मुंबई: उत्तर प्रदेश में देवरिया के रहने वाले दो भाई 36 वर्षीय सतेंद्र सिंह और 42 वर्षीय उपेंद्र सिंह हाल में चक्रवात ताउते के कहर बरपाने से कुछ दिन पहले तक समुद्र में एक ही जगह—मुंबई से लगभग 70 किमी दूर—पर थे.
सतेंद्र जहां ट्रिनिटी निस्सी नामक एक बार्ज या बजरे पर सवार थे, उपेंद्र पप्पा-305 या पी-305 पर सवार थे, जो अपतटीय क्षेत्र में ओएनजीसी ऑपरेशन के लिए तैनात एक रिहायशी पोत था.
तटरक्षक बल ने 14 मई को तूफान पर चेतावनी जारी की थी और सभी जहाजों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने को कहा था. कुछ दिन पहले भी अलर्ट जारी किया गया था. सतेंद्र ने बताया कि ट्रिनिटी निस्सी ने इस पर ध्यान दिया और इसे 15 मई को तट के पास एक स्थान पर ले आया गया. हालांकि, पी-305 वहीं ‘रुका रहा.’
सतेंद्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘दोनों बजरे एक ही स्थान पर थे. हालांकि, हमारे कप्तान ने अलर्ट को गंभीरता से लिया और इसे वहां से हटवा दिया. पी-305 बजरा वहीं रुका रहा और चक्रवात की चपेट में आ गया.’
टेक्नीशियन, वेल्डर और फिटर समेत 261 सदस्यीय चालक दल के समेत पी-305 अंततः एक रिग में दुर्घटनाग्रस्त हो गया और 17 मई को डूब गया.
चक्रवात ताउते के सोमवार को गुजरात के तट से टकराने से कुछ घंटों पहले ही मुंबई में 150-180 किमी/घंटा की रफ्तार से हवाएं चलने लगी थी और 6 से 8 मीटर तक ऊंची लहरें उठी थीं. यह भी बताया जा रहा है कि बार्ज के लंगर ने कथित तौर पर 16 मई को तड़के रास्ता दिया और उसे बहते हुए छोड़ दिया.
घटना के दिन कथित तौर पर ऑन-बोर्ड रिकॉर्ड की गई वीडियो क्लिप दहशत और अफरा-तफरी की स्थिति दर्शाती हैं. जैसे ही पानी बार्ज में घुसता है, एक कथित सुपरवाइजर चालक दल से कहता है कि वह अपनी लाइफ-जैकेट पहनकर पानी में कूद जाए. उसने आगे यह भी कहा कि नौसेना मदद के लिए पहुंच रही है. लेकिन इससे पहले कि मदद पहुंच पाती, कई लोगों की जान चली गई.
इस घटना में उपेंद्र सहित करीब 60 लोगों की मौत हुई है, जबकि 186 को बचा लिया गया. 15 अन्य लापता हैं.
मुंबई पुलिस ने चक्रवात को लेकर अलर्ट की कथित तौर पर अनदेखी किए जाने को लेकर बार्ज मालिक और कुछ अन्य के खिलाफ लापरवाही के कारण मौत और गंभीर चोटें पहुंचाने का मामला दर्ज किया है.
दिप्रिंट को एक अन्य रिपोर्ट के लिए दिए गए एक बयान में ओएनजीसी प्रोजेक्ट के कांट्रेक्टर एफकॉन्स ने कहा कि चेतावनियों पर ध्यान दिया गया था लेकिन चक्रवात पूर्वानुमान से कहीं ज्यादा घातक हो गया था. इसने यह भी कहा कि पी-305 की जिम्मेदारी पोत के मालिक दुरमास्ट और बार्ज मालिक की है. ओएनजीसी का कहना है कि उसने समुद्र में अपने सभी जहाजों को मौसम की चेतावनी भेज दी थी और इस घटना के लिए उसने भी बार्ज मालिक को जिम्मेदार ठहराया था.
मुख्य रक्षा जनसंपर्क अधिकारी कमांडर मेहुल कार्णिक ने शुक्रवार को कहा कि बचाव अभियान अब भी जारी है. उन्होंने बताया, ‘भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल बचाव अभियान चला रहे हैं.’
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समुद्र में कैसे बीत रहा जीवन
बजरे पर सवार चालक दल सरकारी तेल एंव प्राकृतिक गैस कंपनी (ओएनजीसी) की एक अपतटीय परियोजना पर काम कर रहा था.
