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Wednesday, 18 December, 2024
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कम पराली जलाने की घटनाओं और बारिश ने दिया साथ, दिल्ली-NCR 8 साल बाद सबसे कम प्रदूषित

अक्टूबर में दीवाली, स्थानीय प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पराली जलाने के मामलों में कमी और बारिश सहित अनुकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों, सभी ने सर्दियों के शुरुआत में प्रदूषण कम करने में योगदान दिया है.

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नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर क्षेत्रों में इस साल अक्टूबर और नवंबर महीने में प्रदूषण का स्तर पिछले आठ साल के मुकाबले कम रहा है. हालांकि, दिसंबर के महीने में हर साल प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है लेकिन इस बार बेहतर हवा की उम्मीद की जा सकती है.

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के एक हालिया विश्लेषण में कहा है कि अभी तक इस क्षेत्र में पीएम 2.5 का औसत स्तर पिछले आठ सालों में सबसे कम रहा है. साथ ही दिल्ली-एनसीआर में इस साल सर्दियों की शुरुआत में हवा की गुणवत्ता में सुधार के संकेत दिखे हैं.

पराली जलाने के मामलों में कमी और अक्टूबर में बारिश और शहर में हवा की गति ने स्थानीय प्रदूषण को पिछले साल के मुकाबले कम करने में मदद की है. इस साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में एक भी दिन स्मॉग का नहीं रहा है.

सीएसई के रिसर्च एंड एडवोकेसी विभाग की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने बताया, ‘ गर्म अक्टूबर में दीवाली, स्थानीय प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पराली जलाने के मामलों में कमी और उसके अलावा अक्टूबर में बारिश सहित अनुकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों, सभी ने सर्दियों के शुरुआत में प्रदूषण कम करने में योगदान दिया है.’

दिल्ली-एनसीआर के सभी प्रमुख शहर जो छोटे शहरों की तुलना में अधिक प्रदूषित रहते थे, वहां इस साल पिछले तीन साल की तुलना में प्रदूषण का स्तर सबसे कम दर्ज किया गया.

विश्लेषण के अनुसार गाजियाबाद का अक्टूबर-नवंबर का औसत पार्टिकुलैट मैटर (पीएम) सामान्य 2.5 से इस साल 2020 की इसी समान अवधि की तुलना में 36 प्रतिशत कम है. नोएडा और फरीदाबाद में क्रमश: 28 फीसदी और 22 फीसदी का सुधार दर्ज किया गया. गुरुग्राम में 15 प्रतिशत परिवर्तन के साथ सबसे कम सुधार दिखा. इस वर्ष नोएडा का अक्टूबर-नवंबर औसत पीएम 2.5 2020 की समान अवधि की तुलना में 40 प्रतिशत कम रहा.

हालांकि, इस साल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दीवाली के मौके पर पटाखों की बिक्री और प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने की कवायद जारी रखी थी.


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इस साल प्रदूषण में पराली का योगदान रहा शून्य

इस विश्लेषण का मकसद सर्दियों में प्रदूषण के बदलते पैटर्न को समझना है.

सीएसई के विश्लेषण के पीछे डेटा स्रोतों के बारे में अर्बन लैब में सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अविकल सोमवंशी ने बताया, ‘यह 2018 से लेकर 2022 तक एक अक्टूबर से 30 नवंबर की अवधि के लिए पीएम 2.5 अवधि में वार्षिक और मौसमी रुझानों का आकलन है. यह विश्लेषण दिल्ली-एनसीआर में वर्तमान में कार्यरत वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों से उपलब्ध रियल टाइम डेटा के आधार पर है. इस विश्लेषण के लिए संयुक्त राज्य पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (यूएसईपीए) पद्धति के आधार पर डेटा को एनालाइज किया गया है, जिसमें दिल्ली-एनसीआर के 81 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (सीएएक्यूएमएस) शामिल हैं.’

बता दें कि इस साल दिल्ली में नवंबर महीने में होने वाले प्रदूषण के मुख्य कारण पराली का योगदान 2020 और 2021 के मुकाबले कम रहा है.

अविकल सोमवंशी ने दिप्रिंट को बताया, ‘पिछले 6-7 साल में इन दो महीनों में प्रदूषण का स्तर अधिक रहता था, जिसका मुख्य कारण पंजाब और हरियाणा के किसानों का पराली जलाना होता था.’

उनका कहना है कि इस साल पराली के मामलों में 2020 और 2021 की तुलना में कमी आई है, लेकिन यह 2019 से अधिक रहा है. उन्होंने कहा कि इस साल दिल्ली में पराली का धुआं केवल 4 टन तक रहा, जबकि 2020 और 2021 में ये क्रमशः 8 और 6.5 टन रहा था.

सीएसई ने अनुमान लगाया है कि दिल्ली में अक्टूबर-नवंबर के दौरान धुएं ने लगभग 4.1 टन पीएम 2.5 का योगदान दिया है. यह पिछले साल आए 6.4 टन से 37 फीसदी कम है और 2020 के आंकड़े का भी लगभग आधा है.

गौरतलब है कि सफर के अनुमान के अनुसार, चार नवंबर, 2022 तक दिल्ली के पीएम 2.5 स्तर में पराली जलाने की गतिविधियों से होने वाले धुएं की हिस्सेदारी शून्य रही है.

