scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमदेशभाजपा नेता के हिल काउंसिल चुनावों के बहिष्कार के आह्वान पर की गई टिप्पणी के विरोध में लेह बंद

भाजपा नेता के हिल काउंसिल चुनावों के बहिष्कार के आह्वान पर की गई टिप्पणी के विरोध में लेह बंद

भाजपा नेता राम माधव और जम्मू-कश्मीर इकाई के पदाधिकारी अशोक कौल इस समय लेह में हैं. बंद का आह्वान पीपुल्स मूवमेंट फॉर सिक्स्थ शेड्यूल की सर्वोच्च इकाई ने किया था.

Text Size:

श्रीनगर: लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के चुनावों के बहिष्कार का आह्वान करने वाले एक स्थानीय समूह की तरफ से पारित प्रस्ताव के खिलाफ भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी की टिप्पणी पर गुरुवार को लेह में बंद रखा गया.

अगले महीने प्रस्तावित चुनावों के बहिष्कार का प्रस्ताव पीपुल्स मूवमेंट ऑफ सिक्स्थ शेड्यूल की सर्वोच्च इकाई ने मंगलवार को पारित किया था. यह एक नवगठित समूह है जिसमें प्रमुख स्थानीय धार्मिक समूहों के नेता और भाजपा, कांग्रेस और आप आदि राजनीतिक दलों की इकाइयां शामिल हैं.

सर्वोच्च इकाई की मांग है कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत लाया जाए और बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद की तर्ज पर संवैधानिक सुरक्षा प्रदान की जाए. इनका कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती वे चुनावों का बहिष्कार करेंगे.

छठी अनुसूची में आदिवासियों के लिए निर्धारित क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान है. इसमें भूमि का स्वामित्व और सरकारी नौकरियां केवल स्थानीय निवासियों के लिए सीमित होती हैं.

पार्टी महासचिव राम माधव और जम्मू-कश्मीर इकाई के महासचिव अशोक कौल सहित भाजपा के कई वरिष्ठ नेता इस समय स्थानीय मांगों से संबंधित सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए लेह की यात्रा पर हैं.

हालांकि, कौल ने शीर्ष इकाई के प्रस्ताव को यह कहते हुए ‘बकवास’ करार दिया था कि इसका कोई मतलब नहीं है जिसके बाद छात्रों की एक प्रमुख इकाई लद्दाख स्टूडेंट्स एनवायरनमेंटल एक्शन फोरम (एलईएएफ) ने बुधवार को उस होटल के बाहर प्रदर्शन किया, जहां भाजपा नेता ठहरे हुए हैं. इसके बाद पीपुल्स मूवमेंट फॉर सिक्स्थ शेड्यूल की सर्वोच्च इकाई की तरफ से बंद का आह्वान किया गया.

इस बीच कौल ने दिप्रिंट से कहा कि उनकी टिप्पणियों को ‘बढ़ा-चढ़ाकर’ पेश किया गया.


यह भी पढ़ें: अकाली दल के बाद अब JD(U) कृषि विधेयकों में चाहती है बदलाव, MSP की गारंटी की मांग


‘लद्दाख में भाजपा की गतिविधियों का मुकाबला करने की कार्य योजना बनाएंगे’

2018 में पार्टी छोड़ने वाले भाजपा के पूर्व लोकसभा सांसद थुपस्टन चेवांग ने दिप्रिंट को बताया कि मतदान के बहिष्कार का आह्वान अब भी बरकरार है.

उन्होंने आगे कहा, ‘वरिष्ठ भाजपा नेताओं की हालिया टिप्पणियों पर विरोध जताने के लिए सफलतापूर्वक बंद का आयोजन किया गया. मतदान का बहिष्कार पहले की तरह ही कायम है. अब हम अपने समूह को मजबूत करेंगे और क्षेत्र में भाजपा की गतिविधि का मुकाबला करने के लिए एक कार्य योजना तैयार करेंगे.’

एलईएएफ के अध्यक्ष जिग्मेट पलजोर ने कहा कि उन्होंने कोविड की एसओपी का कोई ‘उल्लंघन किए बिना’ शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया.

सर्वोच्च इकाई के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल पलजोर ने आगे कहा, ‘आज सभी बाजार बंद रहे. यह इस बात का एक स्पष्ट संकेत है कि क्षेत्र के लोग क्या चाहते हैं.’

अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं में चेवांग, राज्य सभा के पूर्व सांसद थिकसे रिनपोछे, जम्मू-कश्मीर के पूर्व भाजपा मंत्री छेरिंग दोरजी लाकरूक, लद्दाख कांग्रेस के अध्यक्ष नवांग रिग्जिन जोरा, लेह के भाजपा अध्यक्ष नवांग समतन और लेह में आप के संयोजक टी. फुनसोग शामिल थे.


यह भी पढ़ें: तोमर ने कहा- कांग्रेस का कृषि विधेयकों का विरोध ‘हाथी के दांत’ जैसा, पहले वह Manifesto से मुकरने की घोषणा करे


भाजपा ने कहा- सभी से बात कर रहे हैं

भाजपा इस मामले में खुद को एक मुश्किल स्थिति में पा रही है क्योंकि उसकी अपनी लेह इकाई के प्रमुख प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वालों में से एक हैं.

हालांकि कौल ने दिप्रिंट से कहा कि वे सभी से बात कर रहे हैं और जल्द ही एक फैसले पर पहुंचेंगे.

कौल ने कहा, ‘मेरी टिप्पणी बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गई. लेकिन अब हम लेह में हैं और सभी से बात कर रहे हैं. हम केंद्र सरकार से भी बात कर रहे हैं और एक-दो दिनों में हम अपने फैसले की घोषणा करेंगे.’

सर्वोच्च इकाई में शामिल भाजपा के स्थानीय नेताओं के बारे में पूछे जाने पर, कौल ने कहा, ‘हम उनसे भी बात कर रहे हैं. विचार-विमर्श जारी है.’

हालांकि, चेवांग ने कहा कि भाजपा की तरफ से ‘संपर्क’ किया जाना अभी बाकी है.

उन्होंने कहा, ‘हमने जब से चुनावों के बहिष्कार का संकल्प लिया है, भाजपा या सरकार में से किसी ने भी यह मसला हल करने के लिए हमसे संपर्क नहीं किया है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: कोरोनावायरस महामारी के बाद पहली बार भारत की R वैल्यू एक से नीचे आयी


 

share & View comments