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Sunday, 22 December, 2024
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महापंचायत से किसान नेता राकेश टिकैत की केंद्र सरकार को दो टूक, ‘जब तक जीतेंगे नहीं, हटेंगे नहीं’

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में रविवार की सुबह विभिन्न राज्यों के किसान मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में होने वाली किसान महापंचायत के लिए 300 से अधिक संगठनों के किसान एकत्रित हुए हैं.

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लखनऊ/मुजफ्फरनगर (उप्र): केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में रविवार की सुबह विभिन्न राज्यों के किसान मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में होने वाली किसान महापंचायत के लिए बड़ी संख्या में इकट्ठे हुए हैं. अगले वर्ष की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस आयोजन को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ‘किसान महापंचायत’ का आयोजन संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से किया जा रहा है.

बड़ी संख्या में मुजफ्फर पहुंचे किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘किसान आंदोलन तब तक चलेगा जब तक भारत सरकार चलवाएगी. जब तक वे बात नहीं मानेंगे आंदोलन चलता रहेगा. जब सरकार बातचीत करेगी तो हम करेंगे. देश में आज़ादी की लड़ाई 90 साल तक चली, यह आंदोलन कितने साल चलेगा हमें तो जानकारी नहीं है.’

टिकैत ने आगे कहा कि, ‘हम अब देश की जनता के पास जाएंगे..हमारा मिशन यूपी बचाना नहीं देश बचाना है.’

उन्होंने कहा, ‘ये महापंचायत पूरे देश में होगा. हमें देश बिकने से बचाना है. हमारी मांग रहेगी कि देश, किसान, व्यापार और युवा बचे.’

किसानों को संबोधित करते हुए किसान महापंचायत में बीकेयू  नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘हम संकल्प लेते हैं कि हम धरना स्थल को वहां (दिल्ली सीमा पर) नहीं छोड़ेंगे, भले ही वहां हमारा कब्रगाह ही क्यों न बना दिया जाए. जरूरत पड़ने पर हम अपनी जान भी दे देंगे, लेकिन जब तक हम विजयी नहीं होंगे तब तक धरना स्थल नहीं छोड़ेंगे.’

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक के अनुसार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे विभिन्न राज्यों में फैले 300 किसान संगठनों के किसान कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे हैं, जहां 5,000 से अधिक लंगर (भोजन स्टाल) लगाए गए हैं. संगठनों के झंडे और अलग-अलग रंग की टोपी पहने किसान बसों, कारों और ट्रैक्टरों के जरिए यहां पहुंचते देखे गए. आयोजन स्थल के आसपास कई चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं. जीआईसी कॉलेज के मैदान तक पहुंचने में असमर्थ लोगों को कार्यक्रम देखने की सुविधा प्रदान करने के लिए शहर के विभिन्न हिस्सों में एलईडी स्क्रीन भी लगाई गई हैं.

मंच से टिकैत ने मोदी-योगी की सरकार झूठी करीर दिया और कहा कि किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई है. किसानों को गन्ने का भाव 430 रुपये प्रति क्विंटल नहीं मिला है.’

टिकैत ने यह भी एलान किया कि अब जब तक मांग पूरी नहीं होगी दिल्ली में आंदोलन जारी रहेगा. पूरे देश में संयुक्त मोर्चा आंदोलन करेगा. जब तक यह आंदोलन सफल नहीं होगा तबतक घर वापस नहीं लौटूंगा.


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इस बीच, मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन ने आयोजन स्थल और महापंचायत के प्रतिभागियों पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने के राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अनुरोध को खारिज कर दिया है. सिटी मजिस्ट्रेट अभिषेक सिंह ने रालोद के अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि सुरक्षा कारणों से इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है. रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने जिला प्रशासन से आंदोलन कर रहे किसानों के सम्मान में महापंचायत पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने की अनुमति मांगी थी.

जिला प्रशासन ने ऐहतियात के तौर पर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक उमेश मलिक के आवासों पर पुलिस तैनात कर दी है. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शनिवार को दावा किया था कि रविवार की ‘महापंचायत’ में भाग लेने के लिए 15 राज्यों के किसान मुजफ्फरनगर पहुंचने लगे हैं. केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे 40 किसान संघों के समूह ने कहा कि ‘महापंचायत’ यह साबित करेगी कि आंदोलन को समाज के ‘सभी जातियों, धर्मों, राज्यों, वर्गों, छोटे व्यापारियों और सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त है’.

संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा, ‘पांच सितंबर की ‘महापंचायत’ योगी-मोदी सरकारों को किसानों, खेत मजदूरों और कृषि आंदोलन के समर्थकों की ताकत का एहसास कराएगी. मुजफ्फरनगर ‘महापंचायत’ पिछले नौ महीनों में अब तक की सबसे बड़ी महापंचायत होगी.’ इसने कहा कि ‘महापंचायत’ में भाग लेने वाले किसानों के लिए 100 चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं. पंजाब के कुल 32 किसान संघों ने राज्य सरकार को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले वापस लेने के लिए 8 सितंबर की समय सीमा दी है और कहा कि अगर मामले वापस नहीं लेते हैं तो किसान आठ सितंबर को बड़े विरोध के लिए एक रोडमैप तैयार करेंगे.

तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन को नौ महीने से अधिक समय हो गया है. किसान उन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं जिनसे उन्हें डर है कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को खत्म कर देंगे, उन्हें बड़े निगमों की दया पर छोड़ देंगे. सरकार, जो प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में कानूनों को पेश कर रही है, उसके साथ 10 दौर से अधिक की बातचीत, दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है.

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के बेटे चरण सिंह टिकैत ने शनिवार को कहा था कि जब तक सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक उनके पिता घर नहीं आएंगे. इस बीच, मुजफ्फरनगर जिले के अधिकारियों ने ‘महापंचायत’ के मद्देनजर शराब की सभी दुकानों को बंद करने का आदेश दिया है. जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने कहा कि शराब की सभी दुकानों को शनिवार शाम छह बजे से पांच सितंबर को महापंचायत खत्म होने तक बंद रखने का आदेश दिया गया है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से यह कदम उठाया गया है.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)


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