के आशुतोष ने जानकारी दी कि ‘हमारे पास करीब 50 से ज्यादा परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक की शिकायतें इकट्ठा हैं. कई परीक्षाओं के शुरू होने के दो घंटे पहले प्रश्नपत्र हमारे ट्विटर पर भेजे गए, हम लगातार ट्वीट करते रहे, लेकिन फिर भी परीक्षा आयोजित हुई. पेपर लीक की घटनाओं में आई बेतहाशा वृद्धि से युवाओं का चयन प्रणाली पर से भरोसा उठता जा रहा है. साल 2018 में ही कम से कम 24 परीक्षाओं के पर्चे लीक हुए.’बेरोज़गारी के मुद्दे पर काम कर रहे युवा शक्ति संगठन के गौरव का कहना है कि ‘सालाना एक करोड़ नौकरी देने का वादा करने वाली मोदी सरकार रोज़गार के पैमाने पर पूर्णतः विफ़ल रही है. पहले की सरकारों की विफलता के कारण ही देश के युवाओं ने इस सरकार का साथ दिया था, लेकिन इसने अपना वादा पूरा नहीं किया.
आज देश में नौकरियों में कमी आ रही है और भ्रष्टाचार की खबरों में वृद्धि हो रही है. सीएमआईई की रिपोर्ट बताती है कि साल 2018 में ही 1.1 करोड़ नौकरियां कम हो गयी हैं. अब ज़रूरी हो गया है कि सरकार रोज़गार गारंटी कानून बनाए.’
यूथ फॉर स्वराज के संयोजक मनीष कुमार ने कहा, ‘युवा-हल्लाबोल आंदोलन का जन्म मार्च 2018 में हुए देशव्यापी एसएससी प्रदर्शनों के दौरान हुआ. जिसके बाद लगभग सभी भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ियों पर हमने आवाज उठानी शुरू की. अब हम एकजुट होकर लड़ेंगे.’
24 लाख सरकारी पद खाली
महाराष्ट्र में बेरोज़गार युवाओं के हक़ की लड़ाई लड़ रहे स्वराज्य सेना के अध्यक्ष योगेश जाधव ने बताया, ‘एक तरफ़ रोज़गार के लिए युवा सड़क पर हैं, वहीं 24 लाख से ज़्यादा सरकारी पद रिक्त पड़े हुए हैं. सरकार इनको भरने की बजाय पदों को ख़त्म कर रही है. आज यूपीएससी से लेकर प्रदेश के चयन आयोगों तक हर जगह वेकेंसी में कमी की जा रही है. 2014 में यूपीएससी की सिविल सेवा में 1364 पदों के लिए परीक्षा हुई थी. 2018 आते आते इसे घटाकर 782 कर दिया गया. युवा-हल्लाबोल की स्पष्ट मांग है कि इन रिक्त पड़े 24 लाख पदों को तुरंत भरा जाए.’
यूनाइटेड अगेंस्ट हेट से जुड़े नदीम खान ने देश में व्याप्त बेरोज़गारी पर चिंता जताते हुए कहा, ‘सरकार मुद्दे पर काम करने की बजाय आंकड़ों को छिपाने की कोशिश में लगी है. सरकार ने लेबर ब्यूरो के उस सर्वे को ही रुकवा दिया जिससे देश में बेरोज़गारी के तिमाही आंकड़े आते थे.’
मॉडल एग्ज़ाम कोड लागू करो
युवा-हल्लाबोल के गोविंद मिश्रा ने बताया कि केंद्र सरकार की डीओपीटी मंत्रालय ने जनवरी 2016 में अधिसूचना जारी करके निर्देश दिया था कि कोई भी डायरेक्ट रिक्रूटमेंट 6 महीने में पूरी होनी चाहिए. लेकिन रिक्रूटमेंट की प्रक्रिया पूरी होते होते सालों बीत जाते हैं. इसके समाधान के लिए युवा-हल्लाबोल ने चुनाव के कोड आफ कंडक्ट की तरह एक ‘मॉडल एग्ज़ाम कोड’ का प्रस्ताव दिया है जिसके तहत विज्ञापन जारी होने से लेकर नियुक्ति तक की प्रक्रिया अधिकतम 9 महीने में पूरी होगी. जब चुनावों में मॉडल कोड लागू हो सकता है तो युवाओं के भविष्य से संबंधित परीक्षाओं के लिए क्यों नहीं?’
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बिहार के मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष रौशन मैथिल का आरोप है कि ये समझ से परे है कि सरकार बेरोज़गार युवाओं से आवेदन भरवाने के नाम पर करोड़ों करोड़ क्यों इक्कट्ठा करती है. हमारी मांग है कि आवेदन के नाम पर लिए जा रहे शुल्क को बंद किया जाए ताकि हर तबके के छात्रों को बराबर अवसर मिले.’
स्वराज अभियान के अनुपम ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि ‘युवाओं में आज अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता और असुरक्षा का भाव है. रोज़गार के अवसरों में लगातार कमी की जा रही है. युवा सड़क पर हैं और 24 लाख सरकारी पद खाली पड़े हैं. हम इसके लिए सरकार को जवाबदेह बनाना चाहते हैं. इसलिए हम देश भर के युवाओं को एकत्र करके सरकार पर दबाव बनाएंगे कि वह रोजगार के अधिक अवसर पैदा करे, खाली पद भरे जाएं, भर्ती प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाया जाए और पेपर लीक जैसे भ्रष्टाचार को रोका जाए.’