scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशपिछले साल गलवान झड़प के बाद 43% भारतीयों ने नहीं खरीदा 'मेड इन चाइना' सामान, सर्वे में खुलासा

पिछले साल गलवान झड़प के बाद 43% भारतीयों ने नहीं खरीदा ‘मेड इन चाइना’ सामान, सर्वे में खुलासा

मंगलवार को जारी एक सर्वे के मुताबिक जिन लोगों ने 'मेड इन चाइना' सामान खरीदा भी, उनमें से 60 फीसदी ने लोगों ने केवल एक या दो सामान ही खरीदे.

Text Size:

नई दिल्ली: एक नए सर्वे के मुताबिक, भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हुए संघर्ष के एक साल बाद, कम से 43 प्रतिशत भारतीय उपभोक्ताओं ने पिछले साल एक भी ‘मेड इन चाइना’ उत्पाद नहीं खरीदा. एक सामुदायिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘लोकलसर्कल्स’ द्वारा जारी एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई.

इसमें कहा गया कि पिछले 12 महीनों में 34 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने चीन के बने हुए केवल एक या दो सामान खरीदे जबकि 8 प्रतिशत ने तीन से पांच चीन निर्मित सामान खरीदा.

इसके अलावा, 4 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने पांच से दस चीनी उत्पाद खरीदे, 3 प्रतिशत ने 10-15 सामान खरीदे, 1 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने 20 से अधिक उत्पाद खरीदे जबकि अन्य 1 प्रतिशत ने 15-20 उत्पाद खरीदे.

छह फीसदी उपभोक्ताओं ने कोई राय नहीं दी. सर्वे में इस सवाल को 9,052 प्रतिक्रियाएं मिलीं. कुल मिलाकर सर्वेक्षण को भारत के 281 जिलों में 17,800 प्रतिक्रियाएं मिलीं. कुल उत्तरदाताओं में से 67 प्रतिशत पुरुष और 33 प्रतिशत महिलाएं थीं.

44 प्रतिशत उत्तरदाता टियर 1 शहरों से थे, 31 प्रतिशत टियर 2 से थे और 25 प्रतिशत टियर 3, 4 और ग्रामीण जिलों से थे.


यह भी पढ़ेंः गलवान संघर्ष के एक साल बाद, भारत इंतजार करे और देखे पर अपनी बंदूकें ताने रहने की जरूरत


60% भारतीयों ने केवल 1 या 2 चीनी उत्पाद खरीदे

चीनी उत्पादों को खरीदने वाले कुल उत्तरदाताओं में से 60 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने केवल एक या दो वस्तुएं खरीदीं, 14 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने तीन या चार उत्पाद खरीदे, 7 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने पांच से दस सामान खरीदे, 2 प्रतिशत ने कहा कि 10-15 और अन्य 2 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने 20 से अधिक उत्पाद खरीदे. दस प्रतिशत ने कोई जवाब नहीं दिया.

जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने पिछले साल ‘मेड इन चाइना’ उत्पाद क्यों खरीदे, तो कुल 70 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्हें लगता है कि कीमत की तुलना में उन्हें अच्छे सामान मिले.

जहां 26 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनकी खरीद के पीछे का कारण ‘वैल्यू फॉर मनी’ था, 2 प्रतिशत ने इसका कारण ‘बेहतर गुणवत्ता’, बताया और 9 प्रतिशत ने चीन निर्मित सामान खरीदने के पीछे इसकी ‘विशिष्टता या यूनीकनेस’ बताई.

इस बीच, 13 प्रतिशत ने कहा मेड इन चायना सामान खरीदने के पीछे ‘वैल्यू फॉर मनी और गुणवत्ता’ दोनों कारण थे. 8 प्रतिशत ने इसका कारण ‘वैल्यू फॉर मनी और विशिष्ट होना’ दोनों को बताया. 23 प्रतिशत ने इसे खरीदने के पीछे ‘वैल्यू फॉर मनी, गुणवत्ता और विशिष्टता’ तीनों का होना बताया. वहीं 19 लोगों की कोई राय नहीं थी. सर्वे में इस प्रश्न के उत्तर में 8754 जवाब आए थे.

चीनी उत्पादों पर पहले के सर्वेक्षण

नवंबर 2020 में त्योहारी सीजन के दौरान ‘लोकलसर्किल्स’ द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 71 प्रतिशत भारतीय उपभोक्ताओं ने चीन निर्मित उत्पादों की खरीद नहीं की और जिन लोगों ने खरीदा उन्होंने कम कीमत के कारण ऐसा किया.

लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुए एक साल हो गया है, जिसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने कई ‘मेड इन चाइना’ उत्पादों के आयात को भी प्रतिबंधित कर दिया और एक ‘आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था’ को प्रोत्साहित किया. इसके अलावा भारत सरकार ने 100 से अधिक चीन निर्मित एप्स पर भी प्रतिबंध लगा दिया.

भारत और चीन के बीच तब से अब तक 11 दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी है और दोनों देशों ने सीमा पर संघर्ष को खत्म करने के लिए प्रयास किए हैं.


यह भी पढ़ेंः चीन से मुकाबले के लिए रूसी स्पर्ट लाइट टैंकों पर टिकीं भारत की नजरें, परीक्षण में शामिल होने का दुलर्भ मौका मिला


 

share & View comments