लखनऊ: बलात्कार के आरोपी उन्नाव की बांगरमऊ सीट से विधायक कुलदीप सेंगर को दिल्ली की तीस हज़ारी अदालत ने दोषी करार दिया. पुलिस के मुताबिक, सेंगर और उसके साथियों ने 2017 में नाबालिग लड़की को अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म किया. इस दौरान हुए घटनाक्रमों के चलते पीड़ित एम्स में भर्ती है. उसके पिता-चाची-मौसी की मौत हो चुकी है, जबकि चाचा जेल में हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केस लखनऊ से दिल्ली कोर्ट ट्रांसफर हुआ था. इसके बाद 5 अगस्त से रोज़ाना बंद कमरे में सुनवाई हो रही थी.
कोर्ट ने कुलदीप सेंगर पर आपराधिक षड्यंत्र, अपहरण, दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत आरोप तय किए हैं. फिलहाल, वह तिहाड़ जेल में बंद हैं.
एक दौर ऐसा भी था जब यूपी की सियासत में सेंगर की तूती बोलती थी. उन्होंने हर दल की राजनीति की लेकिन इस केस ने उनके सियासत पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं.
ग्राम प्रधान के तौर की शुरुआत
कुलदीप सिंह सेंगर का राजनीतिक सफर ग्राम पंचायत की सियासत से शुरू हुआ था. एक बार उन्नाव के माखी गांव के प्रधान रहे कुलदीप ने युवा कांग्रेस से सक्रिय राजनीति में कदम रखा था. इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. सभी दलों में अच्छी पैठ के दम पर वह लगातार चौथी बार विधायक हैं. कुलदीप सिंह 1996 में पहली बार ग्राम प्रधान चुने गए. इसके बाद पांच साल के दो कार्यकाल में माता चुन्नी देवी प्रधान रहीं.
मौजूदा समय में छोटे भाई अतुल सिंह की पत्नी अर्चना सिंह ग्राम प्रधान हैं. साल 2002 में कुलदीप ने बसपा से उन्नाव सदर सीट से पहली बार सक्रिय राजनीति में कदम रखा और विधायक चुने गए. 2007 में उन्होंने सपा का दामन थामा और बांगरमऊ से विधायक बने.
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अगले विधानसभा चुनाव में 2012 में फिर सपा के टिकट पर भगवंतनगर से विधायक बने. 2016 में सपा में रहते हुए पार्टी से बगावत करके जिला पंचायत चुनाव में अपनी पत्नी संगीता सेंगर को मैदान में उतार दिया. सपा में रहते हुए उन्होंने पार्टी के घोषित प्रत्याशी के खिलाफ पत्नी को न सिर्फ चुनाव लड़ाया बल्कि जीत भी हासिल की.
थामा भाजपा का दामन
विधानसभा चुनाव से पहले जनवरी 2017 में कुलदीप सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें बांगरमऊ सीट से प्रत्याशी बनाया और वह लगातार चौथी बार विधायक निर्वाचित हुए. पत्नी संगीता सेंगर लगातार दूसरी बार जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुईं और पहली बार जिला पंचायत अध्यक्ष है. इससे पहले छोटे भाई मनोज सिंह 2005 से 2010 तक मियागंज ब्लॉक के प्रमुख रहे. 2017 में हुए उन्नाव कांड ने सेंगर को अर्श से फर्श पर ला दिया.
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केस का घटना क्रम
04 जून 2017– नाबालिग लड़की का गांव के ही दो युवकों शुभम और अवधेश ने अपहरण किया.
11 जून 2017– पीड़ित परिवार की शिकायत पर दोनों युवकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई.
21 जून 2017– 10 दिन बाद पुलिस नाबालिग का पता लगा सकी और बरामद कर उसे परिवार को सौंपा.
22 जून 2017– पीड़िता ने मजिस्ट्रेट को दिए बयान में तीन लोगों पर सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया.
01 जुलाई 2017- कोर्ट में दिए पीड़िता के बयान के आधार पर पुलिस ने सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज कर कोर्ट में चार्जशीट दायर की.
22 जुलाई 2017– पीड़िता ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिख इंसाफ की गुहार लगाई. पीड़िता ने इस पत्र में बताया कि विधायक सेंगर ने उसके साथ दुष्कर्म किया.
30 अक्टूबर 2017– विधायक की तरफ से पीड़िता और उसके परिवार के खिलाफ माखी थाने में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया गया.
22 फरवरी 2018– पीड़िता ने जिला अदालत से मांग की थी कि विधायक सेंगर को दुष्कर्म मामले में आरोपी बनाया जाए.
