रांचीः चारा घोटाले के 5वें मामले में भी दोषी करार दिए गए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी नेता लालू यादव को एक बार फिर से रिम्स भेजा जाएगा. उनके वकील प्रभात कुमार ने इस बात की जानकारी दी. लालू के वकील ने कहा कि रांची में सीबीआई की विशेष अदालत ने जेल अधिकारियों को उनके खराब स्वास्थ्य के आधार पर रिम्स भेजने का आदेश दिया है.
उन्होंने कहा, ’21 फरवरी को सजा पर सुनवाई होगी. हमने दर्खास्त की है उनकी (लालू प्रसाद यादव) तबीयत ठीक नहीं है, जेल प्राधिकरण को निर्देश दिया जाए कि उन्हें रिम्स में शिफ्ट किया जाए.’
लालू को दोषी करार दिए जाने के बाद बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘इस मामले को हमने ही उजागर किया था. पटना हाईकोर्ट की निगरानी में अगर जांच न होती तो ये कभी भी सामने न आता. ये मामला 139 करोड़ रुपये का था. ये फैसला स्वागत योग्य है, जैसी करनी वैसी भरनी.’
वहीं लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा, हर किसी को कोर्ट के आदेशों का पालन करना चाहिए. यह अंतिम आदेश नहीं है. 6 बार फैसला सुनाया गया है औऱ हमने हर बार हाईकोर्ट में अपील की है. तो यह भी अंतिम फैसला नहीं है. लालू जी निश्चित रूप से दोषमुक्त करार दिए जाएंगे.
Everyone should accept the Court’s order. This is not the last judgment. Sentence was pronounced 6 times, we approached the High Court for all cases. So, this is not the last judgment. Lalu ji will definitely be acquitted. There is Supreme Court after High Court: Tejashwi Yadav https://t.co/xRmY8oySJQ pic.twitter.com/gD3R6E12k1
— ANI (@ANI) February 15, 2022
बता दें कि लालू प्रसाद यादव को सीबीआई की एक स्पेशल कोर्ट ने चारा घोटाला मामले में दोषी करार दिया है. लालू प्रसाद यादव को डोरंडा ट्रेजरी ऑफिस से गलत तरीके से पैसे निकालने के लिए सीबीआई कोर्ट ने दोषी पाया है.
वहीं, पिछले साल अप्रैल में झारखंड हाईकोर्ट ने आरजेडी सुप्रीमो को दुमका ट्रेजरी से गलत तरीके से पैसे निकालने के मामले में जमानत दे दी थी. यह केस भी चारा घोटाले से सही संबंधित था जिसमें उन्हें दोषी पाया गया था.
उन्हें चाईबासा ट्रेजरी मामले में अक्टूबर 2020 और देवघर ट्रेजरी स्कैम मामले में फरवरी 2020 में पहले से ही जमानत मिल चुकी है.
लालू यादव चारा घोटाले के चार अन्य मामलों में पहले ही दोषी करार दिए जा चुके हैं. प्रसाद पांचवे और अंतिम मामले में भी आरोपी सिद्ध हो गए हैं.
इसके अलावा अदालत ने 29 जनवरी को प्रसाद से जुड़े 139.35 करोड़ रुपये के डोरंडा कोषागार गबन मामले में सुनवाई पूरी कर ली थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
विशेष सीबीआई के न्यायाधीश एस के शशि की अदालत ने प्रसाद सहित 99 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई पूरी की थी, जो पिछले साल फरवरी से चल रही थी. अंतिम आरोपी डॉ शैलेंद्र कुमार की ओर से बहस 29 जनवरी को पूरी हुई. सभी आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में प्रत्यक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया गया था.
अब तक इस मामले के मूल 170 आरोपियों में से 55 की मौत हो चुकी है, सात सरकारी गवाह बन चुके हैं, दो ने अपने ऊपर लगे आरोप स्वीकार कर लिए हैं और छह फरार हैं. प्रसाद के अलावा पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, तत्कालीन लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष ध्रुव भगत, पशुपालन सचिव बेक जूलियस और पशुपालन सहायक निदेशक डॉ के एम प्रसाद मुख्य आरोपी हैं.
950 करोड़ रुपये का यह घोटाला अविभाजित बिहार के विभिन्न जिलों में धोखाधड़ी कर सरकारी खजाने से सार्वजनिक धन की निकासी से संबंधित है. राजद सुप्रीमो को चारा घोटाला मामले में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई है और कुल 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. उन्हें दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार से जुड़े चार मामलों में जमानत मिल गई है.
चारा घोटाला मामला जनवरी 1996 में पशुपालन विभाग में छापेमारी के बाद सामने आया. सीबीआई ने जून 1997 में प्रसाद को एक आरोपी के रूप में नामित किया. एजेंसी ने प्रसाद और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के खिलाफ आरोप तय किए. सितंबर 2013 में निचली अदालत ने चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में प्रसाद, मिश्रा और 45 अन्य को दोषी ठहराया और प्रसाद को रांची जेल भेज दिया गया.
दिसंबर 2013 में उच्चतम न्यायालय ने मामले में प्रसाद को जमानत दे दी, जबकि दिसंबर 2017 में सीबीआई अदालत ने उन्हें और 15 अन्य को दोषी पाया और उन्हें बिरसा मुंडा जेल भेज दिया. झारखंड उच्च न्यायालय ने प्रसाद को अप्रैल 2021 में जमानत दे दी थी.
केस दुमका ट्रेजरी से एनिमल हस्बैंड्री डिपार्टमेंट से साल 1991 से 1996 के बीच साढ़े तीन करोड़ रुपये निकालने का है जब लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री थे.
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