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Wednesday, 8 May, 2024
होमदेशलालू यादव को चारा घोटाले के डोरंडा केस में भी मिली बेल, चार मामले में पहले ही मिल चुकी है राहत

लालू यादव को चारा घोटाले के डोरंडा केस में भी मिली बेल, चार मामले में पहले ही मिल चुकी है राहत

डोरंडा कोषागार मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें 15 फरवरी को दोषी ठहराया था. इसके बाद अब दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में न्यायिक हिरासत में इलाजरत लालू प्रसाद यादव (73) के सोमवार-मंगलवार तक रिहा हो जाने की संभावना है.

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कई सालों से जेल में सजा काट रहे लालू यादव को अब राहत मिली है. लालू यादव चारा घोटाले से जुड़े डोरंडा ट्रेजरी मामले में जमानत मिल गई है. इस मामले में कोर्ट ने 27 साल बाद फैसला सुनाया था जिसमें लालू यादव को दोषी पाया गया था. 139 करोड़ रुपये के घपले का यह मामला 1990 से 1995 के बीच हुआ था.

इस केस में पांच साल पहले लालू यादव को सजा हुई थी.

झारखंड उच्च न्यायालय ने राजद प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को डोरंडा कोषागार से गबन से जुड़े चारा घोटाले में शुक्रवार को जमानत दे दी. यह रांची से जुड़ा अंतिम मामला था जिसमें उन्हें जमानत मिली. रांची के चारा घोटाले के पांच मामलों में से सभी में अब लालू को जमानत मिल चुकी है.

डोरंडा कोषागार मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें 15 फरवरी को दोषी ठहराया था. इसके बाद अब दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में न्यायिक हिरासत में इलाजरत लालू प्रसाद यादव (73) के सोमवार-मंगलवार तक रिहा हो जाने की संभावना है.

लालू प्रसाद यादव के अधिवक्ता प्रभात कुमार ने कहा, ‘सजा निलंबित करने की हमारी याचिका झारखंड उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर ली है. उच्च न्यायालय के आदेश की सूचना निचली अदालत तक मंगलवार तक पहुंचने की संभावना है. इसके बाद हम जमानत मुचलका प्रस्तुत करके रिहाई का आदेश प्राप्त करेंगे.’

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लालू प्रसाद के खिलाफ रांची में चारा घोटाले का यह अंतिम मामला था और अब उनके खिलाफ पटना में ही चारा घोटाले के मामले विचाराधीन रह गये हैं.

सीबीआई अदालत ने चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद को 21 फरवरी को पांच साल कैद और 60 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी. प्रसाद ने घोटाले की अवधि के दौरान अविभाजित बिहार का वित्त विभाग संभाला था, जिस समय वह मुख्यमंत्री थे.

झारखंड उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की पीठ ने डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ और 35 लाख रुपये की अवैध निकासी के चारा घोटाले के मामले में अभियुक्त लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई की.

झारखंड उच्च न्यायालय ने बहस पूरी होने के बाद लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका सिर्फ इस शर्त के साथ मंजूर कर ली कि उन्हें विशेष सीबीआई अदालत द्वारा दिये गये 10 लाख रुपये के आर्थिक दंड की राशि अदालत में जमा करानी होगी.

इससे पहले बुधवार को इस मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि लालू प्रसाद यादव ने चारा घोटाले के डोरंडा कोषागार मामले में तय पांच वर्ष की सजा की आधी अवधि अब तक न्यायिक हिरासत में पूरी नहीं की है, लिहाजा उन्हें इस मामले में जमानत नहीं दी जानी चाहिए.

जबकि लालू प्रसाद यादव के वकील सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बृहस्पतिवार को अदालत में ऑनलाइन पेश होते हुए दोहराया कि लालू प्रसाद यादव ने चारा घोटाले के सभी मामलों में कुल चालीस माह से अधिक की न्यायिक हिरासत की अवधि पूरी कर ली है, जिसे देखते हुए उन्हें तत्काल जमानत दी जानी चाहिए.

इस मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने लालू यादव को रांची के चारा घोटाले के इस अंतिम मामले में भी ज़मानत दे दी. अदालत ने कहा कि लालू प्रसाद यादव ने लगभग 40 महीने जेल में गुजारे हैं, जो इस मामले में उन्हें दी गयी पांच वर्ष की कैद की सजा की आधी सजा अर्थात 30 महीने से अधिक है.

लालू यादव का फिलहाल दिल्ली स्थित एम्स में न्यायिक हिरासत में इलाज चल रहा है. इससे पूर्व चारा घोटाले में जमानत याचिका पर लालू की ओर से सर्वोच्च अदालत के अधिवक्ता कपिल सिब्बल की बहस आठ अप्रैल को ही पूरी हो गई थी, जिसके बाद मामले में अपना जवाब देने के लिए सीबीआई ने समय मांगा था.

अदालत ने आगे की सुनवाई के लिए 22 अप्रैल की तिथि निर्धारित की थी. सिब्बल ने दिल्ली से ऑनलाइन बहस की और दावा किया कि सजा की आधी अवधि पूरा कर लेने के नियम को देखते हुए लालू यादव को जमानत दी जानी चाहिए.

सीबीआई की ओर से केन्द्र सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने लालू के दावों का विरोध किया. प्रशांत ने कहा कि डोरंडा मामले में लालू यादव ने अब तक निर्धारित कम से कम 30 माह की अवधि न्यायिक हिरासत में पूरी नहीं की है, अतः उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती है.


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