नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को लखनऊ के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में एक प्रत्यक्षदर्शी से मिलने को कहा ताकि पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ गवाही देने के लिए कथित तौर पर धमकी दिए जाने की उसकी शिकायत की पुष्टि की जा सके।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उत्तर प्रदेश पुलिस से सवाल किया कि चश्मदीद गवाह से मुलाकात क्यों नहीं गई, जबकि 20 जून को उसने शिकायत दर्ज कराई थी। पीठ ने पूछा कि ‘‘पुलिस अधिकारियों को उससे मिलने से किसने रोका?’’
उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा कि गवाह अनिच्छुक था और उसे बुलाए जाने के बावजूद वह अपनी शिकायत की पुष्टि करने या अपना बयान दर्ज कराने के लिए पुलिस के पास नहीं पहुंचा।
पीठ ने कहा, ‘‘पुलिस की ओर से यह संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं हो सकता। यदि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत के समर्थन में आगे आने में अनिच्छुक है, तो किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को शिकायतकर्ता से मिलने/यह सत्यापित करने के लिए नियुक्त किया जा सकता है कि क्या उसने कोई शिकायत की है। यदि ऐसी सामग्री स्वीकार की जाती है, तो पुलिस के लिए जांच करना अनिवार्य है। आवश्यक परिणाम सामने आने चाहिए।’’
शीर्ष अदालत ने पुलिस को जांच और प्रत्यक्षदर्शी से मुलाकात के बाद नयी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘हम लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को शिकायत के सत्यापन के बाद हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं।’’
रिकॉर्ड में यह बात आई कि आठ मई से अभियोजन पक्ष ने 20 गवाहों से पूछताछ की तथा 208 गवाहों की सूची में से 20 गवाहों को हटा दिया।
तीन अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र के दौरे के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के दौरान चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी।
चार किसानों को एक वाहन ने कुचल दिया था।
इसके बाद गुस्साए किसानों ने कथित तौर पर एक चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी।
दिसंबर 2023 में निचली अदालत ने मामले में मिश्रा और 12 अन्य के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश और अन्य दंडात्मक कानूनों के तहत आरोप तय किए थे।
भाषा
नेत्रपाल अविनाश
अविनाश
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