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सोमवार, 2 जून, 2025
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‘केंद्र-राज्य के बीच टकराव के कारण विधि सचिव का कार्यकाल चुनौतीपूर्ण रहा’: न्यायमूर्ति मेंदीरत्ता

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नयी दिल्ली, पांच मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने अपने विदाई भाषण में बुधवार को दिल्ली सरकार के विधि सचिव के रूप में अपने दिनों को याद किया, जो “केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच मतभेदों” के कारण “चुनौतियों” से भरे थे।

मेंदीरत्ता ने यह भी कहा कि किसी न्यायाधीश की कार्यकुशलता का मूल्यांकन केवल उसके द्वारा सुनाए गए निर्णयों की संख्या के आधार पर नहीं किया जा सकता, क्योंकि न्याय के लिए उचित समय की आवश्यकता होती है।

न्यायमूर्ति मेंदीरत्ता ने कहा कि कई मामलों में न्याय के लिए समय के उचित आवंटन की आवश्यकता होती है तथा निर्णयों की संख्या के आधार पर अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश का एकमात्र मूल्यांकन उन्हें कानून के जटिल प्रश्नों से जुड़े मामलों को स्थगित करने के लिए बाध्य करता है।

उन्होंने कहा,“इस प्रकार, हस्तक्षेप की आवश्यकता वाले कई जरूरी मामले व्यवस्था में अटके रहते हैं।”

तीन दशक से अधिक समय तक न्यायपालिका में सेवा देने वाले न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति पर उच्च न्यायालय द्वारा एक पूर्ण न्यायालय विदाई समारोह का आयोजन किया गया।

केंद्र और दिल्ली दोनों सरकारों में विधि सचिव के रूप में न्यायमूर्ति मेंदीरत्ता ने “अत्यधिक राजनीतिक चुनौतियों” और दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर हमले के मामले से जुड़ी “गंभीर स्थिति” का सामना करने की बात कही।

वह सौभाग्यशाली रहे कि उन्हें दूसरी बार दिल्ली सरकार का विधि सचिव नियुक्त किया गया।

उन्होंने कहा, “केंद्र और राज्य सरकारों के बीच राजनीतिक मतभेदों के कारण यह कार्यकाल चुनौतियों से भरा था। मेरी पोस्टिंग से पहले के सचिवों ने अपनी तैनाती के कुछ महीनों के भीतर ही मूल विभाग में वापस जाने का विकल्प चुना था। मुझे अत्यधिक राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, साथ ही दिल्ली सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव पर कथित हमले के बाद उत्पन्न गंभीर स्थिति का भी सामना करना पड़ा।”

न्यायाधीश ने कहा, “मेरा हमेशा से मानना ​​रहा है कि यद्यपि न्यायिक अधिकारियों के लिए (मामलों के) निपटान के लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं, लेकिन किसी न्यायाधीश की दक्षता का आकलन केवल सुनाए गए निर्णयों की संख्या के आधार पर नहीं किया जा सकता।”

न्यायमूर्ति मेंदीरत्ता ने कहा कि वह कार्यरत न्यायाधीशों के मुद्दों को उठाते रहे हैं, क्योंकि उनकी आंखों में दिखने वाला दर्द उन्हें हमेशा परेशान करता है और वह इसे पूर्ण अदालत के संज्ञान में भी लाये हैं।

उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद और विश्वास है कि जिला न्यायपालिका से संबंधित मुद्दों पर अधिक सहानुभूति के साथ विचार किया जाएगा, ताकि उचित मामलों में किसी भी अन्याय से बचा जा सके।”

न्यायमूर्ति मेंदीरत्ता को “शांत एवं संयमित” न्यायाधीश बताते हुए मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने मामले की परवाह किए बिना पक्षों को धैर्यपूर्वक सुनने के लिए उनकी सराहना की तथा पीठ पर उनके स्वभाव को भी सराहा क्योंकि उन्होंने “हमेशा अपने विचारों को अपने निर्णयों तक ही सीमित रखा”।

भाषा प्रशांत पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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