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Thursday, 9 October, 2025
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लेह हिंसा: न्यायिक जांच की मांग तेज, हिरासत में लिये गए 26 लोग रिहा

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(फोटो के साथ)

लेह, दो अक्टूबर (भाषा) लेह में हाल ही में हुई हिंसा की न्यायिक जांच की मांग बृहस्पतिवार को तेज हो गई। दो शक्तिशाली बौद्ध धार्मिक संगठनों और कारगिल बार एसोसिएशन ने हिंसा की न्यायिक जांच पर जोर दिया।

लेह में बृहस्पतिवार को आम जनजीवन पटरी पर लौटता दिखा, जब अधिकारियों ने एक हफ्ते में पहली बार कर्फ्यू में पूरे दिन के लिए ढील दी और हिरासत में लिये गए 26 लोगों को रिहा कर दिया। लेह में हिंसा में कथित संलिप्तता को लेकर 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया था।

लद्दाख बौद्ध संघ (एलबीए) और अखिल लद्दाख गोंपा संघ (एएलजीए) ने लेह में एक संयुक्त प्रार्थना सभा आयोजित कर 24 सितंबर को पुलिस की गोलीबारी में मारे गए चार युवकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने दो अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर उन्हें भी श्रद्धांजलि अर्पित की।

एलबीए और एएलजीए ने एक संयुक्त बयान में बताया कि प्रार्थना सभा के बाद दोनों संगठन के सदस्यों ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें प्रदर्शनकारियों पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की ओर से कथित तौर पर अत्यधिक बल प्रयोग और अंधाधुंध गोलीबारी की निष्पक्ष न्यायिक जांच, मारे गए तथा गंभीर रूप से घायल लोगों के आश्रितों के लिए पर्याप्त मुआवजा और कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की तत्काल रिहाई की मांग की गई है।

लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर केंद्र के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) की ओर से पिछले बुधवार को आहूत बंद के दौरान लेह में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प हो गई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 90 घायल हो गए।

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को अपने भाषणों के जरिये लेह में हिंसा भड़काने के आरोप में 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया था। उन्हें राजस्थान की जोधपुर जेल में रखा गया है।

बयान में एलबीए और एएलजीए ने हिंसा के बाद पुलिस की ओर से “बेबुनियाद आधार” पर हिरासत में लिये गए अन्य सभी लोगों की तत्काल रिहाई और क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए स्थानीय युवकों के खिलाफ “भेदभावपूर्ण कार्रवाई तथा उनका उत्पीड़न” रोकने की भी मांग की।

प्रार्थना सभा के बाद संवाददाताओं से मुखातिब एलबीए अध्यक्ष चेरिंग दोरजे ने कहा कि संगठन के कानूनी सलाहकार हाजी गुलाम मुस्तफा को वांगचुक से मिलने की अनुमति दे दी गई है।

दोरजे ने बताया कि मुस्तफा लेह से दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं, जहां से वह राजस्थान जाएंगे। उन्होंने बताया कि वांगचुक के परिवार के कुछ सदस्यों को भी उनसे मिलने की इजाजत दे दी गई है।

दोरजे के मुताबिक, हिंसा के बाद हिरासत में लिये गए 26 लोगों को स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी है, जबकि लगभग 30 लोग अब भी हिरासत में हैं।

लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस लद्दाख को राज्य का दर्जा देने सहित चार मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं तथा इस सिलसिले में उनकी केंद्र के साथ कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है।

दोनों संगठनों ने केंद्र के साथ छह अक्टूबर को होने वाली बातचीत से दूर रहने का फैसला लिया है। उन्होंने मांग की है कि न्यायिक जांच का आदेश देकर और हिरासत में लिये गए सभी लोगों को रिहा करके वार्ता की बहाली के लिए अनुकूल माहौल बनाया जाए।

कारगिल बार एसोसिएशन लेह के लोगों, खास तौर पर हिंसा में प्रियजनों को गंवाने वाले परिवारों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए एक हफ्ते की हड़ताल पर है।

एसोसिएशन के एक प्रवक्ता ने बताया कि बार एसोसिएशन छह अक्टूबर तक सभी न्यायिक कार्यों से दूर रहेगा। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन 24 सितंबर की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के किसी भी पीड़ित को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

प्रवक्ता ने कहा कि एसोसिएशन ने लद्दाख प्रशासन से मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायिक जांच सुनिश्चित करने का आग्रह किया है, ताकि न्याय सुनिश्चित हो और जवाबदेही तय की जा सके।

अधिकारियों ने बताया कि लेह में बृहस्पतिवार सुबह बाजार खुले और पुलिस ने कर्फ्यू में ढील पूरे दिन के लिए बढ़ा दी।

उन्होंने बताया कि कर्फ्यू 24 सितंबर की शाम को लगाया गया था और धीरे-धीरे ढील की अवधि बढ़ा दी गई, क्योंकि शहर में स्थिति कुल मिलाकर शांतिपूर्ण बनी हुई है।

हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि लेह में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं और लद्दाख में निषेधाज्ञा के तहत पांच या उससे अधिक लोगों के इकट्ठे होने पर रोक है।

भाषा पारुल सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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