नासा के वीआईआईआरएस उपग्रह के अनुसार, इस साल पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में अक्टूबर और नवंबर के महीनों में पराली जलाने की कुल 54,391 मामले थे और नासा के एमओडीआईएस उपग्रह के अनुसार, यह संख्या 11,824 थी. ये 2021 के अक्टूबर-नवंबर के आंकड़ों की तुलना में क्रमशः 37 प्रतिशत और 42 प्रतिशत कम हैं. इससे कहा जा सकता है कि पिछले दो साल की तुलना में न केवल आग लगाने की संख्या कम थी बल्कि इसकी इंटेंसिटी (तीव्रता) भी कम थी.


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पिछले आठ साल में इस साल सर्दी रही प्रदूषण मुक्त

इस साल दिल्ली में अक्टूबर के पहले दो हफ्तों में पांच ‘अच्छे’ एक्यूआई दिनों के साथ इस सर्दी की शुरुआत साफ सुथरी हुई है. सोमवंशी ने कहा, ‘इस साल स्मॉग की एक भी घटना अब तक रिकॉर्ड नहीं की गई है. इस साल सर्दियों की शुरुआत पिछले आठ साल के मुकाबले सबसे कम प्रदूषित रही. 2021 में सर्दियों के दौरान, तीन स्मॉग एपिसोड थे- दो नवंबर में और एक दिसंबर में.’

उन्होंने आगे बताया, ‘सामान्य तौर पर नवंबर के महीने में ‘गंभीर’ एक्यूआई के 15 दिन होते हैं, लेकिन इस साल यह केवल पांच दर्ज किए गए, जबकि 2021 में यह 14 दिन रहे थे.’

सोमवंशी का कहना है कि इस साल अक्टूबर और नवंबर महीने के प्रभाव के कारण दिसंबर में प्रदूषण के कम होने की उम्मीद जताई जा सकती है.

गौरतलब है कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच एक्यूआई ‘गंभीर’ माना जाता है.

इस साल शहर में चल रही हवा की गति ने स्थानीय प्रदूषण के कणों को तितर-बितर करने में मदद की है. दिल्ली में इस अक्टूबर-नवंबर में 115 मिमी बारिश हुई, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक है. इससे शहर की हवा को खासकर अक्टूबर के महीने में साफ करने में मदद मिली. नवंबर में हवा की औसत गति 12.4 किमी/घंटा रही जिसने स्थानीय प्रदूषण के कणों को साफ करने में मदद की.

सोमवंशी ने कहा, ’20 दिसंबर से 10 जनवरी तक दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण अपने ऊच्च स्तर पर होता है. इसका कारण यह है कि सर्दियों में हवा कम होने के कारण प्रदूषण के कण शहर से बाहर नहीं जा पाते हैं. इसकी वजह से हाल-फिलहाल में शहर के लोग आंखों में जलन और तेज़ खांसी की भी शिकायत कर रहे हैं.’


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हवा बेहतर बनाने के लिए इन उपायों की ज़रूरत

नवंबर महीने के पहले सप्ताह में शहर की हवा ज़हरीली होने के कारण राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने दिल्ली सरकार से इसमें सुधार होने तक स्कूलों को बंद करने को कहा था, जिसके बाद दिल्ली-एनसीआर में पहली से पांचवीं कक्षा तक के स्कूलों को बंद किया गया था. इस दौरान सरकारी दफ्तरों में वर्क फ्रॉम होम नियम लागू करने का ऐलान कर दिया था.

अनुमिता कहती हैं, ‘यह देखने की बात है कि बाकी सर्दी कैसी रहती है लेकिन यह साफ है कि इस बदलाव को बनाए रखने के लिए और पूरे साल में और अधिक हस्तक्षेप की जरूरत है.’

उन्होंने कहा कि शहर में प्रदूषण कम हो सकता है लेकिन एक्यूआई श्रेणी के अनुसार ‘खराब’ और ‘बहुत खराब’ स्तर सार्वजनिक स्वास्थ्य की दृष्टि से स्वीकार्य नहीं हैं. प्रदूषण के हर क्षेत्र में साल भर ठीक रहने के लिए कार्रवाई करनी होगी ताकि अगले साल भी साफ-सुथरी सर्दी रहे और इसे तत्काल लागू किया जाना चाहिए.’

सोमवंशी ने दिसंबर से जनवरी की अवधि में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए दिल्ली सरकार, ग्रेडेड एक्शन रिस्पांस प्लान (ग्रेप) और डीपीसीसी की ओर से की गई कार्रवाई को जरूरी बताया, जिनमें शहर में सार्वजनिक वाहनों के यात्रा को मुफ्त करना, निर्माण कार्यों पर रोक लगाना आदि शामिल है. (ऐसी कार्रवाई नवंबर महीने में एक्यूआई के बेहदस गंभीर श्रेणी में पहुंचने के दौरान की गई थी).

हालांकि, उन्होंने ऑड-इवन और स्मॉग गन को इतना आवश्यक नहीं बताया है. वहीं, चौधरी ने यह भी कहा है कि सर्दियों के प्रदूषण को संतोषजनक स्तर तक कम करने के लिए मजबूत उपायों और स्थानीय स्रोतों पर साल भर गहरी कार्रवाई की आवश्यकता है.’

सीएसई के मुताबिक, प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए औद्योगिक स्वच्छ ईंधन नीति लागू करना, औद्योगिक कचरा जलाना बंद करना, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ाना, पुराने वाहनों को (15 साल) स्क्रैप करना, सार्वजनिक परिवहन और साइकिल चलाने को बढ़ावा देना, कचरे को जलाने से रोकने के लिए डंपसाइट्स में पुराने कचरे का 100 प्रतिशत पृथक्करण (सेग्रीगेशन), रिसाइकल करना, धूल प्रबंधन में नियंत्रण उपाय आदि शामिल किया जाना चाहिए.


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