scorecardresearch
Thursday, 12 December, 2024
होमदेशजबरन वैक्सीनेशन वाली याचिका को कोर्ट ने किया खारिज, कहा -वकील मुवक्किल की शिकायत उठाएं, खुद की नहीं

जबरन वैक्सीनेशन वाली याचिका को कोर्ट ने किया खारिज, कहा -वकील मुवक्किल की शिकायत उठाएं, खुद की नहीं

अदालत ने कहा कि आरोपी की जब आरटी-पीसीआर जांच और टीकाकरण किया तो उसने कोई आपत्ति नहीं की. इसलिए, वैक्सीनेशन न कराने को लेकर किया गया आवेदन और तर्क 'सुनवाई योग्य नहीं' है.

Text Size:

मुंबई: एक स्थानीय अदालत ने एक आरोपी के कथित तौर पर जबरन कोरोनावायरस रोधी टीकाकरण से संबंधित एक याचिका को खारिज करते हुए कहा कि एक वकील को अपने मुवक्किल की शिकायतों को उठाना होता है न कि अपनी.

आवेदक ने अपने वकील के माध्यम से अदालत में अर्जी दाखिल कर उसे यहां जेल ले जाने से पहले जबरन टीका लगाने के लिए पुलिस और डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया.

पिछले हफ्ते जब याचिका पर सुनवाई हुई तो सत्र अदालत के न्यायाधीश एस जे घरत ने इसे खारिज कर दिया. विस्तृत अदालती आदेश शुक्रवार को उपलब्ध कराया गया.

आदेश में, न्यायाधीश ने कहा, ‘मैंने आरोपी से टीकाकरण की शिकायत के बारे में पूछताछ की. आरोपी ने कहा कि उसने कुछ वीडियो देखे और इसलिए, वह टीका नहीं लगवाना चाहता था.’

जब अदालत ने आरोपी से पूछा कि क्या वह यह शिकायत संबंधित पुलिसकर्मी या टीकाकरण स्टाफ के संज्ञान में लाया, तो आरोपी ने नहीं में जवाब दिया.

अदालत ने कहा कि इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी की जब आरटी-पीसीआर जांच और टीकाकरण किया तो उसने कोई आपत्ति नहीं की. इसलिए, आवेदन में दिया गया तर्क ‘सुनवाई योग्य नहीं’ है.

वकील का जिक्र करते हुए, जिसने आरोपी की ओर से दलील दी थी, अदालत ने कहा कि वकील के तर्कों से ऐसा प्रतीत होता है कि वह टीकाकरण के खिलाफ है.

अदालत ने कहा कि उन्होंने (अधिवक्ता ने) यह भी कहा है कि टीकाकरण को अनिवार्य बनाये जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय में भी याचिका दाखिल कर रखी है. जिसमें कहा है कि टीका कोरोनावायरस से सुरक्षा नहीं देता.

अदालत ने कहा कि इसलिए मुवक्किल की शिकायतों को उठाया जाना चाहिए न कि अधिवक्ता की. पक्षकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रावधान उपलब्ध हैं.


यह भी पढ़ें: वैक्सीन के बाद प्रतिकूल असर की 61% घटनाओं का संबंध Covid टीकों से, पर कोई जानलेवा नहीं: सरकारी स्टडी


 

share & View comments