03 अप्रैल 2018– आरोपी विधायक के भाई अतुल सिंह सेंगर ने साथियों संग पीड़िता के पिता से मारपीट की और उनपर जानलेवा हमला भी किया.
04 अप्रैल 2018– मारपीट मामले में पुलिस ने विधायक के दबाव में पीड़िता के पिता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेज दिया.
09 अप्रैल 2018– जेल में पीड़िता के पिता की हालत दिन-पर-दिन खराब होती गई और आखिरकार उन्होंने जेल में ही दम तोड़ दिया. पुलिस पर जेल में पीड़िता के पिता को प्रताड़ित करने का आरोप लगा तो उसने दबाव में विधायक के भाई को गिरफ्तार कर लिया.
13 अप्रैल 2018– सीबीआई ने सुबह चार बजे दुष्कर्म मामले में आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को हिरासत में लिया. लंबी पूछताछ के बाद शाम को उसे गिरफ्तार कर लिया गया.
08 मई 2018– सीबीआई ने विधायक के खिलाफ सबूत पेश किया, इसके बाद उसे उन्नाव से सीतापुर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया.
17 मई 2018– जेल में बंद पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में दो पुलिसकर्मी गिरफ्तार हुए.
11 जुलाई 2018– सीबीआई ने दुष्कर्म मामले में चार्जशीट दायर की, जिसमें विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भी आरोपी बनाया गया.
13 जुलाई 2018– दुष्कर्म मामले में सीबीआई ने दूसरी चार्जशीट दायर की. इसमें विधायक के अलावा उसके भाई अतुल सिंह सेंगर और तीन पुलिसकर्मियों समेत पांच अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया.
18 अगस्त 2018– दुष्कर्म मामले के मुख्य गवाह यूनुस की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है.
04 जुलाई 2019– पीड़िता के चाचा को 19 साल पुराने एक मामले में कोर्ट ने 10 साल के कारावास की सजा सुनाई. खास बात ये है कि 19 साल पुराना ये मामला आरोपी विधायक के भाई अतुल सिंह सेंगर की तरफ से दर्ज कराया गया था. अतुल भी उन्नाव दुष्कर्म केस में मुख्य आरोपी है.
12 जुलाई 2019– पीड़िता की तरफ से तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को पत्र लिखा, आरोपी विधायक और उसके लोगों की तरफ से पूरे परिवार को जान को खतरा बताया गया.
28 जुलाई 2019– रायबरेली के गुरुबख्शगंज थाना क्षेत्र में ट्रक व कार की टक्कर में पीड़िता की चाची और मौसी की मौत. पीड़िता और कार चला रहे उनके वकील गंभीर रूप से घायल हुए.
29 जुलाई 2019– सड़क दुर्घटना मामले में रायबरेली के गुरुबख्शगंज थाने में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, उसके भाई मनोज सिंह सेंगर, विनोद मिश्र, हरिपाल सिंह, नवीन सिंह, कोमल सिंह, अरुण सिंह, ज्ञानेंद्र सिंह, रिंकू सिंह, वकील अवधेश सिंह सहित 15-20 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाते हुए आईपीसी की धारा- 302, 307, 506 व 120बी के तहत हत्या, जानलेवा हमला, जान से मारने की धमकी और आपराधिक साजिश का केस दर्ज.
30 जुलाई 2019– पीड़िता द्वारा चीफ जस्टिस को लिखा गया पत्र सामने आया.
31 जुलाई 2019– चीफ जस्टिस ने पीड़िता के पत्र पर संज्ञान लिया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेट्री जनरल को पत्र बेंच के समक्ष प्रस्तुत होने में हुई देरी की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया.
01 अगस्त 2019– सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म कांड से जुड़े सभी पांच मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट के जज दिनेश शर्मा को प्रतिदिन केस की सुनवाई करने का आदेश दिया. 45 दिन में केस की सुनवाई पूरी करने की बात कही गई.
11 अक्टूबर: उन्नाव रेप पीड़िता के साथ हुए सड़क हादसे के मामले में विधायक कुलदीप सेंगर पर सीबीआई के आरोपपत्र में हत्या का कोई आरोप शामिल नहीं किया . चार्जशीट में इसे हत्या की कोशिश या षड्यंत्र का मामला नहीं बल्कि महज़ एक हादसा बताया गया है.
10 दिसम्बर 2019– तीस हजारी कोर्ट ने कुलदीप सेंगर के खिलाफ अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
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