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Sunday, 23 June, 2024
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मिलिए ‘भगवान राम’ के उस सिपाही परासरण से जिसने 90 साल की उम्र में जीती लड़ाई

उच्चतम न्यायालय ने अगस्त में जब अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई का फैसला किया तो विरोधी पक्ष के वकीलों ने कहा था कि उनकी उम्र को देखते हुए यह मुश्किल होगा, 92 बरस के परासरण ने 40 दिन तक घंटों चली सुनवाई में पूरी शिद्दत से दलीलें पेश की .

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नयी दिल्ली: उम्र को धता बताते हुए अयोध्या मामले में रामलला विराजमान की ओर से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरण ने शनिवार उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद राहत की सांस ली होगी जिन्होंने हाल ही में कहा था कि उनकी आखिरी ख्वाहिश है कि उनके जीतेजी रामलला कानूनी तौर पर विराजमान हो जाये .

उम्र के नौ दशक पार करने के बावजूद पूरी ऊर्जा से अयोध्या मामले में अकाट्य दलीलें रखने वाले परासरण को भारतीय वकालत का ‘भीष्म पितामह’ यूं ही नहीं कहा जाता .

उच्चतम न्यायालय ने अगस्त में जब अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई का फैसला किया तो विरोधी पक्ष के वकीलों ने कहा था कि उम्र को देखते हुए उनके लिये यह मुश्किल होगा लेकिन 92 बरस के परासरण ने 40 दिन तक घंटों चली सुनवाई में पूरी शिद्दत से दलीलें पेश की .

उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को सर्वसम्मति के फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करते हुये केन्द्र को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिये किसी वैकल्पिक लेकिन प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड आबंटित किया जाये.

न्यायालय में परासरण को बैठकर दलील पेश करने की सुविधा भी दी गई लेकिन उन्होंने यह कहकर इनकार कर दिया कि वह भारतीय वकालत की परंपरा का पालन करेंगे .


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रामलला विराजमान से पहले सबरीमाला मामले में भगवान अयप्पा के वकील रहे परासरण को भारतीय इतिहास , वेद पुराण और धर्म के साथ ही संविधान का व्यापक ज्ञान है और इसकी बानगी न्यायालय में भी देखने को मिली . उन्होंने स्कन्ध पुराण के श्लोकों का जिक्र करके राम मंदिर का अस्तित्व साबित करने की कोशिश की .

परासरण ने सबरीमाला मंदिर विवाद के दौरान एक आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश नहीं देने की परंपरा की वकालत की थी. राम सेतु मामले में दोनों ही पक्षों ने उन्हें अपनी ओर करने के लिए सारे तरीके आजमाए लेकिन धर्म को लेकर संजीदा रहे परासरण ने सरकार के खिलाफ गए. ऐसा उन्होंने सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट से रामसेतु को बचाने के लिए किया. उन्होंने अदालत में कहा, ‘मैं अपने राम के लिए इतना तो कर ही सकता हूं.’

नौ अक्टूबर 1927 को जन्में परासरण पूर्व राज्यसभा सांसद और 1983 से 1989 के बीच भारत के अटार्नी जनरल रहे .

पद्मभूषण और पद्मविभूषण से नवाजे जा चुके परासरण को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए ड्राफ्टिंग एंड एडिटोरियल कमिटी में शामिल किया था .

इतिहास में जब भी अयोध्या मसले पर बरसों तक चली कानूनी लड़ाई का जिक्र होगा तो परासरण का नाम सबसे ऊपर लिया जायेगा .

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