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कोलकाता, नौ अगस्त (भाषा) वरिष्ठ भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी शनिवार को कहा कि वह आरजी कर घटना के एक साल पूरे होने पर पश्चिम बंगाल राज्य सचिवालय ‘नबान्न’ तक शांतिपूर्ण मार्च निकालने जा रहे हैं और उन्होंने ममता बनर्जी सरकार पर धमकाने एवं अत्यधिक प्रतिबंध लगाने का आरोप लगाया।
राज्य प्रशासन ने आंदोलनकारियों को सचिवालय तक पहुंचने से रोकने के लिए कड़े सुरक्षा उपाय किए हैं।
राज्य सरकार के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला डॉक्टर की कथित बलात्कार के बाद हत्या की पहली बरसी पर अधिकारी और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अपने विरोध प्रदर्शन के दौरान मिठाई बांटे बिना रक्षाबंधन भी मनाया।
निर्धारित मार्च में शामिल होने से पहले विधानसभा के पास अधिकारी ने पत्रकारों से कहा कि लगभग 20 भाजपा विधायक वहां एकत्र हुए हैं और वे जल्द ही दिवंगत चिकित्सक के माता-पिता से मिलने के लिए डोरीना क्रॉसिंग जाएंगे।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘नबान्न अभियान’ (नबन्ना तक मार्च) कोई राजनीतिक रैली नहीं है, बल्कि दिवंगत चिकित्सक के माता-पिता ने इसका आह्वान किया था।
उन्होंने आंदोलन में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की भागीदारी पर जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा सदस्यों के अलावा, इसमें एसयूसीआई से जुड़े व्यक्ति, महिलाएं और विभिन्न मठों एवं मंदिरों के साधु भी शामिल हैं।
अधिकारी ने दावा किया कि हजारों लोग पहले ही हावड़ा स्टेशन पर, 5,000 से ज़्यादा सांतरागाछी और कोलकाता के डोरीना क्रॉसिंग पर इकट्ठा हो चुके हैं।
विरोध प्रदर्शन की अनुमति के मुद्दे पर, अधिकारी ने जोर देकर कहा कि अनुमति दे दी गई है। हालांकि उन्होंने प्रशासन की ‘बेहद निम्नस्तरीय, संकीर्ण मानसिकता’ की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बार-बार शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अधिकार को बरकरार रखा है। उन्होंने नबान्न की मुख्य सड़क से दूर अवरोधक लगाने की आवश्यकता पर सवाल उठाया है।
शांति की अपील करते हुए, उन्होंने प्रदर्शनकारियों को सलाह दी कि वे आम पुलिसकर्मियों से बहस न करें या कोई गड़बड़ी न करें। उन्होंने पुलिसकर्मियों को ‘‘हमारे दोस्त’’ बताते हुए कहा कि वे ‘‘सभी बदलाव चाहते हैं।’’
अधिकारी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि विपक्ष के नेता के रूप में उनकी भूमिका भाजपा का प्रतिनिधित्व करने से कहीं बढ़कर है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी जिम्मेदारी राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल द्वारा प्रताड़ित किसी भी व्यक्ति की आवाज़ उठाना है – चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो, ईसाई हो, माकपा, कांग्रेस, भाजपा का समर्थक हो, या कोई गैर-राजनीतिक व्यक्ति, पत्रकार हो या वकील। मैं राजनीति नहीं कर रहा हूं। मैं विरोध प्रदर्शन कर रहा हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमें रोका गया, तो हम बैठकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि न तो वह और न ही अन्य विधायक मुख्य वक्ता होंगे।
उन्होंने कहा कि इसके बजाय, अगर दिवंगत डॉक्टर के माता-पिता को माइक्रोफोन इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए, तो वे बयान देंगे।
भाषा राजकुमार माधव
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