इन ऑफशोर ऑपरेशन में शामिल कर्मचारियों का कहना है कि नौकरी की स्थितियां बहुत ही कठिन हैं—वे महीनों तक दिन में 15-16 घंटे की पाली में समुद्र में काम करते हैं, वो भी 45,000 रुपये प्रति माह तक के वेतन पर.
ओएनजीसी परियोजना पर काम करने वाले एक कर्मचारी ने कहा कि ठेकेदार ने कई भर्ती फर्मों के माध्यम से श्रमिकों को काम पर रखा था. कर्मचारी ने कहा, ‘वे अलग-अलग राज्यों के लोगों को बाहर से यहां बुलाते हैं और उनके कौशल के आधार पर 500 रुपये से 1,500 रुपये प्रतिदिन के बीच भुगतान करते हैं.’
बजरा पी-305 से बचाए गए एक क्रू मेंबर ने कहा कि इस काम में जोखिम बहुत ज्यादा है लेकिन ‘फिर भी लोग ये नौकरी करते हैं क्योंकि कुछ महीने अकेले बिताने के बाद वे अपने घर कुछ एकमुश्त रकम ले जा पाते हैं.’
चालक दल के सदस्य ने कहा, ‘लोगों को उनके कामकाज की स्थिति के आधार पर 20,000 रुपये से 40,000 रुपये प्रति माह तक भुगतान किया जाता है. हमसे दिन में 15-16 घंटे काम कराया जाता है. छह महीने काम करने के बाद हम कम से कम एक लाख रुपये लेकर अपने मूल स्थान पर चले जाते हैं. यह पानी में तैरने और सांस लेने के लिए ऊपर आने जैसा होता है.’
दो कर्मचारियों ने बताया, इंजीनियर और वरिष्ठ अधिकारी एक महीने से अधिक समय तक जहाज पर नहीं रहते हैं. उन्होंने कहा कि निचली श्रेणी वाले मजदूरों को छह से नौ महीने तक रहना पड़ता है क्योंकि बार्ज को तट पर लाना और फिर अपतटीय परियोजना स्थल तक ले जाना काफी महंगा होता है. पी-305 अक्टूबर 2020 से समुद्र में था.
तलोजा निवासी प्रिंस पांडे, जिनका 29 वर्षीय चचेरा भाई अर्जुन पी-305 पर सवार कर्मियों में शामिल था, ने कहा कि उसने अपनी पत्नी को बताया था कि बजरे पर रहने के लिहाज से हालात कितने बदतर हैं.
अपने चचेरे भाई की तलाश में जेजे हॉस्पिटल, जहां मृत चालक दल के सदस्यों के शव लाए जा रहे थे, पहुंचे प्रिंस ने दिप्रिंट से कहा, ‘उसने बताया था कि यहां खाने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है. वो लोग ज्यादातर पानी के सहारे बिस्कुट खाकर जिंदा हैं. उसने 17 मई की सुबह 7 बजे उससे बात की थी. इसके बाद दिन में बजरा डूब गया.’
मूल रूप से बिहार के गोपालगंज का रहने वाला वेल्डर अर्जुन जल्द ही पिता बनने वाले थे. उसने अपनी गर्भवती पत्नी को आखिरी बार जनवरी 2021 में देखा था, जब वह नौकरी के लिए निकला था. उसकी पत्नी इस समय सात माह की गर्भवती है.
उसने आगे कहा, ‘मुझे अर्जुन की मां, पत्नी और भाइयों के लगातार फोन आ रहे हैं जो उसके बारे में पूछ रहे हैं. वह अभी तक लापता है तो ऐसे में मैं उन्हें क्या जवाब दूं?’
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‘उसे पहचान नहीं सकता’
अपने प्रियजनों की तलाश में जेजे अस्पताल पहुंचने वालों में 23 वर्षीय अजहर गद्दी, जो बिहार का रहने वाला था, का भी एक रिश्तेदार शामिल था. गद्दी नौकरी की तलाश में मुंबई आया था और जब कोई काम नहीं मिला तो छह माह पहले वह ओएनजीसी की अपतटीय परियोजना में शामिल हो गया.
