नई दिल्ली: भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय कपड़ा और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी की अगुवाई में गठित मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) ने सुझाव दिया है कि राज्य सरकारों को उद्योगों को किसानों से सीधे जमीन खरीदने की अनुमति देने पर विचार करना चाहिए.
मंत्रियों ने औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भूमि अधिग्रहण को एक लंबी प्रक्रिया बताया और एक इसे सुचारू बनाने के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
प्रिंट के पास मौजूद रिपोर्ट, जिसे गत अक्टूबर में सरकार को सौंपा गया था, में कहा गया है, ‘सभी राज्य सरकारों से यह सिफारिश की जानी चाहिए कि उद्योगों को किसानों से सीधे जमीन खरीदने की अनुमति देने पर विचार करें. हालांकि, उद्योगों के लिए अब भी अनुमति लेना जरूरी होगा, 30 दिनों के बाद डीम्ड अप्रूवल दिया जा सकता है.’
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘यही नहीं अलग-अलग कार्यों के लिए सर्वे, राजस्व, स्टाम्प पंजीकरण, वित्तीय संस्थान, स्थानीय निकाय और कोर्ट आदि की भागीदारी के कारण भी भूमि उपयोग संबंधी टाइटल तय किए जाना एक बड़ा मुद्दा बन जाता है.
भूमि अधिग्रहण और भारतीय राज्य
2014 में सत्ता में आते ही नरेंद्र मोदी सरकार ने औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन के लिए भूमि अधिग्रहण कानूनों में संशोधन की कोशिश की थी, जिसमें कुछ मामलों में तो कंपनियों को मालिकाना हक रखने वाले की सहमति के बिना ही भूमि हासिल करने की अनुमति का प्रावधान था.
हालांकि, किसानों के साथ-साथ विपक्षी दलों की तरफ से कड़े विरोध के बाद सरकार ने इस दिशा में कदम आगे न बढ़ाने का फैसला किया था. लोकसभा में संबंधित बिल को मंजूरी मिल गई थी लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत न होने के कारण यह अटक गया.
इस वर्ष कोविड-19 के कारण आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे कई राज्यों ने कारोबार में आसानी वाला वातावरण मुहैया कराने के लिए भूमि अधिग्रहण संबंधी अपने मानदंडों में ढील दी है. उत्तर प्रदेश, गुजरात और तेलंगाना समेत कुछ राज्यों ने औद्योगिक उपयोग के लिए कृषि भूमि खरीदने की अनुमति प्रदान की है.
अब, जीओएम की रिपोर्ट में भूमि की उपलब्धता और अधिग्रहण संबंधी मंजूरियां समय पर सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है. इसमें कहा गया है, ‘भारत में औद्योगिक उद्देश्यों के लिए संपत्ति का पंजीकरण कराना एक बेहद थकाऊ और महंगी प्रक्रिया है, यही कारण है कि डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में ‘संपत्ति की रजिस्ट्री’ के मामले में भारत 154वें स्थान पर है.’
जीओएम रिपोर्ट में इस पर भी जोर दिया गया है कि राज्यों को गैर-आबाद भूमि में बड़े पैमाने पर अधिग्रहण और निवेश के क्षेत्र तैयार करने को प्रोत्साहन देना चाहिए और इन्हें औद्योगिक टाउनशिप के रूप में अधिसूचित करना चाहिए.
गुजरात में धोलेरा और गिफ्ट (GIFT) शहरों का उदाहरण देते हुए इसमें कहा गया, ‘निवेश को तब स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) के जरिये प्रबंधित किया जा सकता है, जिन्हें स्वतंत्र स्वशासी निकायों के रूप में कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए. निवेशकों को और ज्यादा आकर्षित करने के लिए प्लग-एंड-प्ले सुविधा और वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश की जा सकती है.
अन्य सिफारिशें
जीओएम की रिपोर्ट को उन सभी मंत्रालयों के साथ साझा की गई है जिन्हें इसकी सिफारिशों के अनुसार कार्रवाई करनी होगी.
इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि प्रत्येक राज्य के विनियामक और प्रक्रियात्मक माहौल, भूमि की उपलब्धता, बुनियादी ढांचे की स्थिति, कुशल श्रमिक पूल, प्रोत्साहन उपायों, कराधान और शुल्क व्यवस्था से जुड़ी जानकारियों को पूरी स्पष्टता के साथ सहेजकर एक राष्ट्रव्यापी निवेश डाटा भंडार बनाया जाना चाहिए.
इसमें कहा गया है, ‘इस पहल से न केवल कंपनियों को निवेश के लिए विकल्प चुनने में मदद मिलेगी, बल्कि क्षेत्रवार क्लस्टर के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा.’
जीओएम ने यह भी कहा कि सभी राज्य सरकारों को उप-पंजीयक कार्यालय, भूमि रिकॉर्ड कार्यालय और स्थानीय नगर पालिका कार्यालयों में पिछले दो वर्षों के भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और एकीकरण के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
इसमें राज्यों में डाटा रिकॉर्ड एक जैसे फॉर्मेट में रखने की जरूरत को भी रेखांकित किया गया है. रिपोर्ट कहती है, ‘भारत सरकार की तरफ से एक मानक टेम्पलेट प्रदान की जा सकती है. सिंगल ऑनलाइन पोर्टल बनाकर संबंधित कार्यालयों और सिविल कोर्ट में लेन-देन से जुड़े सभी कार्यों की जानकारी एक ही जगह मुहैया कराई जा सकती है.
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