scorecardresearch
Monday, 6 October, 2025
होमदेशअदालत कक्ष में वकील ने सीजेआई की ओर जूता उछालने की कोशिश की

अदालत कक्ष में वकील ने सीजेआई की ओर जूता उछालने की कोशिश की

Text Size:

नयी दिल्ली, छह अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय में सोमवार को कार्यवाही के दौरान 71 वर्षीय एक वकील ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई की ओर कथित तौर पर जूता उछालने की कोशिश की।

घटना के बाद सीजीआई ने अपना संयम बनाए रखा और अदालत कक्ष में उपस्थित वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, ‘‘इन सब बातों से विचलित मत होइए। हम विचलित नहीं हैं। इन बातों का मुझ पर कोई असर नहीं पड़ता।’’

वकीलों के अनुसार, यह घटना उस समय घटी जब प्रधान न्यायाधीश और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ वकीलों द्वारा उल्लेख किए गए मामलों की सुनवाई कर रही थी।

आरोपी वकील की पहचान बाद में मयूर विहार निवासी राकेश किशोर (71) के रूप में की गयी। वह मंच के पास पहुंचा, अपना जूता निकाला और उसे न्यायाधीशों की ओर उछालने का प्रयास किया।

अदालत कक्ष में मौजूद सतर्क सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और हमले को रोका। वकील को तुरंत अदालत परिसर से बाहर ले जाया गया।

जब वकील को ले जाया जा रहा था, तो उसे चिल्लाते हुए सुना गया, ‘‘सनातन का अपमान नहीं सहेंगे’’।

सूत्रों के अनुसार, पुलिस उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के साथ समन्वय कर रही है और मामले की जांच कर रही है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि वकील के कृत्य के पीछे के वास्तविक उद्देश्य के बारे में विस्तृत जानकारी अभी नहीं मिली है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस कृत्य को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय’’ बताया तथा इसे गलत सूचना का परिणाम और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास बताया।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधान न्यायाधीश की अदालत में आज की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। यह सोशल मीडिया पर गलत सूचना का परिणाम है। यह संतोषजनक है कि भारत के प्रधान न्यायाधीश ने दरियादिली के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की… मैं केवल यही आशा करता हूं कि इस दरियादिली को अन्य लोग संस्था की कमजोरी के रूप में न देखें।’’

मेहता ने कहा, ‘‘मैंने व्यक्तिगत रूप से प्रधान न्यायाधीश को सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों पर पूरी श्रद्धा के साथ जाते देखा है। प्रधान न्यायाधीश ने भी इस स्थिति को स्पष्ट किया है। यह समझ से परे है कि एक उद्दंड व्यक्ति ने आज जो किया, उसके पीछे क्या कारण था। ऐसा लगता है कि यह उसने ध्यान आकर्षित करने के लिए किया, जो सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाहता है।’’

वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने इस घटना को ‘‘पूरी संस्था पर हमला’’ करार दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस घटना की प्रत्यक्षदर्शी नहीं हूं। मुझे जो पता है, वह मीडिया की खबरों से पता चला है। इसकी जांच ज़रूरी है। मैं इसे सिर्फ़ प्रधान न्यायाधीश पर नहीं, बल्कि पूरी संस्था पर हमला मानती हूं।’’

जयसिंह ने कहा, ‘‘मैं इसे प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ जातिवादी टिप्पणी मानती हूं….इस पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय से कानूनी प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।’’

यह घटना पिछले महीने खजुराहो में विष्णु भगवान की मूर्ति की पुनर्स्थापना के संबंध में हुई सुनवाई के दौरान सीजेआई की टिप्पणियों पर आरोपी वकील की अप्रसन्नता से जुड़ी हो सकती है।

सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मध्य प्रदेश में यूनेस्को विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर परिसर के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट की मूर्ति के पुनर्निर्माण और उसे पुनः स्थापित करने के निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा था, ‘‘यह पूरी तरह से प्रचार पाने के लिए दायर याचिका है… जाकर स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए। अगर आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रति गहरी आस्था रखते हैं, तो प्रार्थना करें और थोड़ा ध्यान लगाएं।’

अपनी टिप्पणियों की सोशल मीडिया पर हुई आलोचना के बाद सीजेआई ने कहा था कि वह ‘‘सभी धर्मों’’ का सम्मान करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘किसी ने मुझे बताया कि मैंने जो टिप्पणियां की थीं, इन्हें सोशल मीडिया पर गलत ढंग से चित्रित किया गया है… मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।’’

भाषा

गोला नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments