इंफाल/चुराचांदपुर, 10 सितंबर (भाषा) मणिपुर में कुकी-जो समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले कई संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 13 सितंबर को राज्य की संभावित यात्रा का बुधवार को स्वागत किया और इसे ‘ऐतिहासिक और दुर्लभ अवसर’ करार दिया।
समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों में से एक ‘कुकी-जो काउंसिल’ ने दावा किया कि इस क्षेत्र में लगभग चार दशक बाद प्रधानमंत्री की यात्रा होगी। काउंसिल ने यह भी आशा व्यक्त की कि प्रधानमंत्री समुदाय के लोगों की आकांक्षाओं पर भी ध्यान देंगे।
संगठन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘कुकी-जो काउंसिल पूरे कुकी-जो समुदाय की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हमारी धरती पर आगामी यात्रा का हार्दिक स्वागत करती है। यह एक ऐतिहासिक और दुर्लभ अवसर है।’
संगठन ने कहा कि कुकी-ज़ो समुदाय के लोगों ने पिछले वर्षों में अपार कष्ट सहे हैं। ‘भारत की लोकतांत्रिक भावना और नेतृत्व में विश्वास’ जताते हुए, संगठन ने दावा किया कि कुकी-जो लोग संविधान के अनुच्छेद 239ए के तहत विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश के रूप में एक अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं।
संविधान का अनुच्छेद 239ए संसद को स्थानीय विधायिका, मंत्रिपरिषद या दोनों बनाने की अनुमति देता है।
काउंसिल ने प्रधानमंत्री की संभावित यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा, ‘हमारे घावों को भरने, हमारी गरिमा को बहाल करने तथा कुकी-ज़ो लोगों के भविष्य की सुरक्षा के लिए हम आपके नेतृत्व पर भरोसा करते हैं।’
कुकी-जो समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले कई अन्य संगठनों ने मोदी के राज्य के संभावित दौरे का स्वागत किया, लेकिन उनके स्वागत समारोह के तहत नृत्य कार्यक्रम की योजना का विरोध किया।
‘इंफाल हमार विस्थापित समिति’ ने दावा किया कि प्रधानमंत्री को स्वागत समारोह में भाग लेने के बजाय जातीय हिंसा से प्रभावित लोगों से बातचीत करनी चाहिए।
चुराचांदपुर जिले के गंगटे छात्र संगठन ने कहा कि वह प्रधानमंत्री के संभावित दौरे का स्वागत करेगा, लेकिन ‘हम आंखों में आंसू लेकर नृत्य नहीं कर सकते!’
‘इंफाल हमार विस्थापित समिति’ ने एक बयान में कहा, ‘हमारा शोक अभी खत्म नहीं हुआ है, हमारे आंसू अभी सूखे नहीं हैं, हमारे घाव अभी भरे नहीं हैं, हम खुशी से नाच नहीं सकते।’
समिति ने कहा कि प्रधानमंत्री को स्वागत समारोह में भाग लेने के बजाय राहत शिविरों में रह रहे विस्थापित लोगों से मिलना चाहिए।
हालांकि, चुराचांदपुर स्थित छात्र संगठन ने दावा किया कि प्रधानमंत्री की उपस्थिति से जातीय हिंसा से प्रभावित लोगों को अपने जख्मों पर मरहम लगाने और अपनी शिकायतें व्यक्त करने में मदद मिलेगी।
कुकी समुदाय के शीर्ष संगठन ‘कुकी इनपी मणिपुर’ ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री का राज्य में स्वागत किया जाना चाहिए, उनकी इस यात्रा से ‘कुकी-जो लोगों की सामूहिक आकांक्षाओं को न्याय और मान्यता भी मिलनी चाहिए।’
संगठन ने दावा किया कि राजनीतिक समाधान की मांग ‘स्पष्ट और दृढ़’ है तथा अस्थायी राहत उपाय स्थायी समाधान नहीं ला सकते।
प्रधानमंत्री की संभावित यात्रा को मेइती बहुल इंफाल घाटी के एक वर्ग के लिए अपनी कठिनाइयों को व्यक्त करने के अवसर के रूप में देखा जा रहा है।
इंफाल पूर्वी जिले के एक ग्रामीण सोइबाम रीगन ने कहा, ‘राज्य में प्रधानमंत्री की उपस्थिति हमें लंबित शिकायतों को साझा करने तथा यह बताने का मौका प्रदान करेगी कि जातीय संघर्ष से निर्दोष ग्रामीण किस तरह प्रभावित हुए हैं।’
महिला संगठन ‘इमागी मीरा’ ने कहा कि प्रधानमंत्री को मणिपुर की अपनी यात्रा के दौरान अधिकारियों को निर्देश देना चाहिए कि वे मेइती लोगों को राष्ट्रीय राजमार्ग पर आवाजाही की अनुमति दें और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें।
मई 2023 से मेइती और कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 260 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के बाद केंद्र ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था।
भाषा आशीष अविनाश
अविनाश
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