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Wednesday, 8 May, 2024
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नशेड़ी हो रहीं हैं देश की महिलाएं, गांजा-भांग और शराब हैं उनके पसंदीदा नशा

हर 16 में से एक महिला शराब की इतनी लती हो चुकी है कि वो शराब के बिना रह नहीं सकती. वहीं, पुरुषों में ये आंकड़ा 5 में से एक का है.

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नई दिल्ली: देश की महिलाएं ‘नशेड़ी’ बन रही हैं. महिलाओं में नशा करने का चस्का इतना बढ़ गया है कि वह बीड़ी सिगरेट, शराब को पीछे छोड़ गांजा, भांग और चरस का कश लगाने लगी हैं. ये बात हम नहीं बल्कि सरकार की एक रिपोर्ट कह रही है. पिछले दिनों सदन में महिलाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर पूछे गए एक सवाल पर लिखित जवाब देते हुए मंत्रालय के राज्यमंत्री रत्नलाल कटारिया ने बताया है कि देश की एक करोड़ 50 लाख महिलाएं नशे का सेवन करती हैं.

नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट (एनडीडीटीसी), एम्स (2019) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कटारिया ने कहा कि देश में 90 लाख महिलाएं शराब, 40 लाख महिलाएं कैनाबिस और 20 लाख महिलाएं अफीम का सेवन करती हैं. नशा करने वाली इन महिलाओं की उम्र 10-75 साल के बीच की है.

बता दें कि सदन में सांसद पंकज चौधरी ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से महिलाओं और लड़कियों के नशे की लत बढ़ने के मामलों पर सवाल पूछा था.

पिछले दिनों गुजरात के एक अखबार ने शराब के ठेके से शराब खरीदतीं महिलाओं की फोटो छापी जिसको लेकर सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया. कुछ लोगों ने संस्कृति की दुहाई देते हुए लिखा कि अब महिलाएं भी नशे की गिरफ्त में आ गई हैं. कुछ लोगों ने लिखा कि यहां भी बराबरी आ गई है.

story on drunken women
महिलाओं में बढ़ रही है नशा करने का आदत

देश की 1.06% महिलाएं पीती हैं शराब 

एनडीडीटीसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि देश के करीब 16 करोड़ लोग शराब पीते हैं. छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश और गोवा में शराब का सबसे ज्यादा सेवन किया जाता है. इसमें भी 30 फीसदी लोग देसी शराब का इस्तेमाल करते हैं. इस रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि देश का ऐसा कोई राज्य नहीं जहां की महिलाएं शराब न पीती हों. हर 16 में से एक महिला शराब की इतनी लत लग चुकी है कि वो शराब के बिना रह नहीं सकती है. वहीं, पुरुषों में ये आंकड़ा 5 में से 1 है.

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वैसे महिलाओं के शराब पीने के मामले में अरुणाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य टॉप पर हैं.

पहली बार महिलाओं से जुड़े आंकड़ों को शामिल किया गया 

फरवरी 2019 में आई इस रिपोर्ट के लिए 186 जिलों के 2 लाख 111 घरों से संपर्क किया गया था. इन आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए 4 लाख 73 हजार 569 लोगों से बात की गई थी.

इस रिपोर्ट को बनाने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर अतुल आंबेकर ने दिप्रिंट को बताया, ‘ये पहली ऐसी रिपोर्ट में जिसमें महिलाओं को भी शामिल किया गया है. हमने महिलाओं और बच्चों की प्राइवेसी का पूरा ध्यान रखा है. घर-घर जाने के दौरान हमारी टीम में महिलाएं भी शामिल रही हैं. ऐसा नहीं हुआ है कि बच्ची के हवाले से मां ने बताया हो. सबसे व्यक्तिगत तौर पर बात की गई है.’

वो आगे कहते हैं, ‘ग्रामीण और शहरी सभी इलाकों की महिलाएं नशे की गिरफ्त में हैं. इस रिपोर्ट में कितनी उम्र की महिलाएं ज्यादा नशा कर रही हैं, कौन से राज्य ज्यादा प्रभावित हैं, जैसे पहलुओं पर अलग से काम नहीं किया गया है.’

2004 से लेकर 2018 तक अफीम का इस्तेमाल बढ़ा पांच गुना

इस रिपोर्ट में 2004 से सर्वे की तुलना की गई है कि अब अफीम (ओपियम) का इस्तेमाल पांच गुना बढ़ गया है. दुनिया भर में ड्रग्स के इस्तेमाल की तुलनात्मक सूची देखें तो जहां भारत में गांजा(कैनाबिस) से 1.2 प्रतिशत लोग प्रभावित हैं तो वहीं वैश्विक स्तर पर ये आंकड़ा 3.9 प्रतिशत है. नशीले पदार्थों के सेवन के मामले में भारत में अगर आंकड़ा 0.70 प्रतिशत है तो वैश्विक स्तर पर 2.06 प्रतिशत है.

एनडीडीटीसी रिपोर्ट के मुताबिक कैनाबिस में भांग, गांजा और चरस का इस्तेमाल किया जा रहा है. सिक्किम और पंजाब राज्य में भांग का उपयोग, राष्ट्रीय औसत से भी तीन गुना ज्यादा है. इसके पिछले सालों में अलावा हेरोइन का इस्तेमाल भी बढ़ा है. 10 साल की उम्र के छोटे बच्चे भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. कुछ राज्यों में लोगों को गंभीर रूप से चिकित्सीय इलाज की भी जरूरत है. जिसमें पुरुषों से लेकर महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.

नशा कम करने के लिए मंत्रालय ने उठाए ये कदम

संसदीय सदस्य पंकज चौधरी ने ये भी पूछा था कि अगर ये मामले बढ़ रहे हैं तो सरकार कोई प्रभावशाली एवं ठोस कदम उठा रही है या नहीं? इसके जवाब में मंत्रालय ने बताया है कि वो देशभर में मद्यपान एवं नशीले पदार्थों के निवारण के लिए कई केंद्रीय क्षेत्रीय योजनाओं का कार्यान्वन करते हैं. इनके ही अंतर्गत महिलाओं के लिए भी नशामु्क्ति केंद्र भी स्थापित किए जा सकते हैं और उन्हें मदद पहुंचाई जा सकती है.

इसके अलावा एम्स की एक और टीम स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर भी एक ड्रग डी एडिक्शन प्रोग्राम के तहत ऑनलाइन प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार कर रही है.

सिरसा के सिविल अस्पताल के डॉक्टर पंकज ने दिप्रिंट को बताया, ‘ये आंकड़े वो हैं जिसमें महिलाओं ने बात की है. लेकिन जिस तरह से हमारे समाज की सामाजिक संरचना है उस आधार के हिसाब से कितनी महिलाओं ने नशे की गिरफ्त मेंं होने की बात स्वीकारी होगी? इसका मतलब है कि बच्चों और महिलाओं में हर तरह के नशे की लत बढ़ी है और उसके आंकड़े खतरनाक हैं.’

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