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Wednesday, 5 February, 2025
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‘स्वयम’ पाठ्यक्रमों के लिए नामांकित चार प्रतिशत से भी कम छात्रों ने कार्यक्रम पूरा किया: समिति

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नयी दिल्ली, पांच फरवरी (भाषा) संसद की एक समिति ने कहा है कि ‘स्वयम’ (एसडब्ल्यूएवाईएएम) पाठ्यक्रमों के लिए नामांकित चार प्रतिशत से भी कम छात्रों ने 2017 के बाद से कार्यक्रम पूरा किया है। समिति ने इस पाठ्यक्रम में पुरानी सामग्री, अस्थिर शिक्षण और खराब बुनियादी ढांचे सहित कई शिकायतों को रेखांकित किया है।

राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है कि शिक्षा में डिजिटल पहल इससे जुड़ाव के संदर्भ में कोई खास तब्दीली नहीं लाएगा जब तक कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय रोजगार के लिए सक्रिय रूप से हरसंभव सहायता नहीं करता या नियोक्ताओं को छात्रों से जोड़ने के लिए ‘स्वयम’ से जुड़ा कोई मंच स्थापित नहीं करता।

शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल संबंधी स्थायी समिति ने मंगलवार को राज्यसभा में ‘डीम्ड, निजी विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा मानकों, मान्यता प्रक्रिया, अनुसंधान, परीक्षा सुधार और अकादमिक वातावरण की समीक्षा’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।

‘स्वयम’ एक ऐसा मंच है जो कक्षा नौ से लेकर स्नातकोत्तर तक किसी भी समय, किसी भी स्थान पर किसी को भी पहुंच के लिए विभिन्न पाठ्यक्रमों की सुविधा प्रदान करता है। सभी पाठ्यक्रम ‘इंटरैक्टिव’ हैं, जो देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों द्वारा तैयार किए गए हैं और किसी भी शिक्षार्थी के लिए मुफ्त उपलब्ध हैं।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘हमारा मानना है कि राष्ट्रीय डिजिटल विश्वविद्यालय (एनडीयू), राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के लक्ष्यों के साथ समावेशी, लचीली और सस्ती शिक्षा का वादा करता है। हालांकि, इसकी नींव ‘स्वयम’, महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करती है। 2017 के बाद से, 4 प्रतिशत से कम नामांकित छात्रों ने ‘स्वयम’ पाठ्यक्रम पूरा किया है।’’

समिति ने कहा, ‘‘शिकायतों में पुरानी सामग्री, अस्थिर शिक्षण और खराब बुनियादी ढांचा शामिल है। शिक्षकों ने अपर्याप्त प्रशिक्षण, कम मुआवजे और तकनीकी बाधाओं की बात कही है, जिससे उनकी दक्षता कम हो जाती है। ऑनलाइन मॉडल में 1:15 शिक्षक-छात्र अनुपात की अवहेलना की जाती है, जिससे वर्चुअल कक्षाओं में भीड़भाड़ बढ़ जाती है।’’

इसके अतिरिक्त, ‘ऑक्सफैम इंडिया 2022’ के अनुसार, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के केवल 4 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग के 7 प्रतिशत छात्रों के पास इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटर हैं, जो एनडीयू के ‘इक्विटी’ दावों पर सवाल उठाते हैं।

समिति ने जोर देकर कहा कि डिजिटल पहल केवल जुड़ाव के संदर्भ में ‘उदासीन प्रतिक्रिया’ प्रदान करेगी जब तक कि विभाग प्लेसमेंट में सक्रिय रूप से सहायता करना शुरू नहीं करता है, जहां भी संभव हो, या नियोक्ताओं को छात्रों से जोड़ने के लिए ‘स्वयम’ से जुड़े एक मंच की स्थापना नहीं करता है।

इसमें कहा गया है, ‘‘समिति सिफारिश करती है कि विभाग को यह सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाने चाहिए कि उम्मीदवारों द्वारा पाठ्यक्रम पूरा किया जाए, क्योंकि प्रमुख निजी ऑनलाइन मंच इससे प्रभावित होते हैं।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘विभाग को समाज के वंचित वर्गों के छात्रों की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक अलग प्रकोष्ठ स्थापित करने पर भी विचार करना चाहिए और उनके नामांकन एवं प्रगति की भी पूरी लगन से निगरानी करनी चाहिए।’’

भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र अविनाश माधव

माधव

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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