नयी दिल्ली, 16 फरवरी (भाषा) एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि शहरी इलाकों में राजनीतिज्ञों और उच्च न्यायालयों एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को जमीन आवंटित करने संबंधी विवेकाधीन कोटा खत्म करने के लिए एक कानून अवश्य लागू किया जाना चाहिए।
वेणुगोपाल ने कहा कि संबंधित शहरी इलाके में जन्मे या अधिवास कर रहे भारतीय नागरिक को ही जमीन आवंटन के लिए सरकार के विवेकाधीन कोटे से आवंटन का पात्र होना चाहिए।
सरकार के शीर्ष विधि अधिकारी ने हाउसिंग सोसाइटी को सरकारी जमीन के आवंटन को नियंत्रित करने के लिए प्रस्तावित दिशानिर्देश प्रस्तुत करने के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व के निर्देश के जवाब में अपना पक्ष रखा। देश भर में इन सोसाइटी में राजनेता, नौकरशाह, पत्रकार और कभी-कभी न्यायाधीश भी सदस्य होते हैं।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने आठ फरवरी को वेणुगोपाल से देश भर में हाउसिंग सोसाइटी को भूमि आवंटन किये जाने को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देश प्रस्तुत करने को कहा था।
एटर्नी जनरल ने कहा, ‘‘भूमि हासिल करने वाले पात्र व्यक्तियों की अर्हता और श्रेणियों को विशेष तौर पर एवं स्पष्ट रूप से दर्ज किया जाना चाहिए और कार्यपालिका को अधिसूचना के जरिये कोई श्रेणी जोड़ने के लिए जगह नहीं दी जानी चाहिए।’’
वेणुगोपाल ने हालांकि, जरूरतमंदों और गरीबों को जमीन आवंटित करने को लेकर विवेकाधीन भूमि आवंटन नीति जारी रखने की सलाह दी।
उन्होंने कहा कि भूमि का आवंटन कानून बनाकर एवं राज्य विधायिका की ओर से पारित होने पर ही किया जाना चाहिए, न कि कार्यपालिका के नीति/दिशानिर्देशों के जरिये।
यह मुद्दा अविभाजित आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) की ओर से हैदराबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपील में सामने आया था। इस मामले में उच्च न्यायालय ने हाउसिंग सोसाइटी को आवासीय भूखंडों के आवंटन पर विभिन्न सरकारी आदेशों को खारिज कर दिया था, जिसे राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।
भाषा
सुरेश पवनेश
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