नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) कांग्रेस ने लद्दाख लोकसभा सीट पर मतदान से एक दिन पहले रविवार को आरोप लगाया कि यह केंद्र शासित प्रदेश पिछले 10 वर्षों से मोदी सरकार के ”दुर्भावनापूर्ण और सौतेले व्यवहार” का सामना कर रहा है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि लद्दाखवासी भीषण ठंड के बीच अपनी जमीन और पानी पर नियंत्रण की कमी को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘विरोध प्रदर्शन महीनों से चल रहा है, जिसमें सभी 8 जनजातियां और 30,000 से अधिक लोग भूख हड़ताल और विशाल मार्च के लिए एकसाथ आये हैं।’
रमेश ने दावा किया कि मोदी सरकार की एकमात्र प्रतिक्रिया लगातार चुप्पी और उदासीनता रही है।
कांग्रेस महासचिव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि 20 मई को, लद्दाख में चुनाव होंगे, और ‘पिछले 10 वर्षों से, लद्दाख मोदी सरकार के अन्यायकाल-पूरी तरह से दुर्भावनापूर्ण और सौतेले व्यवहार- का सामना कर रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगस्त 2019 में, मोदी सरकार ने लद्दाख को बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील करके वहां के लोगों का सारा प्रतिनिधित्व छीन लिया।’
रमेश ने दावा किया, ‘‘मोदी सरकार और उसके करीबी कॉरपोरेट मित्रों का लालच लद्दाख के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डाल रहा है। खनन जैसे क्षेत्रों से जुड़े कॉरपोरेट की नजरें लद्दाख के प्राकृतिक संसाधनों पर हैं और यदि मोदी सरकार को सत्ता में वापस आने दिया गया, तो उन्हें भूमि और लोगों से सम्पदा हथियाने से कोई नहीं रोक सकता।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे क्षेत्र को एक उपराज्यपाल के माध्यम से दिल्ली से ‘रिमोट-नियंत्रित’ किया जा रहा है। पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री रमेश ने कहा कि पर्यटकों की भारी आमद और शहरीकरण लद्दाख के संसाधनों पर दबाव डाल रहा है, जिससे पानी की कमी पैदा हो रही है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘इसके अलावा, मोदी सरकार की कमजोरी ने लद्दाख की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाया है: मोदी सरकार की कायरता ने चीन को लद्दाख में 2,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा करने दिया और 65 गश्त बिंदुओं में से 26 छीन लिये गए हैं।’
उन्होंने दावा किया, ”चीनी कब्जे ने सीधे तौर पर हजारों लद्दाखियों को प्रभावित किया है, खासकर देशी चरवाहों को, जो सीमा के पास ऊंचे इलाकों में अपनी भेड़-बकरियां चराते हैं।”
रमेश ने कहा कि कांग्रेस के ‘न्याय पत्र’ में स्पष्ट रूप से लद्दाख के जनजातीय क्षेत्रों को छठी अनुसूची का दर्जा देने, स्थानीय लोगों को देशी संस्कृति और क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण स्वायत्तता देने का वादा किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने पर्यावरणीय मुद्दों, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एक विस्तृत योजना की रूपरेखा भी तैयार की है। चार जून को लद्दाख अपने उपचार की प्रक्रिया शुरू करेगा और समृद्धि और स्थिरता के पथ पर लौटेगा।’’
ठंडा रेगिस्तानी क्षेत्र लद्दाख, क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र होने का गौरव रखता है। इसमें लगभग 1.84 लाख मतदाता हैं – करगिल जिले में लगभग 96,000 और लेह जिले में 88,000 से अधिक।
भाषा अमित नरेश
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