नयी दिल्ली, 11 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बीआर गवई ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के जिम्मेदारीपूर्ण इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए विधि शिक्षा में एआई जनित सामग्री की आलोचनात्मक समीक्षा पर जोर दिया, ताकि कानूनी वैधता और सटीकता हासिल की जा सके।
न्यायमूर्ति गवई नैरोबी विश्वविद्यालय में ‘कानून, प्रौद्योगिकी और कानूनी शिक्षा’ विषय पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि कानूनी शिक्षा में नैतिक आचरण, निष्ठा और पेशेवर जिम्मेदारी पर हमेशा जोर दिया गया है और विधि अनुसंधान में सामग्री की चोरी एवं एआई के नैतिक इस्तेमाल को दो प्रमुख चिंताओं के रूप में रेखांकित किया गया है।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “एआई के जिम्मेदारीपूर्ण इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए विधि शिक्षा में एआई-जनित सामग्री की आलोचनात्मक समीक्षा पर जोर देना चाहिए, ताकि कानूनी वैधता और सटीकता हासिल की जा सके। एआई उपकरणों को मानवीय तर्क-शक्ति के प्रतिस्थापन के बजाय पूरक के रूप में देखा जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि विधि छात्रों को विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए एआई-जनित सामग्री और केस स्टडी को सत्यापित करना चाहिए तथा एआई पूर्वाग्रह एवं निष्पक्षता से जुड़े मुद्दों पर गौर करना चाहिए, खासतौर पर आपराधिक न्याय, अनुबंध कानून और अनुमानित विश्लेषण के मामले में।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि शिक्षक ऐसी केस स्टडी शामिल कर सकते हैं, जिनसे एआई के विफल होने या उसके परिणामस्वरूप अनैतिक कानूनी परिणाम निकलने की बात रेखांकित होती है। उन्होंने कहा कि छात्रों को भी शोध और लेखन में एआई उपकरणों के इस्तेमाल को स्वीकार करना चाहिए।
भाषा पारुल दिलीप
दिलीप
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