नयी दिल्ली, 30 मई (भाषा) तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष शुक्रवार को सहमति जताई कि वह पूर्व राजनयिक लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी के खिलाफ अपने कथित बयानों से संबंधित मानहानि मामले में माफीनामा प्रकाशित करेंगे।
गोखले की ओर से यह निवेदन उस वक्त किया गया जब अदालत ने उन्हें सशर्त माफीनामा प्रकाशित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति रेणु भटनागर की पीठ ने गोखले की उस अपील की सुनवाई के लिए आठ जुलाई की तारीख निर्धारित की, जिसके माध्यम से उन्होंने एकल पीठ के एक जुलाई, 2024 के फैसले को चुनौती दी थी।
एकल पीठ ने तृणमूल नेता को पुरी के खिलाफ सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर कोई और सामग्री प्रकाशित करने से रोक दिया था और उन्हें माफी मांगने तथा 50 लाख रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया था।
खंडपीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि वह अभी केवल 50 लाख रुपये के हर्जाने के आदेश पर रोक लगा सकती है, लेकिन माफीनामा प्रकाशित करने पर कोई रोक नहीं होगी।
पीठ ने कहा, ‘‘अगर केवल हर्जाने की बात है तो हम फिलहाल इस पर रोक लगा देंगे। माफी पर रोक नहीं लगाई जा सकती।’’
पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिब्बल की इस दलील को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि माफीनामा को रोक के अधीन प्रकाशित किया जा सकता है या यह अपील में इस अदालत के आदेशों के अधीन होगा।
पीठ ने कहा, ‘‘तो यह कोई माफीनामा नहीं है। नहीं, (इसका) कोई सवाल ही नहीं उठता।’’
पीठ ने साथ ही इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया कि गोखले इस बयान के साथ माफीनामा प्रकाशित करेंगे कि अपील लंबित है।
गोखले ने एकल पीठ के एक जुलाई, 2024 के आदेश के साथ ही पुरी की अवमानना याचिका में एकल न्यायाधीश के नौ मई के आदेश को भी चुनौती दी थी। एकल पीठ ने गोखले को अपने उसी ‘एक्स’ हैंडल पर माफीनामा प्रकाशित करने का निर्देश दिया था, जिससे उन्होंने आपत्तिजनक ट्वीट किए थे।
अदालत ने दो सप्ताह के भीतर एक प्रमुख दैनिक अखबार में भी माफीनामा प्रकाशित करने को कहा था। दो सप्ताह की अवधि भी 23 मई को समाप्त हो गई।
पुरी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने गोखले के आचरण के बारे में खंडपीठ को जानकारी दी कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए एकल न्यायाधीश द्वारा तय समयसीमा का पालन नहीं किया।
उन्होंने कहा कि आज कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जाएगा और इस बीच, वह पुरी द्वारा दायर निष्पादन कार्यवाही में हर्जाने के लिए दबाव नहीं डालेंगे।
सुनवाई के दौरान अमित सिब्बल ने अधिवक्ता नमन जोशी के साथ दावा किया कि अपने ट्वीट में गोखले ने केवल निष्पक्ष टिप्पणी की थी और पोस्ट में पुरी का नाम नहीं था।
वकील ने कहा, ‘‘मैंने सवाल पूछे। मैंने किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगाया।’’
उन्होंने कहा कि पुरी द्वारा कोई साक्ष्य पेश किए बिना ही गोखले के खिलाफ आदेश पारित कर दिया गया। चूंकि अदालत माफीनामा प्रकाशित करने से संबंधित आदेश वाले हिस्से पर रोक लगाने के लिए इच्छुक नहीं थी, इसलिए सिब्बल ने कहा कि अदालत हर्जाना वाले हिस्से पर रोक लगा सकती है और गोखले माफीनामा प्रकाशित करेंगे।
इस पर सिंह ने कहा कि वे फिलहाल निष्पादन याचिका में हर्जाने के लिए दबाव नहीं डालेंगे।
एकल पीठ ने 28 मई को गोखले को न्यायिक आदेशों का ‘जानबूझकर’ पालन न करने के लिए ‘सिविल हिरासत’ की धमकी दी थी, जिसके तहत उन्हें मानहानि मामले में पुरी से माफी मांगने का निर्देश दिया गया था।
इसने कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि गोखले ‘‘अदालत और उसकी विचार प्रक्रिया का मजाक उड़ा रहे हैं’’।
‘सिविल हिरासत’ से दंडित व्यक्तियों को जेल में रखा तो जाता है, लेकिन विचाराधीन कैदियों से अलग।
एकल पीठ ने एक जुलाई, 2024 को गोखले को पुरी के खिलाफ सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर कोई और सामग्री प्रकाशित करने से रोक दिया था और तृणमूल सांसद को पुरी से माफ़ी मांगने और 50 लाख रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया था।
अदालत ने 24 अप्रैल को गोखले को राज्यसभा के सदस्य के तौर पर मिलने वाले वेतन का एक हिस्सा कुर्क करने का आदेश दिया था।
पुरी ने 2024 के फैसले का पालन न करने के बाद गोखले के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की।
भाषा सुरेश पवनेश
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