अजहर के छोटे भाई लालसाहेब गद्दी ने फोन पर बताया, ‘यह तीसरी बार था जब अजहर इस नौकरी पर आया था. वह एक इलेक्ट्रीशियन है और इस बार उसने यह नौकरी पाने के लिए 50,000 रुपये का भुगतान किया. उनके पास 20 मई को मुंबई से बिहार वापसी का टिकट था.’
गद्दी के भाई ने आगे जोड़ा, ‘हमें बजरा डूबने की सूचना हमारे गांव के एक निवासी ने दी, जो अजहर को इस काम के लिए लेकर गया था. हमने संबंधित कंपनियों से संपर्क की कोशिश की लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. जब पता लगा कि कुछ शव निकाले गए हैं और जेजे अस्पताल भेजे जा रहे हैं तो हमने अपने एक रिश्तेदार को पता करने के लिए भेजा जो मुंबई में ही रहता है.’
गद्दी की पहचान बार्ज पी-305 में मारे गए श्रमिकों में से एक के तौर पर हुई है. मौत के बाद एकदम फूल गए शव को पहचानना रिश्तेदार के लिए आसान नहीं था लेकिन उन्होंने कहा कि उनके पास संदेह करने का कोई कारण नहीं था कि यह गद्दी ही है.
उन्होंने कहा, ‘अजहर दुबला-पतला है, लेकिन उनका कहना है कि पानी जब शरीर के अंदर चला जाता है, तो शव फूल जाता है. मैंने उसके परिवार को तस्वीर भेजी, वे भी उसे पहचान नहीं पाए. लेकिन पुलिस ने उसकी जेब से उसका मोबाइल फोन और आधार कार्ड बरामद किया है, इसलिए वह वही होगा.’
35 वर्षीय जोमिस जोसेफ का परिवार ओएनजीसी, कांट्रेक्टर या भर्ती एजेंसी की तरफ से कोई ठीकठाक जवाब न देने का आरोप लगाते हुए मदद के लिए एक स्थानीय जनप्रतिनिधि के पास पहुंचा.
शुक्रवार को जेजे अस्पताल में मौजूद महाराष्ट्र कांग्रेस के एक पदाधिकारी जोजो थॉमस ने कहा, ‘परिवार फर्म से संपर्क की कोशिश कर रहा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा था. इसके बाद उन्होंने स्थानीय विधायक को बुलाया जिन्होंने मुझे जांच के लिए यहां भेजा. मैं यहां उनकी मौत की पुष्टि करने आया था. जोसेफ के ससुराल वाले गुरुवार सुबह मुंबई पहुंचे थे.’
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि येलो गेट पुलिस स्टेशन ने हर शव से संबंधित औपचारिकताएं पूरी करने में परिवार की मदद के लिए एक सब-इंस्पेक्टर और कांस्टेबल को नियुक्त किया है.
मुंबई पुलिस ने कैप्टन पर मामला दर्ज किया
जैसे ही बजरे में पानी भरने लगा, जहाज पर स्थित एक हताश कर्मचारी ने दो वीडियो बनाकर अपने रिक्रूटर को भेजा. एक वीडियो, जिसे रिक्रूटर ने दिप्रिंट के साथ साझा किया, में कर्मचारियों को लाइफ जैकेट पहने रेलिंग के पास एक कतार में लंगर की रस्सियां कसकर पकड़े देखा जा सकता है. कर्मचारियों को तेज हवा के बीच यह कहते सुना जा सकता है, ‘हालात बहुत खराब है सर. हम सब यहां इंतजार कर रहे हैं. कृपया जल्द मदद भेजें.’
दूसरे वीडियो में सुपरवाइजर कर्मचारियों को लाइफ जैकेट पहनकर समुद्र में कूदने को कहते दिख रहे हैं.
मुंबई के येलो गेट पुलिस स्टेशन ने शुक्रवार को बार्ज के कैप्टन के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत लापरवाही से मौत और गंभीर चोट पहुंचाने का मामला दर्ज किया है.
मुंबई पुलिस के प्रवक्ता एस. चैतन्य ने बताया कि मामला मुख्य अभियंता रहमान शेख की तरफ से की गई शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि कैप्टन ने भारतीय मौसम विभाग के अलर्ट को गंभीरता से नहीं लिया.
मामले की जांच के क्रम में पुलिस गुरुवार रात तक बचाए गए चालक दल के सदस्यों और मृतकों के रिश्तेदारों सहित 110 लोगों के बयान दर्ज कर चुकी थी.
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