नई दिल्ली: हाल ही में आरोग्य सेतु को लेकर उठे सावलों के मामले में केंद्र सरकार ने लोगों में भरोसा कायम करने का प्रयास किया है. केंद्र द्वारा दी गई ताज़ा जानकारी के मुताबिक इस एप द्वारा लिए गए डेटा को 30 से 60 दिन में मिटा दिया जाता है और दावा ये भी है कि यह दुनिया के सबसे सुरक्षित एप में शामिल है.
ये बातें कोविड-19 के मामले में मोदी सरकार द्वारा बनाए गए एंपावर्ड ग्रुप 9 के चेयरमैन अजय साहनी ने बताई. इस ग्रुप के पास डेटा से जुड़ी ज़िम्मेदारियां हैं. उन्होंने कहा कि अब तक देशभर में 9.8 करोड़ लोगों ने आरोग्य सेतु डाउनलोड किया है. इनमें से सिर्फ 13,000 बीमार या बीमारी से जुड़े लोगों का डेटा सर्वर पर ले जाया गया.
उन्होंने भरोसा दिलाते हुए कहा कि डेटा की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, ‘एप पर मौजूद यूजर्स का 30 दिन पहले का डेटा मिटा दिया जाता है. जिनका डेटा सर्वर पर गया है उसे 45 दिन और जिनका इलाज चल रहा है उनका डेटा 60 दिनों बाद हटा दिया जाता है. डेटा प्राइवेसी को लेकर नीति बनी है उसे अमल भी लाया जा रहा है.’
उनके मुताबिक लोकेशन डेटा इसलिए लिया जाता है ताकि लोगों को इंफेक्शन से बचाया जा सके. उन्होंने ये भी कहा कि मंगलवार से जियो के गैर स्मार्ट फोन्स पर भी आरोग्य सेतु एप आ जाएगा जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है उन्हें आरोग्य सेतु के बगैर कैसे मदद की जाए इसके प्रयास भी जारी हैं.
कुल मामलों की संख्या 67,152, बदली डिस्चार्ज नीति
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता लव अग्रवाल ने जानकारी देते हुए कहा, ‘भारत में कुल मामलों की संख्या अब 67,152 है. ठीक हुए मरीज़ों की संख्या 20917 है और जो लोग मेडिकल सुपरविजन में हैं उनकी संख्या 44029 है. पिछले 24 घंटों में 4213 मामले आए हैं और 1559 लोग ठीक हुए हैं. ठीक होने की दर 31.15 प्रतिशत हो गई है.’
उन्होंने ये भी कहा कि कोविड-19 मरीज़ों को डिस्चार्ज करने की नीति में बदलाव हुआ है. अन्य देशों में टेस्टिंग के बजाय लक्षण और समय आधारित डिस्चार्ज नीति अपनाई गई है. भारत भी उसी ओर बढ़ा है. बदली नीति के मुताबिक हलके, बेहद हलके और शुरुआती लक्ष्ण वाले वो लोग जो कोविड केयर सेंटर में भर्ती हैं उन्हें जल्द डिस्चार्ज कर दिया जाएगा.
नई नीति के मुताबिक ऐसे मरीज़ों के लक्षण आने के 10 दिन के भीतर पहले 3 दिन अगर बुख़ार नहीं आता तो इन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा. डिस्चार्ज किए जाने के पहले टेस्ट की भी दरकार नहीं होगी और इन्हें होम क्वारेंटाइन में रहना होगा.
हालांकि, ऐसे लोगों को मास्क पहनना होगा, एक फॉर्म साइन करना होगा, होम क्वारेंटाइन के दौरान अलग कमरे में रहना होगा, उम्रदराज और दूसरे बीमारी से पीड़ित लोगों से दूर रहना होगा. जिन्हें 3 दिनों तक बुख़ार रहता है और जो ऑक्सीजन पर हों उन्हें डिस्चार्ज नहीं किया जाएगा.
अग्रवाल ने ये जानकारी भी दी कि स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने पूर्वोत्तर के मुख्यमंत्रियों संग एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की है. विदेश और देश से राज्यों में लौट रहे लोगों के लिए स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य सरकारों को गाइडलाइन जारी करने को कहा है.
उन्होंने ये भी बताया कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर नेशनल वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट (एनआईवी) पुणे ने एक एंटीबॉडी टेस्ट किट विकसित किया है. वहीं, भारतीय वायुसेना ने जो पीपीई किट विकसित की है उसे भी सर्टिफाई कर दिया गया है.
गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा, मज़दूरों को सड़क- रेल की पटरी से रखें दूर
गृह मंत्रालय की प्रवक्ता पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि राज्य सरकार को ये सुनिश्चित करने को कहा गया है कि प्रवासी श्रमिक सड़क या रेल पटरियों का इस्तेमाल ना करें. ऐसी स्थिति में उन्हें पास के शेल्टर होम में रोक कर जल्द बस और ट्रेन से भेजा जाए.
देश में मंगलवार से ट्रेन का परिचालन शुरू हो जाएगा. श्रीवास्तव ने कहा कि इससे जुड़ी जो गाइडलाइन हैं रेलवे उसका व्यपक प्रचार करेगा. उन्होंने कहा, ‘स्टेशन पर पैसेंजर की स्क्रीनिंग होगी. एसोंप्टोमैटिक लोगों को ही सफर की इज़ाजत होगी और मास्क पहनना होगा. सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने के अलावा राज्यों के नियमों का भी पालन करना होगा.’
उन्होंने ये भी कहा कि राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वो स्वास्थ्यकर्मियों, सफाईकर्मियों और एंबुलेंस की आवाजाही बिना बाधा सुनिश्चित करें और इन्हें सुरक्षा मुहैया कराएं.