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बहुविवाह को समाप्त करने के लिए कानून: असम सरकार ने जनता की राय मांगी

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गुवाहाटी, 21 अगस्त (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में बहुविवाह को समाप्त करने के लिए प्रस्तावित कानून पर जनता की राय मांगी है।

शर्मा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक सरकारी सार्वजनिक नोटिस साझा करते हुए लोगों से असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्तावित कानून पर अपने सुझाव भेजने की अपील की।

गृह एवं राजनीतिक विभाग के प्रधान सचिव द्वारा प्रकाशित नोटिस में लोगों से 30 अगस्त तक ईमेल या डाक के माध्यम से अपनी राय भेजने का अनुरोध किया गया है।

इसमें उल्लेख किया गया है कि असम सरकार ने बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाने के वास्ते विधानसभा की विधायी क्षमता का अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था और रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य विधानसभा बहुविवाह की प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाने के लिए सक्षम है।

रिपोर्ट के सारांश को साझा करते हुए, सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि विवाह समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है, जिससे केंद्र और राज्य दोनों इस पर कानून बना सकते हैं।

इसमें कहा गया है, ‘‘प्रतिकूलता का सिद्धांत (डॉक्टरीन आफ रिपगनैंसी) (अनुच्छेद 254) यह निर्धारित करता है कि यदि कोई राज्य कानून केंद्रीय कानून के विरोधाभासी है, तो राज्य का कानून रद्द हो जाएगा, यदि उसे भारत के राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी हासिल नहीं है।’’

रिपोर्ट का हवाला देते हुए, नोटिस में उल्लेख किया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत अंत:करण की स्वतंत्रता और धर्म का अनुपालन करने का अधिकार ‘पूर्ण नहीं है और सामाजिक कल्याण और सुधार के लिए सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, स्वास्थ्य और विधायी प्रावधानों के अधीन है।’’

इसमें कहा गया है कि अदालतों ने स्पष्ट किया है कि संरक्षण प्राप्त करने के लिए धार्मिक प्रथाएं आवश्यक और धर्म का अभिन्न अंग होनी चाहिए।

नोटिस में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है, ‘‘इस्लाम के संबंध में, अदालतों ने माना है कि एक से अधिक पत्नियां रखना धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। पत्नियों की संख्या सीमित करने वाला कानून धर्म का अनुपालन करने के अधिकार में हस्तक्षेप नहीं करता और यह ‘सामाजिक कल्याण और सुधार’ ‘ के दायरे में है। इसलिए, एकल विवाह का समर्थन करने वाले कानून अनुच्छेद 25 का उल्लंघन नहीं करते।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘इन सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, असम राज्य के पास बहुविवाह को समाप्त करने के लिए राज्य विधान बनाने की विधायी क्षमता होगी।’

छह अगस्त को, बहुविवाह को समाप्त करने के लिए कानून बनाने के वास्ते राज्य विधानसभा की विधायी क्षमता की पड़ताल करने के लिए असम सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी थी, जिन्होंने तुरंत घोषणा की कि इस विषय पर एक कानून इस वित्तीय वर्ष में लाया जाएगा।

उन्होंने यह भी दावा किया था कि समिति ने सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की है कि राज्य बहुविवाह को समाप्त करने के लिए अपने स्वयं के कानून बना सकता है।

पंद्रह अगस्त को 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए, शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि असम में बहुविवाह को समाप्त करने के लिए जल्द ही एक ‘सख्त कानून’ लाया जाएगा।

बारह मई को शर्मा ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रूमी कुमारी फुकन की अध्यक्षता में चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के गठन की घोषणा की थी।

विपक्षी दलों ने पहले बहुविवाह पर कानून बनाने के सरकार के फैसले को ध्यान भटकाने वाला और सांप्रदायिक बताया था, खासकर ऐसे समय में जब विधि आयोग को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर सुझाव मिल रहे हैं।

भाषा अमित दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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