(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 10 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने विधि स्नातकों के अधिवक्ताओं के तौर पर पंजीकरण के लिए राज्य विधिज्ञ निकायों द्वारा लिए जा रहे ‘‘अत्यधिक’’ शुल्क को चुनौती देने वाली याचिका पर भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) और अन्य से सोमवार को जवाब तलब किया।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने याचिकाकर्ता गौरव कुमार की ओर से दाखिल प्रतिवेदन पर गौर किया और विधिज्ञ परिषद सहित हितधारकों को नोटिस जारी करने का फैसला किया।
पीठ ने कहा, ‘‘ हम इस मामले पर नोटिस जारी करेंगे। यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। याचिका के अनुसार अत्यधिक शुल्क वसूला जाना अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 24 का उल्लंघन है।’’
अदालत ने कहा कि बीसीआई को ‘दस्ती’ माध्यम से नोटिस जारी किया जाए।
याचिका में कहा गया कि ओडिशा में पंजीकरण शुल्क 41,100 रुपये और केरल में 20,050 रुपये है। यह ‘‘अत्यधिक’’ शुल्क उन युवा वकीलों को कई अवसरों से वंचित करता है, जिनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।
याचिका में दावा किया गया कि यह अधिनियम की धाराओं का भी उल्लंघन करता है।
याचिका में हर राज्य की विधिज्ञ परिषद को पक्षकार बनाया गया है।
भाषा निहारिका नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.